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अलीगढ़ में जनकपुरी की पहचान बना नीरज जी का आशियाना

महाकवि गोपालदास नीरज मैरिस रोड स्थित जनकपुरी मुहल्ले में रहते थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 09:22 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 09:22 AM (IST)
अलीगढ़ में जनकपुरी की पहचान बना नीरज जी का आशियाना
अलीगढ़ में जनकपुरी की पहचान बना नीरज जी का आशियाना

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : महाकवि गोपालदास नीरज मैरिस रोड स्थित जनकपुरी मुहल्ले में रहते थे। यहां उनकी कोठी पानी की टंकी से दो गली छोड़कर है। कोठी 1956 में एक हजार वर्ग गज में बनवाई गई, जिस पर 16 हजार रुपये खर्च हुए। उनके घर की ओर जाने वाली गली का निर्माण 2004-05 में सांसद निधि से हुआ था। गली की पहचान ही उनके नाम से है। चिट्ठी पर लोग नीरज वाली गली के नाम से भेजे थे। दोमंजिला कोठी में 15 कमरे हैं। नीचे के पांच कमरे व बरामदे में नीरज रहते थे। बगल के तीन कमरों में उनका सेवक सुरेंद्र उर्फ सिंगसिंग बीवी-बच्चों के साथ रहता है। दूसरी साइड में बने तीन अन्य कमरों में गोपाल शर्मा किराये पर रहते हैं। ऊपरी मंजिल पर बने चार कमरे भी किराए पर हैं। इनमें चंडौस के गांव अमृतपुर के विनोद शर्मा परिवार के साथ रहते हैं। किराएदार महाकवि के साथ परिवार की तरह रहते थे। बीमार होने पर देखरेख भी करते थे। दिसंबर में आइसक्रीम खाने से तबीयत हुई थी, तब विनोद शर्मा की पत्नी ही उन्हें अस्पताल ले गई थीं। सुरेंद्र पर टूटा दुखों का पहाड़ : नीरज के दुनिया छोड़ने का दुख हर किसी को है। परिजनों का रो-रोकर बुरा है। नीरज के साथ साए के साथ रहने वाले सुरेंद्र उर्फ सिंगसिंग का दर्द कुछ जुदा है। सुरेंद्र 13 साल की उम्र से नीरज के साथ रह रहा था। उनके खाने से लेकर दवा आदि की जिम्मेदार सुरेंद्र ही संभाले था। सुरेंद्र के पिता प्रेम सिंह की आगरा में डॉ. मनोरमा से उस स्कूल में मुलाकात हुई थी, जिसमें वो पढ़ाती थीं। नीरज भी आगरा आते-जाते रहते थे। प्रेम सिंह ने ही बेटा को नीरज की सेवा में सौंपा था। नीरज जी उसे अलीगढ़ ले आए और यहीं उसकी शादी ज्योति से कराई। सुरेंद्र के दो बेटा हैं जो संत फिदेलिस स्कूल में पढ़ रहे हैं। नीरज ही इस परिवार का खर्च उठा रहे थे। जनकपुरी स्थित आवास में ही सुरेंद्र का परिवार रहता है। नीरज का परिवार : गोपालदास नीरज ने दो शादी की थीं। उनकी पहली पत्नी स्व. सावित्री सक्सेना से पुत्र मिलन प्रभात हैं, जो परिवार में सबसे बड़े हैं और हरिद्वार में रहते हैं। दूसरी पत्नी दिवंगत डॉ. मनोरमा शर्मा थीं। डॉ. मनोरमा की संतानों में मृणांक प्रभाकर, शशांक प्रभाकर, अरस्तु प्रभाकर और बेटी डॉ. कुंदनिका शर्मा व वीनस शर्मा हैं।

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नीरज से समर्थन मांगने आए थे जावेद अख्तर : इसी साल 22 अप्रैल को नीरज से मिलने गीतकार जावेद अख्तर मुंबई से आए थे। अख्तर ने कहा था कि वे दुनिया में दो ही लोगों के पैर छूते हैं। एक नीरज के और दूसरे अपने मां-बाप के। नीरज व उनके गीतों को धरोहर बताया था। जावेद अख्तर ने निधन पर शोक जताया है। हाथरस में किया था आखिरी कवि सम्मेलन: नीरज जी का कवि सम्मेलनों में शामिल होने का नशा आखिर तक रहा। उन्होंने हजारों मंच साझा किए, लेकिन उनका आखिरी कवि सम्मेलन हाथरस के सिकंदराराऊ स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में इस साल 10 जून को हुआ। इसके बाद वह किसी बड़े मंच पर शामिल नहीं हो सके। पिछले साल वे कई कवि सम्मेलनों में शामिल हुए। आवाज साफ न होने के कारण अब कविता समझना आसान नहीं होता था। निमोनिया की जकड़न से आजाद न हो सके: नीरज अलीगढ़ से अच्छे-भले बेटी के घर आगरा गए थे। मंगलवार को ऐसी तबीयत खराब हुई कि अलीगढ़ नहीं लौट सके। उन्हें निमोनिया ने ऐसा जकड़ा कि आजाद न हो सके।

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