अलीगढ़ का हादसा : 40 मिनट के सफर में मौत हमसफर
जहां नियम-कायदों को ताक में रखकर यातायात व्यवस्था का मखौल उड़ाया जाता हैं, वहां वड़े हादसे होते हैं।
अलीगढ़ : जहां नियम-कायदों को ताक में रखकर यातायात व्यवस्था का मखौल उड़ाया जाता है, वहां कफन की दुकान हमेशा खुली रहती है। आगरा हाईवे पर मडराक के पास मंगलवार को हुआ हादसा इसका ताजा उदाहरण है। ट्रेवल्स एजेंसी संचालकों की तय समय सीमा पर खरा उतरने के लिए बस चालक सारे नियम तोड़ देते हैं। अलीगढ़ से सासनी तक की दूरी तय करने के लिए 40 मिनट का वक्त दिया जाता है, इससे ज्यादा वक्त लगा तो 20 रुपये प्रति फेरा कटता है। पेनल्टी से बचने के चक्कर में बसें अंधाधुंध दौड़ाई जाती हैं। 40 मिनट के इस सफर में अक्सर मौत हमसफर बन जाती है।
प्राइवेट बसों का मार्ग के साथ समय भी निर्धारित होता है। कंपनी बाग पर पर्ची कटने के बाद सासनीगेट चौराहे पर बैठा ट्रेवल्स एजेंसी का कर्मचारी प्रत्येक बस के फेरे का समय नोट करता है। बताते हैं कि 40 मिनट में सासनी तक दूरी तय करनी होती है, जिससे ज्यादा से ज्यादा फेरे लगाए जा सकें। समय ज्यादा लगने पर चालक पर 20 रुपये पेनल्टी लगती है। हादसे के बाद जब डीएम, एसएसपी मडराक पहुंचे तो ग्रामीणों ने प्राइवेट बसों की समय सीमा खत्म करने की गुहार लगाई। उनका कहना था कि पेनल्टी से बचने के लिए चालक अंधाधुंध बसें दौड़ाते हैं। पूर्व में भी कई हादसे चालकों की लापरवाही से हो चुके हैं। रसूखदार लोगों के प्रभाव में आकर कार्रवाई नहीं की जाती। जिस जगह हादसा हुआ, वहां मोड़ था। सासनी की ओर से आए टेंपो की गति धीमी हो गई, मगर बस की गति बरकरार थी। टेंपो को ओवरटेक करते समय बस उसी रफ्तार से दूसरी बस से जा टकराई। बस चालक गति धीमी कर लेता तो शायद हादसा न होता। एजेंसी संचालक इसमें बरात की बस के चालक की गलती बता रहे हैं। मडराक पुलिस मिनी बस मालिक से थाने में पूछताछ कर रही है। दोनों वाहनों के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है।
इनका चल रहा है इलाज
जिला अस्पताल में भर्ती यामीन इस्लामाबाद भट्टा क्वार्सी, साजिद जीवनगढ़, कल्लो नगला भूरा सासनी, मेडिकल में भर्ती भोला हनुमानपुरी, रामप्रसाद बेगपुर, जगदीश मडराक, देवेंद्र बेगपुर, गुलाम हुसैन शाहजमाल, अरमान गांव हरदोई, जगदीश मैंडू हाथरस, इमरान फिरदौस नगर, मोहसिन मालगोदाम, रूसा मेडिकल सेंटर के आइसीयू में राजकुमारी, संगीता बिजाहरी सासनी, कृष्णा धिमरपुरा सासनी, जीतू इनावली दाऊजी में भर्ती हैं। वार्ड में महीपाल सहावर कासगंज, सोनू नगला माधो हाथरस, रामवीर सिंह जैनपुर जलेसर एटा भर्ती हैं। लोधा स्वास्थ्य केंद्र में भी दस लोगों उपचार कराया गया। मामूली रूप से चोटिल लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।
खिड़की-शीशे तोड़कर निकाले गए थे क्षत-विक्षत शव
यह वो मंजर था, जिसे देखकर एक बार तो मौत भी सिहर उठी होगी। क्षेत्रीय ग्रामीणों का कलेजा ही कांप गया, जब मृतकों के क्षत-विक्षत शव देखे। एक युवक का सिर कुचल गया। ज्यादातर के सिर व चेहरे पर चोट थीं। ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी। पुलिस व प्रशासनिक मदद का इंतजार किए बगैर इन लोगों ने बस में फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला। सड़क से गुजर रहे वाहनों को एंबुलेंस बनाया और सीधे अलीगढ़ भिजवाया। ग्रामीणों की इस बहादुरी ने कई लोगों की जान बचाने का काम किया। देर से पुलिस की पीआरवी पहुंची तो लोगों ने उसे घेरकर हंगामा किया।
