धूल में सने तीन हजार शस्त्र शौकीनों के अरमान
कलक्ट्रेट में लंबित पड़ी हैं फाइलें कई पर दो-दो बार लग चुकी है थाने व तहसील की रिपोर्ट।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : शस्त्र के शौकीन तीन हजार से अधिक लोगों के अरमान धूल में मिल गए हैं। इन आवेदनों की फाइलें कलक्ट्रेट में ही धूल फांक रही हैं। अधिकांश की रिपोर्ट को भी छह-छह महीने से ज्यादा का समय हो गया है। अब इन्हें दोबारा से तहसील व थाने की रिपोर्ट लगवानी पड़ेगी।
दो साल पहले हटी रोक : अक्टूबर 2018 में प्रदेश सरकार ने शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी थी। इसके बाद नए लाइसेंसों के आवेदनों की बाढ़ सी आ गई। कलक्ट्रेट से पहले महीने में करीब चार हजार आवेदन पत्र बिके।
रिपोर्ट की निकली मियाद : जिले में दो साल में छह हजार से अधिक आवेदन पत्र बिके है। इनमें से रिपोर्ट के बाद करीब चार हजार ही वापस आए। इनमें से भी अधिकांश की रिपोर्ट की मियाद छह महीने से ज्यादा की हो गई है। अब दो दर्जन आवेदन ही जांच रिपोर्ट फंसे हैं।
थाने में लगी रोक : करीब तीन हजार आवेदनों की रिपोर्ट की अवधि समाप्त हो गई है। अब इन आवेदकों को दोबारा से रिपोर्ट लगवानी होगी। थाने में सीधे रिपोर्ट के फॉर्म लेने से मना कर दिया गया है। डीएम कार्यालय से डाक से शस्त्र से जुड़ा कोई कागज जा नहीं रहा है। अब आवेदकों के लिए रिपोर्ट लगवाना भी मुश्किल हो गया है।
एसएसपी को लिखा पत्र : डीएम ने शासन के निर्देश पर जिलेभर में सभी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त लाइसेंस धारकों के थाने से सत्यापन कराने के निर्देश दिए थे। एक साल बाद भी सत्यापन रिपोर्ट नहीं आई है। अब डीएम ने एसएसपी को पत्र भेजकर तत्काल सत्यापन रिपोर्ट दिलाने को कहा है।
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महिलाओं को भी चाहिए शस्त्र
महिलाएं भी लाइसेंस के लिए आवेदन में पीछे नहीं हैं। अब तक सैकड़ों महिलाएं आवेदन कर चुकी हैं। इनमें अधिकांश आवेदन पिस्टल व रिवॉल्वर के हैं।
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पूरी गहनता से आवेदनों की जांच होती है। विरासत व खिलाडि़यों को प्राथमिकता से लाइसेंस मिलता है। आपराधिक घटनाओं में लिप्त लोगों के लाइसेंसों को सत्यापन कराया जा रहा है।
चंद्रभूषण सिंह, डीएम