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लॉकडाउन बना सजा, जमानत मंजूर होने के बाद भी रिहा न हो सका मुल्जिम Aligarh news

27 मई 2020 को गौहर की जमानत मंजूर हो गई। अलीगढ़ लाने के लिए बी वारंट दाखिल किया गया लेकिन लॉकडाउन होने के चलते गौहर को आज तक अतरौली कोर्ट में पेशी नहीं हो सकी।

By Parul RawatEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 12:16 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 12:16 PM (IST)
लॉकडाउन बना सजा, जमानत मंजूर होने के बाद भी रिहा न हो सका मुल्जिम Aligarh news
लॉकडाउन बना सजा, जमानत मंजूर होने के बाद भी रिहा न हो सका मुल्जिम Aligarh news

अलीगढ़, [जेएनएन]। सात साल से कम सजा वाले अपराधियों को लॉकडाउन ने भले सुकून दिया हो, लेकिन गैर जिलों की जेलों में बंद कुछ अपराधियों के लिए लॉकडाउन सजा बन गया। जमानत मंजूर होने व बी वारंट दाखिल होने के बाद भी ऐसे अपराधी रिहा नहीं हुए। वजह इतनी थी कि गैर जिले की जेल से अपराधी की कोर्ट में पेशी नहीं हो सकी।  कोरोना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए ऐसे कैदियों को पैरोल पर रिहा करने को कहा, जो सात साल कम के अपराध की श्रेणी में आते हैं। अलीगढ़ जेल से 79 कैदी और करीब 600 बंदी रिहा किए गए, लेकिन जिले के अतरौली थाने से वांछित चोरी के अपराधी को लाभ नहीं मिला। हुआ यूं कि गौहर खान निवासी टप्पल वर्ष 2018 से अतरौली थाने से चोरी के मामले में वांछित था। वर्ष 2019 में गौहर के खिलाफ रेवाड़ी (हरियाणा) के थाना करनोला में भी चोरी का मुकदमा दर्ज हुआ। अतरौली पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई, जबकि करनोला पुलिस ने गौहर को गिरफ्तार कर गुरुग्राम की भोंडसी जेल में भेज दिया। 27 मई 2020 को गौहर की जमानत मंजूर हो गई। इसके बाद अधिवक्ता प्रदीप शर्मा के माध्यम से गौहर को अलीगढ़ लाने के लिए बी वारंट दाखिल किया गया, लेकिन लॉकडाउन होने के चलते गौहर को आज तक अतरौली कोर्ट में पेशी नहीं हो सकी, जबकि दोनों जिलों में गौहर के अपराध सात साल से कम की श्रेणी में हैं। देशभर की जेलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा जाए अधिवक्ता योगेश सारस्वत ने केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखकर देशभर की जेलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, आपात स्थिति में मोबाइल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग व वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग से जोडऩे की मांग की है। अधिवक्ता ने कहा है कि ऐसा होने से अभियुक्त सुरक्षित रहकर कोर्ट में उपस्थित हो सकता है। साथ ही अभियुक्तों को लाने के लिए पुलिस पर किए जाने वाला खर्च भी बच जाएगा।

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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था

वरिष्ठ जेल अधीक्षक आलोक सिंह का कहना है कि अलीगढ़ जेल में इस तरह का कोई केस नहीं है। जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की भी व्यवस्था है। इसके जरिये कोर्ट में मुल्जिम की पेशी होती है। ,


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