बसों की भिड़ंत की आवाज करीब एक किमी दूर तक सुनाई दी। हादसे का पता लगते ही ग्रामीण घर, दुकानें छोड़कर दौड़ पड़े। सबसे पहले वाहनों में फंसे यात्रियों को बाहर निकाला। सबसे पहले घायलों को वाहनों से अलीगढ़ भिजवाया। तब तक पुलिस पीआरवी वैन भी आ गई। सिपाही भी घायलों को बचाने में जुट गए। हाईवे एंबुलेंस घायलों को अस्पताल ले गई। फिर एक के बाद एक आधा दर्जन एंबुलेंस पहुंचीं। ग्रामीणों ने एंबुलेंस का इंतजार किए बगैर ही कुछ घायलों को लोडर टेंपों से जिला अस्पताल भेज दिया था। करीब 15 मिनट बाद मडराक पुलिस पहुंची। ग्रामीणों ने बताया कि मिनी बस की एक साइड दूसरी बस से रगड़ती हुई निकली। इससे मिनी बस में लटकी सवारियां दोनों वाहनों के बीच आ गईं। डिवाइडर की कमी ग्रामीणों का कहना था कि अगर हाईवे पर डिवाइडर होता तो हादसा इतना भयावह नहीं होता। आगरा हाईवे पर रूसा मेडिकल सेंटर से 30 मीटर आगे तक ही डिवाइडर है, फिर यह खत्म है। इस कारण ओवरटेक करते समय अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। हादसे के कारण बरात की बस का एक छोटा हाथी को ओवरटेक करना भी बताया जा रहा है। सम्मानित होंगे साहसी ग्रामीण : एसएसपी डीएम चंद्रभूषण सिंह व एसएसपी अजय साहनी ने घायलों की मदद करने वाले ग्रामीणों की प्रशंसा की। एसएसपी ने बताया कि मदद करने वाले ग्रामीणों का वीडियो हमारे पास है। सभी को सम्मानित किया जाएगा। उन्हें पुलिस मित्र भी बनाया जाएगा। दुर्घटनाग्रस्त बसों के परमिट का आरटीओ में रिकार्ड नहीं हादसे में 11 की मौत के बावजूद परिवहन विभाग दोनों बसों के परमिट की वैधता संबंधी रिपोर्ट नौ घंटे बाद भी नहीं दे पाया। 'दैनिक जागरण' ने जब आरटीओ राधेश्याम से पूछा तो जवाब मिला कि दोनों बसों के स्थायी या अस्थायी दोनों ही किस्म के परमिट जारी करने का हमारे पास कोई रिकार्ड नहीं है। यह हाल तब है, जबकि 24 सीटर मिनी बस में 40-50 सवारियां थीं और 54 सीटर दूसरी बस में 60 से ज्यादा बराती थे। हादसे की जांच एआरटीओ अमिताभ चतुर्वेदी को दी गई है।
परिवहन विभाग ने हादसे की रिपोर्ट जरूर परिवहन आयुक्त पी. गुरु प्रसाद को भेज दी है। पहली रिपोर्ट में एक की मौत व 12 घायल बताए गए। जब यह आंकड़ा बढ़ा तो अन्य की सूचना फोन पर नोट कराई। दुर्घटनाग्रस्त बस (संख्या यूपी 81बीटी-4054) अलीगढ़ के भुजपुरा स्थित मुल्ला पाड़ा निवासी यामीन खां के नाम पंजीकृत है। यह 27 सितंबर तक फिट है। मिनी बस (संख्या-यूपी 81एएफ 3848) भी अलीगढ़ के ही कृष्णापुरी मठिया निवासी केशव सिंह सोलंकी के नाम पंजीकृत है। इसकी फिटनेस वैधता 16 नवंबर तक है। दोनों बस मालिकों को नोटिस आरटीओ ने दोनों बस मालिकों को नोटिस जारी किए हैं। सूत्रों के मुताबिक दोनों बसों को ऑल इंडिया परमिट है। लखनऊ स्थित मुख्यालय से इसे जारी करते हैं। वो भी तब, जबकि लोकल अफसर बस के फिट होने का सर्टिफिकेट दें। इन बसों को किस रूट के लिए परमिट मिला है, अभी स्पष्ट नहीं। जब ये बसें किसी दूसरे रूट पर ले जानी होती हैं तो अस्थायी परमिट अलग से लेना होता है। यह स्थानीय अफसर जारी करते हैं। इसका पूरा रिकार्ड रहता है। पर, इन बसों का बगैर किसी रिकार्ड के यहां दौड़ना यह बताता है कि परिवहन अफसरों के साथ इनकी पूरी साठ-गांठ थी। फर्राटा मारने पर एक भी कार्रवाई नहीं
मडराक बस हादसे के लिए बारिश और रफ्तार ही जिम्मेदार भले है, लेकिन यहां के परिवहन विभाग की बेबसी का आलम यह है कि इनके पास तेज गति मापने का कोई यंत्र तक नहीं है। मुख्यालय ने व्यावसायिक वाहनों की गति पर नियंत्रण के लिए जुलाई में स्पीड गवर्नर लगाने के निर्देश दिए, लेकिन अभी तक किसी बस में यह नहीं लगवा सके। आरटीओ की प्रवर्तन टीम ने ओवरलोडिंग पर तो एक अप्रैल से 21 अगस्त के बीच 291 यात्री वाहनों का चालान किया है, लेकिन ओवरस्पीड पर एक का भी नहीं किया। बॉडी देखकर होती है फिटनेस
