सपनों के घर के लिए महंगाई से जंग, बढ़ गए सरिया, जंगला चौखट के दाम Aligarh News
हर व्यक्ति का सपनों के घर का एक सपना होता है। बहुत से लोग इसे पूरा करने में जीवन भर की कमाई भी खपा देते हैं। कोरोना संकट के बीच एक अदद से घर बनाने के लिए महंगाई से जंग लड़ रहे हैं। आयरन सरिया जंगला-चौखट के रेट बढ़े हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। हर व्यक्ति का सपनों के घर का एक सपना होता है। बहुत से लोग इसे पूरा करने में जीवन भर की कमाई भी खपा देते हैं। कोरोना संकट के बीच एक अदद से घर बनाने के लिए महंगाई से जंग लड़ रहे हैं। सबसे ज्यादा रेट आयरन सरिया, जंगला-चौखट के बढ़े हैं। यह 10 से 15 रुपया प्रतिकिलो तक महंगा हुआ है। कारोबारियों को कंपनियां रॉ मेटेरियल न होने का तर्क दे रही हैं। सरिया 12 एमएम ब्रांडेड 53 रुपया प्रतिकिलो बिक रही है। अन ब्रांडेड 52 रुपया प्रतिकिलो है। लॉकडाउन से पहले ब्रांडेड 41 व अन ब्रांडेड 40 रुपया प्रतिकिलो थी। इसी तरह 10 एमएम की सरिया ब्रांडेड 55 रुपया प्रतिकिलो, जबकि अन ब्रांडेड 54 रुपया प्रतिकिलो फुटकर बाजार में मिल रही है। लॉकडाउन से पहले ब्रांडेड 43 व अन ब्रांडेड 42 रुपया प्रतिकिलो थी।
आयरन के जंगला के दाम
आयरन के जंगला-चौखट 58 रुपया से 60 रुपया प्रतिकिलो तक बाजार में बनाए जा रहे हैं। लॉकडाउन से पहले यह 46 से 48 रुपया प्रतिकिलो तक मिल रहे थे। गार्डर के रेट 53 रुपया प्रतिकिलो तक पहुंच गए हैं। लॉकडाउन से पहले यह 41 से 42 रुपया प्रतिकिलो तक पहुंच गए हैं।
काबू में हैं ईंट, बदरपुर, सीमेंट के दाम
ईंट, बदरपुर, सीमेंट के दाम काबू में हैं। इससे मकान या अन्य भवन बनाने वालों को राहत मिल रही है।कोरोना संकट से पहले बदरपुर के रेट 70 रुपया प्रतिघन फीट था। बरसात में यह 85 रुपया प्रतिघन फीट तक हो गया। लक्ष्मी ट्रेडर्स के मालिक आशीष शर्मा ने कहा अब इसकी कीमत फिर कम हो गई है। फुटकर बाजार में यह 70 रुपया प्रतिघन प्रतिघन फीट हैं। सीमेंट के रेट 340 रुपया प्रति बोरी है। घनघौर लॉक डाउन के समय सीमेंट के भाव 370 रुपया प्रति पैकेट तक पहुंच गए थे। लॉकडाउन से पहले यानी मार्च की शुरुआत में यह 330 रुपया प्रति पैकेट तक सीमेंट बाजार में बिका। अब बाजार 330 से लेकर 350 रुपया प्रति पैकेट हैं। बालू 13 रुपया फीट है। फरवरी में ईंट की कीमत थी, पांच हजार रुपया प्रति हजार थी। अब यह 5500 रुपया प्रति हजार बिक रही है।
लोहे के भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जिन लोगों को लेंटर डलवाना था, वे एडवांस देकर भाव तय कर गए हैं। ऐसा सौदा घाटे का साबित हो रहा है। बाजार में साख बनाए रखने के लिए पुराने रेट पर ही जंगला-चौखट देने पड़ रहे हैं। सरिया व गार्डर कंपनियां रॉ मेटेरियल न होने का तर्क दे रही हैं। इसी तरह रेट बढ़ते गए तो मकान बनाने वाले व एडवांस बुकिंग करने वाले कारोबारियों को सोचने पर मजबूर होना होगा।
- अजय धनराज, रजत ट्रेडिंग कंपनी, एटा चुंगी, जीटी रोड
फैक्ट्री बनवा रहा हूं। सरिया पर लगातार रेट बढ़ रहे हैं। अन्य आयरन के आयटम भी मंगाए जा रहे हैं। समझ में नहीं आ रहा क्या किया जाए। ठेकेदार काम में तेजी चाह रहे हैं। लोह के रेट बढ़ रहे हैं। बाजार में अस्थिरता का दौर है। भवन बनाने के लिए महंगाई से जंग लड़नी पड़ रही है। एडवांस ऑर्डर लेने के लिए कारोबारी तैयार नहीं।- यतेंद्र जैन, ग्राहक