Special on birth anniversary : देश की पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री थे बरकत उल्ला Aligarh news
भोपाल में सात जुलाई 1859 को जन्मे मोहम्मद बरकत उल्ला 40 साल तक दुनियाभर में घूम-घूमकर ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ बगावत का झंडा फहराया। बात 1914 की है। आजादी के दीवानों को या तो जेल मिल रही थी या फांसी।
अलीगढ़, जेएनएन । देश के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे? उत्तर में एक ही नाम आता है पंडित जवाहर लाल नेहरू। मगर, ज्यादातर लोगों को यह बात नहीं पता कि पं. नेहरू से चार दशक पहले भी एक निर्वासित सरकार बनी थी, जो महान स्वतंत्रता सेनानी राजा महेंद्र प्रताप ने ब्रितानी हुकूमत के समानांतर काबुल (अफगानिस्तान) में जाकर बनाई। इस सरकार में राजा साहब ने अपने करीबी हाफिज मोहम्मद बरकत उल्ला को प्रधानमंत्री बनाया। वे खुद राष्ट्रपति मनोनीत किए गए थे। यह सरकार लंबी बेशक नहीं चली, लेकिन अंग्रेजों को सहमा जरूर गई । ऐसे ''''प्रधानमंत्री'''' मोहम्मद बरकत उल्ला की जयंती पर कौन उन्हें याद नहीं करना चाहेगा।
राजा महेंद्र प्रताप ने उठाया बीड़ा
भोपाल में सात जुलाई 1859 को जन्मे मोहम्मद बरकत उल्ला 40 साल तक दुनियाभर में घूम-घूमकर ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ बगावत का झंडा फहराया। बात 1914 की है। आजादी के दीवानों को या तो जेल मिल रही थी या फांसी। उस दौर में राजा महेंद्र प्रताप ने अंग्रेज-विरोधी देशों में जनमत संग्रह का बीड़ा उठाया। इसमें बरकत उल्ला का हर कदम साथ मिला।
बरकत उल्ला का साथ
मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट बताती है कि राजा महेंद्र प्रताप ने वर्ष 1915 में जर्मनी से बरकत उल्ला को पत्र लिखकर बुलाया। वह 19 फरवरी 1915 को बर्लिन पहुंचे और यहीं मुख्यालय बनाकर ''''बर्लिन समिति'''' का गठन किया। भारत में सशस्त्र क्राति के लिए बर्लिन में ''''जर्मन मिशन'''' की स्थापना की गई। इसके प्रमुख नेता राजा महेंद्र प्रताप व बरकत उल्ला ही थे। राजा महेंद्र प्रताप व बरकत उल्ला अक्टूबर 1915 में काबुल पहुंचे। यहां प्रसिद्ध क्रातिकारी ओबेदुल्ला सिंधी पहले से मौजूद थे। एक दिसंबर 1915 को अंतरिम सरकार गठित हुई। 27 सितंबर 1927 को जाबांज बरकत उल्ला ने दुनिया को अलविदा कह दिया।