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आजादी की यादों को सहेजे हैं ताला नगरी अलीगढ़ का केंद्रीय गुरुद्वारा Aligarh News

1940 में प्राचीन गुरुद्वारा देहलीगेट से गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तन निकाला गया था। यह नगर कीर्तन सुरेंद्र नगर स्थित केंद्रीय गुरुद्वारा पहुंचा। यह परंपरा तभी से चली आ रही है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:13 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:00 AM (IST)
आजादी की यादों को सहेजे हैं ताला नगरी अलीगढ़ का केंद्रीय गुरुद्वारा Aligarh News
आजादी की यादों को सहेजे हैं ताला नगरी अलीगढ़ का केंद्रीय गुरुद्वारा Aligarh News

 अलीगढ़  (जेएनएन)तहजीव और तालीम के शहर अलीगढ़ में सद्भाव की कई मिसाल हैं। सुरेंद्र नगर स्थित केंद्रीय गुरुद्वारा आजादी की यादों को सहेजता है। बंटवारे के दर्द झेल चुके सिख समाज के लोगों पर कुछ मरहम लगाने का भी काम किया। यहां उन्हें आश्रय दिया गया था। कभी बमुश्किल 40 से 50 लोगों के बैठने की जगह थी, मगर आज गुरुद्वारा की भव्यता देखते ही बनती है। वर्ष 1940 में केंद्रीय गुरुद्वारा में पहला नगर कीर्तन पहुंचा था, जिसका भव्य स्वागत किया गया था।

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1934 में हुई थी स्‍थापना 

सुरेंद्र नगर स्थित केंद्रीय गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा की स्थापना 1934 में हुई थी। गुरुद्वारा साहिब के लिए जमीन राजेंद्र कुंवर ने दी थी। गुरुद्वारा के प्रवक्ता संदीप गांधी बताते हैं कि बाद में गुरुद्वारा कमेटी जमीन खरीदती रहीं। पहले गुरुद्वारा एक छोटे कमरे में होता था, जिसमें बमुश्किल 50 लोग ही बैठ पाते थे। वर्ष 1961 में गुरुद्वारा साहिब के भवन का निर्माण हुआ। उसी समय से गुरुद्वारा में लंगर व्यवस्था शुरू हुई और लोगों के ठहरने की भी व्यवस्था की जाने लगी। 1947 में भारत-पाक बंटवारे के समय सिख समाज के लोगों ने केंद्रीय गुरुद्वारा में आश्रय लिया था। धीरे-धीरे यह शरणार्थी व्यवसायों में लगते गए। शुरुआत में वर्ष 1961 में गुरुद्वारा कमेटी में लाला हंसराज, मालिक सिंह, पंजाब सिंह, चरन सिंह, केसी पाल, ज्ञान सिंह, भगत चरन, करम सिंह भाटिया, मदन मोहल होरा आदि कमेटी में थे। 

पहला नगर कीर्तन पहुंचा 

1940 में प्राचीन गुरुद्वारा देहलीगेट से गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व पर नगर कीर्तन निकाला गया था। यह नगर कीर्तन सुरेंद्र नगर स्थित केंद्रीय गुरुद्वारा पहुंचा। यह परंपरा तभी से चली आ रही है। 

रोशनी से नहाया गुरुद्वारा

गुुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर केंद्रीय गुरुद्वारा रोशनी से नहा उठा है। उसकी भव्यता देखते ही बनती है। पर्व को लेकर सिख समाज में खासा उत्साह है। मंगलवार को सुबह आठ बजे से गुरुद्वारा में कार्यक्रम शुरू हो गए। सबद-कीर्तन के बाद गुरु का अटूट लंगर भी हुए। सुबह 10 बजे से विशाल रक्तदान शिविर लगाया गया।  

प्रभातफेरी का हुआ स्वागत 

सीमा टाकीज के निकट पंजाबी क्वाटर्स गुरुद्वारा में मंगलवार को सुबह आठ बजे प्रभातफेरी का स्वागत किया गया। धर्म प्रचारक भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अतिथियों को सरोपा भेंट किया जाएगा। 13 नवंबर को सबद-कीर्तन होगा। रागी जत्था कीर्तन से श्रद्धालुओं को निहाल करेंगे। 14 नवंबर को पुलिस लाइन में गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में सबद-कीर्तन होगा। 

गुरु की है सब कृपा 

रवि प्रीत सिंह एमबीए करने के बाद चार वर्ष तक हांगकांग में नौकरी की। वहां अच्छा वेतन था और सुविधाएं भी अच्छी थीं, मगर गुरुद्वारा साहिब जैसा कुछ नहीं था। नरेंद्र कौर कहती हैं 30 वर्षों से कीर्तन कर रही हूूं। गुरु ग्रंथ साहिब की इतनी कृपा है कि मैं बता नहीं सकती हूं। गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर एक महीने से नगर कीर्तन निकाल रहा था। वहीं अवतार सिंह लंगर में पूरी सेवा देतेे हैं । वो कहते है ऐसा करने से मेरे ऊपर गुरु की कृपा बनी रहती है। यह मेरा सौभाग्य है कि गुरु नानक देव के 550वें प्र्रकाश पर्व पर मैं संगत की सेवा करूंगा। डॉ. बिंजुल जुनेजा भी गुरुद्वारा में सच्चे मन से माथा टेकने जाती हैं और मानना है ऐसा करने से सारी मनोकामना पूरी होती है। वह सभी के सहयोग से गुरुद्वारा में रक्तदान शिविर लगाती हैं। उनकी कोशिश होती है कि अधिक से अधिक सबकी सेवा कर सकेें।


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