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हक की खातिर आंदोलन कर सकते हैं एंबुलेंस कर्मचारी, शोषण का आरोप, जानिए पूरा मामला Hathras News

जिले में जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंदों से मरीजों को लाने ले जाने के लिए 102 व 108 एंबुलेंस की व्यवस्था है। एंबुलेंस कर्मचारियों के हितों का ध्यान एजेंसी के द्वारा नहीं रखा जा रहा। लगातार कर्मचारियों का शोषण एजेंसी के द्वारा किया जा रहा है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 11:39 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 11:45 AM (IST)
हक की खातिर आंदोलन कर सकते हैं एंबुलेंस कर्मचारी, शोषण का आरोप, जानिए पूरा मामला Hathras News
एंबुलेंस कर्मचारियों ने शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।

हाथरस, जागरण संवाददाता। जिले में जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंदों से मरीजों को लाने ले जाने के लिए 102 व 108 एंबुलेंस की व्यवस्था है। एंबुलेंस कर्मचारियों के हितों का ध्यान एजेंसी द्वारा नहीं रखा जा रहा है। लगातार कर्मचारियों का शोषण एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।

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फर्जी केसों का दबाव बनाने का आरोप

एंबुलेंस कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष नागेंद्र कुमार का आरोप हैं कि 108 व 102 एवं ए एल एस कर्मचारियों का कंपनी द्वारा शोषण किया जा रहा है। फर्जी केसों का दबाव बनाया जा रहा है। पूर्व में हुई हड़ताल के दौरान से अब तक 7000 कर्मचारियों को सेवा समाप्ति कर दी गई है। लेकिन लेकिन सरकार एवं श्रम आयुक्त की तरफ से हड़ताल धरना खत्म कराया गया था। मांगों को जायज मानते हुए कार्रवाई करने की बात कही गई थी। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। कंपनी के द्वारा न तो समय से वेतन दिया जा रहा और न ही अभी तक ग्रेजुएटी का पैसा दिया है। कर्मचारियों का पीएफ का पैसा भी जमा नहीं किया जा रहा। जिलाध्यक्ष का कहना है कि यदि समय रहते कर्मचारियों के हितों का ध्यान कंपनी के द्वारा नहीं रखा गया। तो कभी भी चक्का जाम करके हड़ताल कर दी जाएगी। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की होगी।

तीन माह पूर्व किया था आंदोलन

एंबुलेंस कर्मचारियों का लगातार शोषण किए जाने पर जुलाई माह में 23 से 25 तारीख तक संगठन के पदाधिकारियों ने आंदोलन किया था। मंडी समिति में समस्त एंबुलेंस खड़ी करके प्रदर्शन तक कर्मचारियों ने किया था। आंदोलन के कारण मरीजों व उनके तीमामदारों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। तीन दिन लगातार आंदोलन के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो गई थी। तब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने हस्तक्षेप करके आंदोलन को खत्म कराया था। तब आश्वासन दिया गया था कि शासन स्तर से मांगों पर विचार किया जाएगा। लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद अभी तक मांगों का निस्तारण नहीं किया गया।


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