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अलीगढ़ के कारोबारी की जुबानी, योग से हुई 'हर्निया'' की विदाई Aligarh news

योग निरोग रहने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है। आज भी तमाम लोग हैं जिन्होंने योग से जटिल और असाध्य बीमारियों को मात दिया है। आपरेशन तक की नौबत आ गई मगर उन्होंने योग-प्राणायाम से बीमारी से निजात पा गए और अब बिल्कुल फिट हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 10:06 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 10:17 AM (IST)
अलीगढ़ के कारोबारी की जुबानी, योग से हुई 'हर्निया'' की विदाई Aligarh news
योग निरोग रहने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है।

राजनारायण सिंह, अलीगढ़ । योग निरोग रहने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है। आज भी तमाम लोग हैं, जिन्होंने योग से जटिल और असाध्य बीमारियों को मात दिया है। आपरेशन तक की नौबत आ गई, मगर उन्होंने योग-प्राणायाम से बीमारी से निजात पा गए और अब बिल्कुल फिट हैं। यर कारोबारी भूपेश मिड्डा की भी कहानी कुछ इस तरह से है। वो हर्निया से कई वर्षों से पीड़ित थे, हर कोई उन्हें आपरेशन की सलाह देता, मगर उन्होंने योग-प्राणायाम से हर्निया जैसी बीमारी को ठीक कर लिया, अब पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।

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कारोबारी होने के नाते सेहत पर ध्‍यान नहीं दे पाते

भूपेश मिड्डा नौरंगाबाद स्थित बी. दास कंपाउंड में रहते हैं। हार्डवेयर कारोबारी होने के चलते जिंदगी में भागदौड़ अधिक रहती थी। सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते थे। वर्ष 2017 में हर्निया से पीड़ित हो गए। छह महीने तक तमाम जगहों पर इलाज कराया, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में डाक्टरों ने आपरेशन की सलाह दी। इसपर भूपेश परेशान हो गए। उनकी पत्नी रुपाली मिड्डा महिला पतंजलि योग से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने पति को सलाह दी कि कुछ दिनों तक योग-प्राणयाम कर लो, उससे आराम मिल जाएगा। मगर, भूपेश ने इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब डाक्टर आपरेशन के लिए कह रहे हैं तो फिर योग-प्राणयाम से कैसे ठीक होगा? इसपर रुपाली जिद पर अड़ गईं। उन्होंने कहा कि मेरी बात मानकर सिर्फ छह महीने योग-प्राणायाम कर लो, उसके बाद कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके बाद भूपेश अपनी पत्नी रुपाली के निर्देशन प्रतिदिन योग-प्राणायाम करने लगे। अनुलोम-विलोम, कपालभाति के साथ आसन की कई क्रियाएं करने लगे। भूपेश बताते है कि छह महीने में ही उन्हें आराम मिलने लगा। धीरे-धीरे उनकी दिक्कत खत्म होने लगी। एक साल में तो वो बिल्कुल फिट हो गए। अब दो साल हो गए, मगर उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं है। शरीर भी अब स्वस्थ रहता है। पहले चलने-फिरने में दिक्कत होती थी। भूपेश कहते हैं कि वो विश्वास नहीं कर सकते हैं कि जिस चीज का इलाज सिर्फ आपेरशन था वो योग-प्राणायाम से ठीक हो गया। इन दो वर्षों में उन्होंने सैकड़ों लोगों को योग की सलाह दी है, जो नियमित योग कर रहे हैं। रुपाली कहती हैं कि पति के स्वस्थ होने के बाद उनके पास तमाम लोग आने लगे, उन्हें योग-प्राणयाम की वह भी सलाह देती हैं। योग शिक्षिका होने के चलते वह शिविरों में भी जाती हैं।

अस्थमा को दी मात, अब पूरी तरह हैं फिट

नौरंगबाद स्थित आंबेडकर कालोनी निवासी महिपाल सिंह बैंक से सेवानिवृत्त हैं। वर्तमान में उनकी उम्र 71 साल है। महिपाल सिंह बताते हैं कि 10 वर्ष पहले वो अस्थमा से पीड़ित हो गए थे। स्थिति यह हो गई थी कि रात-रात पर सो नहीं पाते थे। सांस उखड़ने लगती थी, कई बार तो ऐसा लगता था कि जीवन नहीं बचेगा। 2011 में टीवी पर योग गुरु बाबा रामदेव का कार्यक्रम देखा। वो अस्थमा से बचाव के लिए योग क्रियाएं बता रहे थे। महिपाल सिंह ने सोचा कि कुछ दिन इसे भी करके देख लेते हैं, उन्होंने अनुलोम-विलोम, कपालभाति की शुरुआत करदी। 10 दिन में ही उन्हें राहत मिलने लगा। दो महीने में वह पूरी तरह से स्वस्थ्य हो गए। अब वह प्रतिदिन पांच किमी टहलने जाते हैं। एक घंटे योग-प्राणायाम करते हैं। महिपाल सिंह कहते हैं कि योग की बदौलत वह 71 वर्ष की उम्र होने के बावजूद उनमें युवाओं जैसा जोश बना रहता है।


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