अट्टालिकाः अपने ओजोन से छोटा है सारा जहां
आजकल व्यस्त लाइफ भागदौड़ भरी जिदंगी हर तरफ शोरशराबा ऐसे में हर कोई सुकून चाहता है। शांत और शुद्ध वातावरण पहली पसंद होती है।
राजनारायण सिंह, अलीगढ़। आजकल व्यस्त लाइफ, भागदौड़ भरी जिदंगी, हर तरफ शोरशराबा, ऐसे में हर कोई सुकून चाहता है। शांत और शुद्ध वातावरण पहली पसंद होती है। आइए आज ऐसी ही खुली वादियों की सैर आपको कराते हैं। शहर से पांच किमी की दूर 'ओजोन सिटीÓ कुछ ऐसा ही है। यहां कोई एक बार आ जाता है तो यहीं का होकर रह जाता है। सुबह की ताजगी में उनकी कल्पनाओं की कलम उड़ान भरती है। तीन बड़े हरे-भरे पार्क हैं। टहलने के लिए फुटपाथ, बच्चों के लिए झूले हैं। जिम आपको फिट रखता है तो स्वीमिंग पूल चुस्त-दुरुस्त। प्रदेश के कई स्थानों से आकर बसे लोग यहां एक परिवार के सूत्र में बंध गए हैं। आइए, ओजोन सिटी में आपको भी प्रवेश कराते हैं।
तीन हैं रास्ते
आजोन सिटी के लिए तीन रास्ते हैं। पहला कयामपुर मोड़, दूसरा रामघाट रोड से आरएएफ बटालियन रोड व तीसरा जीटी रोड से सिंधौली से होते ओजोन सिटी तक पहुंचाता है। सुबह आठ बजे का समय। परिसर में स्थित मंदिर में महिलाओं की टोली पहुंच चुकी थी। मंदिर के स्थापना दिवस पर भक्ति का माहौल था। मंदिर के बगल में नवग्रह पार्क है। महिलाएं 'पांच वृक्ष कछु गंगा मइया रम रयेÓ गीत गाते हुए पौधे लगा रही थीं। भारतीय संस्कृति की अनूठी परंपरा की झलक यहां साफ दिख रही थी। महिलाएं आधुनिकता के साथअपनी विरासत की छांव भी समेटे थीं।
पर्यावरण का खास ख्याल
ओजोन सिटी पर्यावरण का विशेष ख्याल रखता है। क्या मजाल है कि कोई पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचा दे। सभी की देखरेख की जिम्मेदारी है। छायादार वृक्षों पर पक्षी डेरा डाले दिखाई देते हैं। चिडिय़ों की चहचहाट से यहां के लोगों की सुबह होती है। भर नयन ढलता सूरज यहां दिखाई देता है।
नीरजजी का रहा खास जुड़ाव
महाकवि व पद्मभूषण गोपालदास नीरज का यहां से खास जुड़ाव रहा। नीरज जी का भीड़-भाड़ से दूर रहने को जब मन करता था तो वे ओजोन सिटी पहुंच जाते थे। ओजोन सिटी के सीएमडी प्रवीण मंगला बताते हैं कि नीरजजी ने यहां के लिए कुछ पंक्तियां भी लिखी थीं। ये पंक्तियां 'अपने ओजोन से सारा जहां छोटा है, जमीन छोटी है, आसमान छोटा हैÓ। प्रवीण नीजरजी के नाम से यहां चौक भी है।
कवि भी हैं यहां पर
ओजोन सिटी में वरिष्ठ कवि सुरेंद्र सुकुमार भी रहते हैं। वे बताते हैं कि यहां के अलावा अब उन्हें और कहीं अच्छा नहीं लगता। खुली हवा में मन प्रसन्न हो जाता है। गीतकार अवनीश राही का भी फ्लैट है।
हुनर भी है इनमें
विमलेश देवी कहती हैं कि मंदिर में आकर तो मन प्रसन्न हो जाता है। वह भगवान का भोग तैयार करने में माहिर हैं। लजीज व्यंजन भी बनाती हैं। तरह-तरह की डिश बनाकर खिलाती हैं।
अनीता जौहरी ओजोन सिटी में आने वाली सबसे पहली महिला हैं। वह हर किसी को गुदगुदाती रहती हैं। ओजोन परिसर में भी उन्हें सभी अपना गार्जियन मानते हैं। अनीता कहती हैं कि यहां से कहीं जाने का मन नहीं करता है।
सूफियाना गीतों की मुरीद काजल को यहां का वातावरण खूब पसंद है। वे कहती हैं कि यहां आते ही मन प्रसन्न हो जाता है। सुकून से वह पुराने गीतों को भी सुनती हैं। यहां का माहौल देखकर मन प्रसन्न हो जाता है।
शिक्षक हरीश बाबू शर्मा कहते हैं कि यह किसी खुली वादियों से कम नहीं है। शाम के समय एक साथ बैठकर सभी बातचीत करते है तो बहुत अच्छा लगता है। पार्क में टहलते हुए ढेरों किस्से-कहानियां हो जाया करती हैं, जो दिनभर की थकान मिटा देती है।
डॉ. वीके सिंह को पौधों की देखरेख करना बहुत अच्छा लगता है। वे कहते हैं कि सुबह टहलते समय एक-एक पौधों की निगरानी करते हैं। यदि पौधे सूख रहे होते हैं तो माली को बताकर पानी देने को कहते हैं। पक्षियों से प्रेम है।
सतीश कुमार तोमर कहते हैं कि वह ओजोन सिटी में लोगों को पौष्टिक सब्जियां व अनाज के बारे में जानकारी देते हैं। वर्मी कंपोस्ट से लोगों को खेती करना सिखा रहे हैं। सतीश कहते हैं कि परिसर में लोग इसे खूब अपना रहे हैं।