Aligarh News: आयरन सीट से ड्यूटी समाप्त, फिर बढ़ने लगे दाम, कारोबारी चिंतित
Price increased on iron seat अघोषित वैश्विक मंदी की मार से जूझ रहे ताला हार्डवेयर निर्माताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। कच्चे माल की कीमतों में उतार चढ़ाव के इस दौर से उद्यमी परेशान हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। अघोषित वैश्विक मंदी की मार से जूझ रहे ताला, हार्डवेयर निर्माताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। कच्चे माल की कीमतों में उतार चढ़ाव के इस दौर से उद्यमी परेशान हैं। अक्टूबर दीवाली से सभी तरह की आयर सीट व स्क्रेप पर भाव में गिरावट थी।
स्क्रैप से डयूटी हटाई
केंद्र सरकार ने विदेश से आयात होने वाली आयरन सीट व स्क्रेप से 15 प्रतिशत लगने वाली ड्यूटी हटा दी है। जल्द ही इसका असर बाजार पर दिखने लगा। दो दिन में आयरन सीट व मेल्डिंग स्क्रेप पर चार रुपये तक रेट बढ़ गए हैं। इससे एक बार फिर ताला व हार्डवेयर व आयरन के गेट की लागत फिर बढ़ेगी।
दो दिनों में बढ़ें दाम
ताला-हार्डवेयर के निर्माण में आयरन सीट का प्रयोग भी किया जाता है। बड़ी संख्या में ताला- हार्डवेयर निर्माता आटो मोबाइल्स कंपनी से निकलने वाली मेल्डिंग स्क्रेप का प्रयोग करते हैं। इस पर दो दिन में चार रुपये प्रतिकिलो की तेजी आई है। दीवाली के बाद जब बाजार ने रफ्तार पकड़ी तब यह 40 रुपये प्रतिकिलो तक बाजार में बिकी। खरीदार कारोबारी को 18 प्रतिशत जीएसटी अलग से देनी होती है। दो दिन में इसके भाव बिना जीएसटी के 44 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गए हैं।
ये हैं आयरन सीट के भाव
इसी तरह गेट, मशीनरी में प्रयोग की जाने वाली प्राइम पिगड आयरन सीट 55 रुपये प्रतिकिलो थी, 18 प्रतिशत जीएसटी ग्राहक अलग से अदा करते हैं। अब इसके भाव बिना जीएसटी के 57 रुपये हो गए हैं। दीवाली से पहले यह 58 रुपये प्रतिकिलो थी। गेलबनाइज आयरन सीट के भाव स्थिर हैं। यह बिना जीएसटी के बाजार में 70 रुपये प्रतिकिलो मिल रही है। कारोबारियों ने बताया है कि आयरन सीट का सबसे ज्यादा आयात चीन से होता है। हालांकि देश से भी आयरन सीट निर्यात करने की जाती है। टाटा, जिंदल जैसी कंपनियों की विदेशी बाजार में मजबूत पकड़ है।
केंद्र सरकार ने एक साल पहले आयरन सीट के आयात करने पर 15 प्रतिशत ड्यूटी लगाई थी। गत सप्ताह इसको समाप्त कर दिया गया है। इससे एक बार फिर स्क्रेप सीट के रेट बढ़ गए हैं।
- विष्णु भैया, डीलर ब्रांडेड प्राइम आयरन सीट
फैक्ट्रियों से आर्डर पहले से ही कम आ रहे हैं। दीवाली से पहले माल को मंगाया गया था। दीवाली के बाद बाजार की रफ्तार थम गई थी। जब आर्डर आने लगे तो फिर भाव के उतार चढ़ाव का दौर आ गया। आर्डर रोक दिए हैं।
- राहुल अग्रवाल, सप्लायर, आयरन सीट