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सावधान, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आप कहीं दिल के मरीज न हो जाएं aligarhnews

देश में हर मिनट दो मौतें हो रही हैं। अलीगढ़ के सरकारी या निजी अस्पताल में चले जाइये। इसतरह की बीमारी के अनेक लोग मिल जाएंगे।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 01:20 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 05:59 PM (IST)
सावधान, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आप कहीं दिल के मरीज न हो जाएं aligarhnews
सावधान, इस भागदौड़ भरी जिंदगी में आप कहीं दिल के मरीज न हो जाएं aligarhnews

अलीगढ़ (जेएनएन)। सुबह के साथ ही भागदौड़, दोपहर कब गुजर गई और शाम कब ढल गई, कुछ पता नहीं रहता। तेजी से दौड़ते समय में दिनचर्या कुछ यूं बिगड़ती है कि हम खानपान पर भी ध्यान नहीं दे पाते। तनाव बेतहाशा। खानपान भी असंतुलित। एेसा कि सेहत ही बिगाड़ दे। यह सब जानकर भी अनजान  होने की हमारी मजबूरी, भला करें  भी क्या? इस सवाल  से बाहर आइए। इस दिनचर्या और जराजरा सी लावरवाही हमें बीमार तो बना ही देगी। भला बीमारी कौन सी होगी, यह भले देर से पता लगे, पर लगने के बाद क्या होगा? इसका अंदाजा ही लगा लीजिए। इन सब हालातों से जूझते लोगों में तेजी से दिल की बीमारी बढ़ रही है। आंकड़े चौकाने ही नहीं डराने वाले हैं। एक सर्वे के अनुसार देश में हर मिनट दो मौतें हो रही हैं। देश में बीस लाख लोग हर साल हार्ट की बीमारी से ही दम तोड़ रहे हैं। अलीगढ़ के सरकारी या निजी अस्पताल में चले जाइये। इसतरह की शिकायत वाले मरीज खूब मिल जाएंगे। डॉक्टरों की मानें तो हार्ड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अलीगढ़ धूल भरा शहर। प्रदूषण के अन्य भी कई कारण हैं। बाजार में उपलब्ध खानपान की वस्तुएं शुद्ध हैं, एेसी कोई गारंटी नहीं। एेसे में  स्वस्थ्य रहने के लिए सचेत तो हमें ही रहना होगा। तो फिर आज ही क्यों नहीं? इसकी शुरूआत अभी से ही हो तो.....

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शरीर संकेत देता है, पर हम नहीं देते ध्यान

अपने किसी परिचित को दिल की बीमारी होने या दिल कमजोर होने की जानकारी हमें अक्सर होती रहती है। तब मुंह से यही निकलता है कि अरे कम उम्र में ये बीमारी क्यों हो गई? ये शब्द चौंकाने के साथ चिंतित भी करते हैं और हमें सचेत भी करते हैं। क्योंकि, कोई बड़ी बीमारी दबे पांव ही आती है, लेकिन कुछ भी अचानक नहीं होता। किसी बड़ी बीमारी से पहले हमारा शरीर हमें कुछ संकेत देता है। हम सीने के दर्द को हार्ट अटैक से जोड़कर देखते हैं, लेकिन अगर महिलाओं की बात करें तो ऐसा जरूरी नहीं है कि हार्ट अटैक के वक्त उन्हें सीने में दर्द ही हो।  उन्हें चेस्ट में जलन या फिर प्रेशर और एंग्जाइटी जैसे लक्षण दिखेंगे।

हार्ट अटैक  के लक्षण

-सीने में दर्द- सीने में दबाव, दिल के बीचोंबीच कसाव महसूस हो

-शरीर के दूसरे हिस्सों में दर्द- दर्द सीने से हाथों, जबड़े, गर्दन, पीठ और पेट की ओर जाता हुआ महसूस हो.

-मन अशांत लगे या चक्कर आएं

-पसीने से तरबतर होना

-सांस लेने में तकलीफ़

-बेचैनी महसूस हो

इनसे मिल सकती है दिल को ताकत

-हृदय रोग में बिना दाने वाला अनार, अंगूर, थोडा-सा गुनगुना गाय का दूध, जौ का पानी कच्चे नारियल का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, मैथीदाना, किशमिश, मुनक्का, आंवला का मुरब्बा, सेब, सेब का मुरब्बा, नींबू का रस फायदेमंद होता है। गेहूं का दलिया मोटे गेहूं के आटे की रोटी, चना और जौ भिगोए हुए चने भुने चनों का नियमित सेवन, बिना पालिश का चावल फाइबर युक्त धान का उपयोग उचित रहता है। हरी सब्जियां, ताजे फल, कम चिकनाई युक्त बिना मलाई वाला दूध के भी कई फायदे होते हैं।