अलीगढ़ संभाग में करीब 1200 प्राइवेट बसें हैं। आरआइ इनकी बॉडी देखकर वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र दे देते हैं, जबकि बसों के टायर, इंडीकेटर, अग्निशमन यंत्र, हेडलाइट, बैकलाइट, हार्न व फर्स्ट एंड बॉक्स ठीक हैं या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। अन्य प्रदेश के लिए जारी होने वाले अस्थायी परमिट में भी नियमों की अनदेखी होती है। हर हादसे के बाद रस्म अदायगी के तौर पर जांच और कार्रवाई के निर्देश मुख्यालय से लेकर संभाग के अफसर जारी करते हैं, होता कुछ नहीं। आरटीओ राधेश्याम ने बताया कि एआरटीओ अमिताभ चतुर्वेदी हादसे की जांच करेंगे। पता लगा है कि दोनों बसों के पास ऑल इंडिया परमिट थे। यह लखनऊ से जारी होते हैं। इनका वहीं रिकार्ड रहता है। दोनों वाहन स्वामियों को नोटिस दे दिया है। कागजों की जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई करेंगे। ममता ने खोया पति और मासूम बेटा जेएन मेडिकल कॉलेज में जिंदगी-मौत से जूझ रही हाथरस जंक्शन के टिकारी निवासी ममता को नहीं पता कि उसका सबकुछ हादसे ने छीन लिया। पति सोमेश कुमार को तो हादसे ने लीला ही, गोद में बैठा आठ माह बेटा कार्तिक भी नहीं बच सका। सोमेश नोएडा में किसी कंपनी में नौकरी करते थे। पत्नी व बेटा के साथ गांव से नोएडा जा रहे थे। सोमेश के जीजा रजनी ने बताया कि उनके एक बेटा और हुआ था, उसकी पहले ही मौत हो चुकी है। मां का सहारा था मलखान सादाबाद (हाथरस) के गांव गुखरौली के मलखान सिंह की मौत मां बरफी देवी पर पहाड़ बनकर टूटी है। बरफी के बुढ़ापे में मलखान ही सहारा थे। मलखान सिंह अलीगढ़ में बहन किरनदेवी निवासी आरकेपुरम सासनीगेट से मिलने आ रहे थे। उनके भांजे पंकज शर्मा ने बताया कि मामा ट्रक चालक थे। उनकी शादी भी नहीं हुई थी। नानी की देखरेख वो ही करते थे। बेटी का इंतजार करती रही मां
कामिनी की मां विष्णुपुरी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती हैं। मां के लिए वह रोज खाना लेकर आती थीं। दो साल पहले ही उसकी शादी हुई थी। मंगलवार को भी वह खाना लेकर घर से निकली थीं और हादसे का शिकार हो गई। मां इंतजार करती रही। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे पति डेविड कई बार गश खाकर गिरे।
---- जिंदगी से भी तबादला
हाथरस निवासी हरविंदर की पत्नी साधना सिंह की भी जान चली गई। हरविंदर गाजियाबाद में पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड में अवर अभियंता हैं। साधना सासनी के प्राथमिक स्कूल में शिक्षिका थीं। कुछ दिन पहले ही उनका तबादला बुलंदशहर के लिए हुआ था। मंगलवार को वे तबादले के सिलसिले में सासनी आई थीं। चार माह पहले हुई शादी
मोनिका की शादी 26 मई को हुई थी। शव की शिनाख्त न होने से परिजनों तक खबर नहीं पहुंची। सोशल मीडिया पर खबर वायरल हुई तब परिजनों ने जानकारी ली। पोस्टमार्टम पर पहुंचे परिजनों ने शिनाख्त की।
अब्दुल की मौत से नौ भाई
बहनों पर टूटा पहाड़ सिविल लाइंस क्षेत्र के जीवनगढ़ गली नंबर दो में रहने वाले अब्दुल वाहिद का बेटा इमरान व साढू मैराज निवासी बरौला के साथ बरात में गए थे। उन्हें क्या पता था ये उनका आखिरी सफर होगा। हादसे में अब्दुल वाहिद की मौत हो गई। बेटा व साढू घायल हो गए। शाहिद ने बताया कि पिताजी टायर पंक्चर जोड़ने की दुकान करते थे। इसी से पांच बहन व चार भाइयों की परवरिश चल रही थी। सासनी में नियुक्त हैं शिक्षिकाएं हादसे में मृत सभी शिक्षिकाएं सासनी विकास खंड (हाथरस) के प्राइमरी स्कूलों में नियुक्त थीं। मिनी बसों से ही इनका आना-जाना था। गीता समामई प्राइमरी स्कूल, मोनिका नगला रतना, अंजली नगला भूरा, साधना नगला रामबल प्राइमरी स्कूल के साथ कामिनी भी एक स्कूल में नियुक्त थीं। शिक्षिका कृष्णा कुमारी रामनगर व शिक्षिका कुसुम नगला फतेला प्राइमरी स्कूल का इलाज चल रहा है। अंजली का हाथरस के नगला वैभव में मायका है।
