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अलीगढ़ में एंबुलेंस संचालकों की मनमानी : जिंदगी की बत्ती गुल, Ambulance का मीटर फुल

कोरोना संक्रमण काल में जहां कुछ लोग दूसरों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं वहीं कुछ लोग काली कमाई करने से बाज नहीं आ रहे। निजी एंबुलेंस संचालक भी मनमानी पर उतर आए हैं और इंसानियत को शर्मसार करते हुए मरीजों से अवैध वसूली कर रहे हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 08:44 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 08:44 AM (IST)
अलीगढ़ में एंबुलेंस संचालकों की मनमानी : जिंदगी की बत्ती गुल, Ambulance का मीटर फुल
कोरोना संक्रमण काल में जहां कुछ लोग दूसरों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं।

अलीगढ़, विनोद भारती। कोरोना संक्रमण काल में जहां कुछ लोग दूसरों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं, वहीं कुछ लोग काली कमाई करने से बाज नहीं आ रहे। निजी एंबुलेंस संचालक भी मनमानी पर उतर आए हैं और इंसानियत को शर्मसार करते हुए मरीजों से अवैध वसूली कर रहे हैं। हालात ये है कि शहरी क्षेत्र में साधारण एंबुलेंस के प्रति किलोमीटर 1500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। आक्सीजन व एडवांस लाइफ सपोर्ट वाली एंबुलेंस का किराया चार से पांच हजार रुपये तक। कोविड का नाम सुनते ही किराया 50 फीसद तक बढ़ जाता है। अस्पताल से श्मशान के किराए में भी कोई रियायत नहीं। कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वजन मजबूरी में उनकी मनमानी मानने को विवश हैं। मजबूरी ये है कि वे अपने मरीज की जान बचाएं या शिकायत करते फिरें।

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अलीगढ़ से दिल्ली का किराया 40 हजार 

दैनिक जागरण टीम ने शनिवार को एंबुलेंस सेवा के नाम पर वसूली की पड़ताल की। वरुण हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के सामने खड़े एंबुलेंस चालक से मरीज को जीवन ज्योति हास्पिटल, सारसौल चौराहा पहुंचाने का किराया पूछा गया। सामान्य मरीज के लिए एक हजार रुपये व कोविड मरीज के लिए 1500 रुपये मांगे। वह भी बिना आक्सीजन वाली एंबुलेंस का। दूसरे एंबुलेंस चालक ने आक्सीजन एंबुलेंस से मरीज पहुंचाने के लिए दो हजार रुपये मांगे। दीनदयाल अस्पताल के सामने एडवांस लाइफ सपोर्ट युक्त एंबुलेंस के चालक से वाइपेप के साथ मरीज को जीवन ज्योति हास्पिटल पहुंचाने का किराया पूछा गया तो उसने चार हजार रुपये मांगे। बोला, यदि घर से मरीज जाएगा तो पांच हजार रुपये तक देने होंगे। इसके बाद टीम किशनपुर तिराहा पहुंची। यहां काफी एडवांस लाइफ सपोर्ट युक्त एंबुलेंस खड़ी थीं। संचालन कंपनी के आफिस में पहुंचकर मरीज को नोएडा पहुंचाने की बात कही। काउंटर संभाल रहे व्यक्ति ने 18 हजार रुपये मांगे, वह भी इस शर्त पर की नोएडा पहुंचते ही मरीज को एंबुलेंस से अस्पताल में शिफ्ट करा दिया जाएगा। ऐसे में पहले अस्पताल में बेड बुक होना चाहिए, तभी एंबुलेंस की बुकिंग होगी? रामघाट रोड पर ही एक एंबुलेंस चालक से दिल्ली का किराया पूछा तो उसने 30 हजार रुपये मांगे। मरीज का आक्सीजन सेचुरेशन पूछने पर 40 बताया तो बोला, सिलिंडर से काम नहीं चलेगा, मशीन लगानी होगी। इसी तरह अन्य एंबुलेंस चालकों ने शहर के अंदर और शहर से बाहर जाने के लिए सामान्य से कई गुना किराया मांगा। साफ कहा कि हम भी अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।

 सांसों की गति से भी तेज दौड़ रहा मीटर

कोरोना काल में मरीजों की सांस भले ही धीमी गति से चल रही हो, मगर निजी एंबुलेंसों का मीटर फुल स्पीड से दौड़ रहा है। किराए की मनमानी दर स्वयं ही तय कर दी है, जिसकी कोई रसीद या बिल ग्राहक को नहीं दिया जाता। अधिक किराया पूरी हठधर्मिता के साथ वसूला जा रहा है।

मुक्तिधाम का किराया भी दो हजार

दोपहर करीब 12 बजे निजी एंबुलेंस से मरीज को दीनदयाल अस्पताल लाया गया। डाक्टर ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। स्वजन ने एंबुलेंस चालक से शव को नुमाइश स्थित मुक्तिधाम छोड़ने के लिए कहा। लेकिन, चालक ने कहा कि किराया केवल यही तक का तय था। मुक्तिधाम तक का 2000 रुपये अतिरिक्त लगेगा। आपत्ति की तो वह सौदेबाजी पर उतर आया। फिर 1500 रुपये में जाने को तैयार हुआ।एंबुलेंस किराया तय नहीं

कोरोना संकट काल में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक एंबुलेंस खूब दौड़ रही हैं। मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है। अफसोस, स्वास्थ्य या प्रशासन ने किराए की दरें तय करने के लिए कोई पहल नहीं की है।कई एंबुलेंसों में मानकों की अनदेखी

क्रिटिकल केयर एंबुलेंस सरकारी हो या प्राइवेट। सभी में जीवन रक्षा उपकरण (वेंटीलेटर आदि), आक्सीजन सिलेंडर (रिजर्व अतिरिक्त), फायर एक्सटिंग्युशर, एक्सपर्ट पैरा मेडिकल स्टाफ होना चाहिए? सामान्य एंबुलेंस में फस्र्ट एड किट, फायर एक्सटिंग्युशर, ऑक्सीजन, स्ट्रेचर व एक्सपर्ट स्टाफ जरूरी है। ये मानक पूरा करने के बाद ही परिवहन विभाग में ऐसे वाहन एंबुलेंस के रूप में पंजीकृत किए जा सकते हैं। इस समय शहर में एंबुलेंस के नाम पर धंधेबाजी शुरू हो गई है। पुरानी मारुति वैन की सीट में फेरबदल कर व एक आक्सीजन सिलेंडर रखकर एंबुलेंस बना रखी हैं। चालक अप्रशिक्षित हैं। फिटनेस सालों से नहीं हुई है। ऐसी एंबुलेंस भी सरकारी व निजी अस्पतालों के आसपास मंडराती हुई दिखाई देती हैं। शहर व जनपद में कितनी प्राइवेट एंबुलेंस हैं? इसका आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं। इनमें आकस्मिक सेवा के मानक पूरे हैं? या नहीं, इसकी चिंता भी किसी को नहीं, जबकि ये एंबुलेंस जनपद में ही नहीं, आगरा, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली व गुरुग्राम तक दौड़ रही हैं। काफी मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है।

एंबुलेंस संचालकों द्वारा मरीजों से ज्यादा किराया वसूलने की बात सामने आई है। आपदा काल में किराया बढ़ाना गलत है। शनिवार को मिलन संचालकों की बैठक भी बुलाकर दिशा निर्देश भी दिए गए। जल्द ही किराया तय करने पर विचार हो रहा।

डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ


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