ह्रदय रोग से बचने के उपाय

-अर्जुन की छाल, आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के उचित प्रयोग से ह्रदय रोग से बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम की दिनचर्या के साथ ही तनावरहित गहरी नींद ह्रदय रोगों से बचा जा सकता है। आंवला एक उच्चकोटि का रसायन है। यह रक्त में उपस्थित हानिकारक व विषैले पदार्थों को निकालने में सहायक है।  इसके सेवन से रक्तवाहिनियां कोमल और लचीली बनी रहती हैं।समय-समय पर  चिकित्सक से जांच  भी कराते रहें। -हृदय रोग जैसी खतरनाक बीमारी से बचने के लिए आप मांसाहार, कॉफी, नशीले पदार्थी का सेवन, अधिक नमक, घी, तेल, मदिरापान, धूम्रपान, तम्बाकू, तेज मसालेदार चटपटे आधुनिक फास्टफूड तथा जंक फूड-चाकलेट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम आदि का सेवन ना करें।

-कोलेस्ट्रॉल का निर्माण लिवर में होता है ताकि कोशिकाओं की दीवारों को सुरक्षा प्रदान कर सके।  कोलेस्ट्रॉल खुद फैट से बना होता है कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है एक अच्छा कोलेस्ट्रॉल जो हल्का होता है और खून से मिलने वाली चर्बी ग्रहण कर लेता है और उसे बहा ले जाता है । बुरा कोलेस्ट्रॉल चिपचिपा होता है और रक्त वाहिनियों और धमनियों में चिपक जाता है। इससे खून के बहने में बाधा आती है जो हमे विभिन्न प्रकार की समस्या जैसे - हाई ब्लड प्रेशर, ब्लोकेज और हार्ट अटेक के रूप में देखने को मिलती है।

सीने में दर्द को हल्के में न लें, तुरंत कराएं जांच
अलीगढ़ के दैनिक जागरण कार्यालय में इस विषय को लेकर  हेलो जागरण का आयोजन किया गया, जिसमें मरीजों के सवालों के जवाब जेएन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ  प्रो.आसिफ हसन ने दिए। प्रस्तुत है उसके अंश ...
मेरे शरीर में कोलेस्ट्राल (चर्बी) का लेबल बढ़ गया है। कैसे नियंत्रण किया जाए।
- विपिन कुमार, गभाना।
60-70 फीसद कोलेस्ट्राल को खानपान की आदतें बदलकर रोक सकते हैं। एक ही तेल को बार-बार इस्तेमाल न करें, ज्यादा तला-फुना न खाएं। 20-30 फीसद कोलेस्ट्राल व्यायाम व टहलने से रुक जाता है। फिर भी काम नहीं बनता तो दवा दी जाती है। हृदय रोग से बचाव के लिए कोलेस्ट्राल का नियंत्रित रहना जरूरी है।
मेरी सांस फूलती है व टांगों में जकडऩ रहती है। जांच नॉर्मल आई हैं।
- शशिकांत राव, अतरौली।
यह हृदय रोग के लक्षण हो सकते हैं। दोबारा ईसीजी, ईको व फेंफड़े की जांच कराएं। नाडिय़ों का एक्स-रे भी कराकर देख लें।
चार वर्ष पूर्व दो स्टंट पड़ चुके हैं। क्या मुझे कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है।
- अजय सक्सेना, मैरिस रोड।
स्टंट का मतलब बेफिक्री नहीं है। खाने में परहेज बरतें। तनाव में न रहें। सप्ताह में छह दिन 45 मिनट जरूर टहलें। दवा खुद से तय न करें। थकान व सांस फूले तो तुरंत विशेषज्ञ के पास जाएं।
कभी भी सीने में दर्द हो जाता है। घबराहट भी होती है।
- प्रतिभा, जयगंज।
ये हृदय रोग के लक्षण हो सकते हैं। सीने में दर्द को हल्के में न लें। तुरंत विशेषज्ञ से मिलें। ईसीजी या लिपिड प्रोफाइल कराएं। हालांकि, कई बार सीने में दर्द के दूसरे कारण भी होते हैं।
मेरी मां हृदय रोगी हैं। आए दिन बीपी हाई व कोलेस्ट्राल बढ़ जाता है।
- दीपक, रामघाट रोड।
बीपी व कोलेस्ट्राल का कंट्रोल होना जरूरी है। डॉक्टर से संपर्क करें। जांच कराएं। दवा बदलनी पड़ सकती हैं।
हार्ट अटैक आए तो...
प्रो. हसन के अनुसार यदि हार्ट अटैक होने की आशंका हो तो जमीन पर बैठ जाएं। परिजनों को तुरंत बुलाएं, ताकि तुरंत डॉक्टर की मदद ली जा सके। ऐसे मरीज को डिस्प्रीन घोलकर दे देनी चाहिए, इससे खून पतला होने से उसका प्रवाह बढ़ जाएगा और नाडिय़ां खुल जाएंगी। सीने में दर्द रोकने के लिए डॉक्टर द्वारा पूर्व में दी गई टेबलेट मुंह में रख लें। पांच से 10 मिनट के गेप से दूसरी व तीसरे टेबलेट भी ले सकते है, मगर चौथी टेबलेट नहीं लेनी चाहिए, इससे कई मरीजों में बीपी कम हो जाता है।


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