Aligarh Municipal Corporation : नगर निगम में फिर बढ़ने लगा डीजल पर खर्चा, जानिए वजह
नगर निगम में डीजल पर खर्चा फिर बढ़ने लगा है। ये खर्च 20 लाख रुपये तक कम किया गया था। इसके लिए वाहनों के संचालन से लेकर मशीनों के बेवजह प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई थी। जेनरेटर भी तभी चलते जब अधिक जरूरत हो।
अलीगढ़, जेएनएन। नगर निगम में डीजल पर खर्चा फिर बढ़ने लगा है। ये खर्च 20 लाख रुपये तक कम किया गया था। इसके लिए वाहनों के संचालन से लेकर मशीनों के बेवजह प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई थी। जेनरेटर भी तभी चलते, जब अधिक जरूरत हो। दो शिफ्टों में डीजल का आवंटन भी प्रतिबंधित किया गया था। अब पुरानी व्यवस्था फिर लागू होने से डीजल पर प्रतिमाह का खर्च 90 लाख तक पहुंच चुका है।
यह है मामला
2020 में तत्कालीन नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल के कार्यकाल में प्रतिमाह डीजल का खर्च एक करोड़ रुपये के आसपास था। जब एडीए वीसी रहे प्रेम रंजन सिंह ने बतौर नगर आयुक्त नगर निगम की बागडोर संभाली तो डीजल पर खर्च कम करने के प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने जर्जर हो चुके वाहनों का संचालन बंद करा दिया। इनमें ज्यादा डीजल फुंकता था। जेनरेटर व अन्य मशीनी उपकरणों के लिए डीजल का आवंटन आधा कर दिया। पहले दो शिफ्टों में निगम के वाहनों को डीजल आवंटित होता था, नगर आयुक्त ने एक शिफ्ट में डीजल देने की व्यवस्था कर दी। डीजल की खपत रोकने के इतने प्रबंध करने के बाद एक माह ट्रायल किया गया। परिणाम ठीकठाक निकले। कोई व्यवस्था प्रभावित हुए बिना करीब 20 लाख रुपये की बचत हुई। जबकि, पिछले माह 80 लाख रुपये का खर्चा आया था।
जगह जगह पंप सेट लगाए
डीजल की खपत रोकने की इस नई व्यवस्था को सुचारू रखा गया। कम डीजल में पूर्व की भांति काम हुए। प्रेम रंजन सिंह का तबादला होने के बाद व्यवस्था पुराने ढर्रे पर आ गई है। बताते हैं कि डीजल का खर्चा 90 लाख रुपये तक पहुंच चुका है। हालांकि, अधिकारी दलील दे रहे हैं कि बारिश के चलते पंपिंग स्टेशन पूरी क्षमता के साथ चलाए गए थे, इसमें डीजल अधिक फुंका है। जगह-जगह पंप सेट भी लगाए गए थे। बिजली जाने पर जेनरेटर भी चलाए गए।