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सावधान, सड़क हादसों से बढ़ रहे हेड इंजरी और ब्रेन डैमेज के मामले Aligarh news

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में सबसे खराब सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड भारत का ही है। प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 400 लोगों की मौत हो जाती है प्रतिदिन 317 सड़क दुर्घटनाओं में 60 फीसदी मरीज हेड इंजरी का शिकार होते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 12:21 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 01:14 PM (IST)
सावधान, सड़क हादसों से बढ़ रहे हेड इंजरी और ब्रेन डैमेज के मामले  Aligarh news
ट्रामेटिक हेड इंजरी व ब्रेन डैमेज के बढ़ते मामलों ने चिकित्सा जगत की चिंता बढ़ा दी है।

अलीगढ़, जेएनएन : ट्रामेटिक हेड इंजरी व ब्रेन डैमेज के बढ़ते मामलों ने चिकित्सा जगत की चिंता बढ़ा दी है। इससे कई मरीज आजीवन इस बीमारी की जकड़ में आ जाते हैं। लिहाजा, ऐसे किसी मरीज को सुरक्षित बचाने के लिए गोल्डन पीरियड के अंदर उसे अस्पताल पहुंचाने के बारे में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार इनसे बचने के लिए सुरक्षा के सभी उपाय किए जाने जरूरी हैं। अन्यथा चोटिल होने के बाद जटिलताएं बढ़ती जाती हैं। 

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सुरक्षा उपकरणों का हो सही इस्तेमाल 

सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारण हेड इंजरी के मामले ज्यादा होते हैं। इसलिए लोगों को सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। इस बीमारी से बचने का यही एकमात्र विकल्प है। इसे ध्यान में रखते हुए मैक्स हास्पिटल पटपड़गंज, ने अलीगढ़  में युवा चालकों और दोपहिया सवारियों को हेलमेट, सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों का सही इस्तेमाल करने को लेकर शिक्षित करने के लिए एक जागरूकता सत्र चला रहा है। इसमें बताया जा रहा है कि सुरक्षा उपकरणों का सही इस्तेमाल दुर्घटना के दौरान मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त होने से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। 

हादसों की स्थिति 

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में सबसे खराब सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड भारत का ही है। प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 400 लोगों की मौत हो जाती है, जबकि प्रतिदिन होने वाली 1317 सड़क दुर्घटनाओं में 60 फीसदी मरीज हेड इंजरी का शिकार होते हैं। इन दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में तेज गति वाहन चलाना, नशे में वाहन चलाना (डीआइयू), लाल बत्ती पार करने से लेकर बेतरतीब और खतरनाक तरीके से वाहन चलाना और असुरक्षित तरीके से लेन बदलना शामिल है। परिणामस्वरूप प्रतिदिन अस्पतालों में मामूली दुर्घटना से लेकर गंभीर दुर्घटना के शिकार लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

हादसों के बाद ये भी समस्याएं 

मैक्स अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डा. अमिताभ गोयल कहते हैं, सड़क दुर्घटना या ट्रामा या किसी अन्य कारण से होने वाली हेड इंजरी स्थायी अपंगता का सबसे बड़ा कारण है, जबकि संज्ञानात्मक अपंगता, दृष्टि और बोली खत्म होना, बहरापन, आंशिक से गंभीर लकवा, न्यूरोलाजिकल तथा न्यूरो साइकियाट्रिक समस्याएं और गंभीर मामले भी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। पालीट्रोमा के इलाज और क्रिटिकल केयर के क्षेत्र में हुई तरक्की के कारण गंभीर दुर्घटना के दौरान हेड इंजरी से पीड़ित व्यक्ति को भी न सिर्फ बचाया जा सकता है, बल्कि इलाज के बाद भी वे बेहतर क्वालिटी की जिंदगी जी सकते हैं। बशर्ते कि उन्हें गोल्डन पीरियड के दौरान अस्पताल पहुंचाया जाए। डा. गोयल कहते हैं, 'जाहिर है कि बढ़ती दुर्घटनाओं के कारण प्रतिदिन भारतीय अस्पताल दुर्घटना के शिकार लोगों और घायलों से भरे होते हैं जिनमें गंभीर रूप से जख्मी लोग भी होते हैं। देखा गया है कि दुर्घटनाओं में हेड इंजरी के शिकार लोगों को देरी से अस्पताल लाने और इलाज में देरी के कारण ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे मरीजों की गंभीरता और मृत्यु दर बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों को यदि उचित समय पर या प्रभावी तरीके से इलाज नहीं उपलब्ध कराया जाए तो 50 फीसदी से ज्यादा मामले स्थायी रूप से अपंगता के शिकार हो जाते हैं। 


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