डीएम ने जताया दुख
हादसे को लेकर दुखी हूं। पीड़ित परिवारों के साथ प्रशासन की पूरी संवेदनाएं हैं। हादसे में मजिस्ट्रेटी जांच के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को नियुक्त कर दिया है। मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख व घायलों को 50-50 हजार का मुआवजा दिया जा रहा है। हादसे की मुख्यमंत्री को भी जानकारी दे दी गई है। घटना से जुड़ी बसों के दस्तावेजों की भी जांच कराई जा रही है। आगे शासन से निर्देश मिलेंगे, उन पर अमल किया जाएगा। राजनेताओं ने हादसे पर जताया दुख
कोल विधायक अनिल पाराशर, शहर विधायक संजीव दीक्षित, बरौली विधायक दलवीर सिंह, सांसद सतीश गौतम, भाजपा नेता राजीव अग्रवाल भाजपा नेताओं के साथ पूर्व सपा विधायक जफर आलम, पूर्व सपा विधायक जमीरउल्लाह खां, सपा जिलाध्यक्ष अशोक यादव ने जिला अस्पताल, मेडिकल व मोर्चरी पहुंच कर हादसे में हताहत हुए लोगों की जानकारी ली। हादसे पर दुख जताते हुए परिजनों को सांत्वना दी।
मुकंदपुर हादसे से नहीं लिया सबक इस हादसे ने बीते साल 27 फरवरी को आगरा हाईवे पर ही मुकंदपुर पर हुई दुर्घटना की याद को ताजा कर दिया, तब पांच लोगों की मौत हुई थी। हादसे की वजह भी बस चालकों की लापरवाही बनी। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने उस हादसे से सबक नहीं लिया। यही वजह है कि एक और भीषण हादसा हो गया। तब सोलंकी ट्रेवल्स की बस टै्रक्टर-ट्रॉली को ओवरटेक करने के चक्कर में ट्रक से भिड़ी थी। इस हादसे में फरहान जामुनका चंडौस, पवन कुमार नगला काठ खुर्जा देहात, राज कुमार महेंद्र नगर, प्रीती अतरौली समेत पांच की मौत हुई थी। हादसे के बाद हाईवे पर एक माह तक बसों का संचालन बंद रहा था। मृतकों के परिवारों को मिले दस-दस लाख मुआवजा हादसे की जानकारी मिलने पर पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह पोस्टमार्टम गृह पहुंचे। उन्होंने शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रदेश सरकार से हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को दस-दस लाख व घायलों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की। राहत कार्य में जुट गए कांग्रेसी
हादसे की जानकारी मिलने पर शहर कांग्रेस के कार्यकर्ता जिला अस्पताल पहुंच गए। उन्होंने वाहनों से आ रहे घायलों को उपचार के लिए पहुंचाना शुरू कर दिया। पूर्व एमएलसी विवेक बंसल ने राजस्थान से शोकाकुल परिवार को संवेदनाएं दी हैं। इस मौके पर बृजेश शर्मा, शाहिद खान, अविनाश शर्मा, आनंद बघेल,असलम जमील, नफीस शेरवानी, तेजवीर बघेल आदि मौजूद थे।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने मेडिकल में संभाली कमान
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मेडिकल पहुंच गए। पैरामेडिकल स्टाफ के साथ जुटे रहे। अध्यक्ष इमरान सैफी व मोहम्मद आमिर खान, शरीक कुरैशी, मुनव्वर सलाम आदि ने मदद की।
मृतकों के आश्रितों को दी जाए सरकारी नौकरी रालोद ने हादसे पर गहरा दुख जताया है। जिलाध्यक्ष रामबहादुर चौधरी व शहर अध्यक्ष अब्दुल्ला शेरवानी, पूर्व विधायक भगवती प्रसाद सूर्यवंशी ने मृतक आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।