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AMU के मनोचिकित्सक का सुझाव: कोरोना को लेकर डरावनी बातें न करें Aligarh News

कोरोना...कोरोना। बार-बार बातचीत में यही शब्द। सुनकर घबराहट बढ़ जाती है। कुछ के दिमाग में तो यह भी आने लगता है कि हाथ साफ नहीं हुए अब उन्हें कुछ ना हो जाए।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 04:09 PM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 04:09 PM (IST)
AMU के मनोचिकित्सक का सुझाव: कोरोना को लेकर डरावनी बातें न करें Aligarh News
AMU के मनोचिकित्सक का सुझाव: कोरोना को लेकर डरावनी बातें न करें Aligarh News

अलीगढ़ [संतोष शर्मा]: कोरोना...कोरोना। बार-बार बातचीत में यही शब्द। सुनकर घबराहट बढ़ जाती है। कुछ के दिमाग में तो यह भी आने लगता है कि हाथ साफ नहीं हुए, अब उन्हें कुछ ना हो जाए। ऐसी शिकायत शुरू हो गई हैैं। ऐसे में जरूरत है कि थोड़ी पॉजीटिव थिंकिंग बढ़ाई जाए।

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मरीजों के आने लगे हैं फोन

लॉकडाउन में पहले तीन-चार दिन तो कुछ नहीं हुआ। परंतु अब मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास ऐसे मरीजों के फोन आने शुरू हो गए हैैं। जेएन मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ प्रो. एस.ए. आजमी के अनुसार लोग जब बार-बार बातचीत में यह सुनते हैैं, तो इससे दिमाग  के मरीजों में बीमारी के बुरे ख्याल और बेचैनी बढ़ जाती है। घबराहट वाले लोगों को ऐसे हालात से बचाने की जरूरत है। वैसे भी समस्या के बारे में बार-बार सोचने से ऊर्जा कम होने लगती है। यह दिमाग की परेशानी में वृद्धि कर देती है।

अब लगता है डर

 कुछ पुराने मरीजों की दिक्कत अलग तरीके की है। एक मरीज का तो कहना था कि जहां भी हाथ लगाऊं, तो कोरोना ही लगता है। हालांकि, वह यह भी कहते हैैं कि वैसे उन्हें पता है कि वह बीमार नहीं हैैं। ऐसे लोग जुनूनी बाध्यकारी विकार यानी ओब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) के मरीज हैं। अब इनकी दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है। ओसीडी मरीजों में किसी खास माहौल में ऐसे लक्षण पैदा हो जाते हैं। कोरोना को लेकर कुछ को यह लग रहा है कि हाथ धोने के बाद भी उन्हें लगता है कि अभी साफ नहीं हुए हैैं। जिन्हें जल्द घबराहट होती है, उनके सामने कोरोना की बार-बार बात न की जाए। वैसे, कोरोना से जुड़ी अपडेट जानकरी लेते रहना चाहिए।

बच्चों की ऊर्जा का कराएं इस्तेमाल

प्रो. आजमी के अनुसार अभिभावक बच्चों पर विशेष ध्यान रखें। बच्चे मोबाइल और टीवी देखने में ही व्यस्त न रहें। उनकी मानसिक ऊर्जा का इस्तेमाल करने को चार्ट बनाएं। कब उन्हें खाना, खेलना, पढऩा और सोना है। नहीं तो बाद में दिक्कत आएगी।

परिजनों संग रहें घुलमिल कर

लॉकडाउन के चलते सभी लोग घर पर हैं। ऐसे लोग जरूर बेचैनी महसूस कर रहे हैं जो सुबह नौकरी को निकलते थे और देर शाम को घर आते थे। वह एकांकी रहने की जगह परिजनों संग घुलमिल कर रहें। व्यायाम जरूर करें। घर में शारीरिक दूरी का भी ख्याल रखें।

हो सकती है एंग्जाइटी

बुजुर्गों की देखभाल के लिए यह समय अहम है। उन्हें संक्रमण जल्द असर करता है। साथ ही एकांकी छोडऩे पर एंग्जाइटी बढ़ सकती है। उनकी भी भी देखभाल की जरूरत है।


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