Aligarh lockdown update: थकान से चूर, फिर भी पैदल चलने को मजबूर Aligarh News
कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉक डाउन के बाद कारखाने व फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर मुश्किलों में फंस गए हैं। परिवहन के साधन नहीं होने से ये लोग पैदल अपने घरों को लौट रहे है।
अलीगढ़ [जेएनएन]: कोरोना संक्रमण के चलते देश भर में हुए लॉक डाउन के बाद शहर की सड़कों पर लोगों का जत्था नजर आ रहा है। पहली नजर में यह किसी तीर्थ यात्रियों का समूह लगता है, लेकिन कोरोना के डर से भला कौन तीर्थयात्रा पर जाएगा? दरअसल, यह दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में काम करने वाले मजदूरों का समूह है। ट्रेन व बसों के साथ ही परिवहन के साधन नहीं होने से ये लोग पैदल ही अपने घरों को लौट रहे हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से जो जहां है, वहीं रहने की अपील की है, फिर भी नौकरीपेशा व मजदूर अपने घर आना मुनासिब समझ रहे हैं।
मजदूर मुश्किलों में फंस गए
लॉक डाउन से कारखाने व फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर मुश्किलों में फंस गए हैं। एक तो उन्हें मजदूरी नहीं मिली, दूसरा उन्हें घरों तक जाने को वाहन नहीं मिल रहे हैं। वे कई मील लंबा सफर तय कर पैदल ही घरों को जाने को मजबूर हैं। इस दौरान उन्हें तमाम बंदिशों के साथ ही अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मुश्किल में कर रहे सफर
टप्पल बॉर्डर के रास्ते अलीगढ़ पहुंचे कासगंज के नगला खंगार निवासी बबलू, पूरन, सचिन व जीतू दिल्ली में आइसक्रीम फैक्ट्री में काम करते थे। लॉक डाउन हो जाने से फंस गए। घर जाने को कोई वाहन नहीं मिला, इसलिए पैदल ही निकल पड़े। सुबह से भूखे हैं। किसी तरह वह करीब 110 किलोमीटर लंबा सफर तय कर पुलिस अफसरों के हाथ-पांव जोड़कर टप्पल बार्डर से पहुंचे हैं। रास्ते में लोधा खेरेश्वर चौराहे पर पुलिस कर्मियों ने फल खाने को दिए। यही हाल बल्लभगढ़ से आए अतरौली क्षेत्र के बीसनपुर गांव के जीतू ने भी बयां किए।
साइकिल से जा रहे कानपुर
लोधा : कानपुर, फतेहपुर के अर्जुन व दिलीप नोएडा में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। फैक्ट्री बंद हो जाने और जेब में रुपये न होने पर साइकिल से घर जा रहे थे। पुलिस ने दोनों को खेरेश्वर चौराहे पर रोक लिया। पूछताछ पर दोनों ने अपनी पीड़ा बयां कर दी। जिस पर पुलिस कर्मियों ने उन्हें खाना खिलाया और कानपुर जाने की इजाजत दे दी।
अपनों का इंतजार कर रहे परिजन
अलीगढ़ सासनी गेट न्यू गोपालपुरी के गौरव सक्सेना उर्फ किट्टू ने बताया कि उसके चाचा नितिन सक्सेना व चाची मोनिका सक्सेना फरीदाबाद के आनंदपुर आश्रम नेहरू ग्राउंड में रहकर नौकरी करते हैं। चाची की तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए वे लॉकडाउन से पहले ही फरीदाबाद से अलीगढ़ के लिए निकल चुके थे। उत्तर प्रदेश की सीमा पर पहुंचने पर लॉकडाउन का समय हो गया। उत्तर प्रदेश की सीमा सील होने की वजह से उन्हें वापस फरीदाबाद जाना पड़ गया। उन्हें उम्मीद है कि हरियाना सरकार उन्हें अलीगढ़ तक भिजवाने की व्यवस्था करेगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने बॉडर तक बसें चला दीं हैं। हरियाना सरकार को भी व्यवस्था करनी चाहिए।
ढाबा स्वामी ने मुसाफिरों को खिलाया खाना
खेरेश्वर चौराहा स्थित गोस्वामी ढाबे के स्वामी ने लॉक डाउन के चलते परेशान होकर पैदल जा रहे भूखे, प्यासे राहगीरों को रोक-रोककर निश्शुल्क खाना खिलाया और रास्ते के लिए खाने के पैकेट व फल भी मुहैया कराए। यहां एसओ लोधा प्रेमपाल सिंह, एसआइ चंचल सिरोही, मुनेंद्र गिरी, कमल, अभि गोस्वामी, विनोद कुमार, हेमेंद्र शर्मा, धनेश रावत, डिगंबर सिंह आदि का सहयोग रहा।