हाथरस में दिवाली के बाद आलू ने निकाला किसानों का दिवाला
जनपद में आलू के अच्छे दाम मिलने के लालच में फंसे अन्नदाताओं के अरमानों का मोल अब मंडियों में नहीं मिल रहा है।
हाथरस (जेएनएन)। जनपद में आलू के अच्छे दाम मिलने के लालच में फंसे अन्नदाताओं के अरमानों का मोल अब मंडियों में नहीं मिल रहा है। किसानों ने जिस उम्मीद के साथ खेतों में आलू बोया, वह बाजार में पंजाब के नए आलू की आवक से धराशायी हो गई। दिवाली के बाद नया आलू मंडी आने के कारण पुराने आलू को कोई भाव नहीं मिल रहे हैैं। कोल्ड स्टोर में भंडारण की अवधि समाप्त होने के कारण संचालकों ने भी किसानों को नोटिस देकर कोल्ड से आलू बाहर निकाल दिए हैैं। लागत न निकलने से किसान आलूू नहीं उठा रहे हैैं। कोल्ड स्टोर संचालकों की मानें तो करीब 15 से 20 प्रतिशत आलू अभी स्टोरों में रखा हुआ है। आलू फिर से सडऩे की स्थिति में हैैं। आलू की बेकदरी से किसानों के साथ कारोबारियों का भी बुरा हाल है।
जनपद में हैं 155
जनपद में 155 कोल्ड स्टोर संचालित हैैं। दीपावली से पहले बाजार में नए आलू न मिलने पर आलू प्रति कट्टा (50 किलो) 800 से 900 रुपये रेट था, लेकिन बाद में मंडी में पंजाब का नया आलू आने पर दाम लगातार गिरते चले गए। मंगलवार को मंडी में आलू का भाव 200 से 300 रुपये प्रति कट्टा था। गुल्ला बीज का आलू 80-100 रुपये प्रति कट्टा था।
लागत भी नहीं निकल रही
किसानों ने कोल्ड में आलू रखने का प्रति कट्टा 120 से 130 रुपये तक भाड़ा दिया है। कोल्ड से मंडी तक आलू पहुंचाने के लिए 60 से 80 रुपये खर्च करने पड़ते हैैं। दीपावली से पहले खेतों से ही किसान का आलू 700 रुपये प्रति कट्टा तक बिका। इससे किसानों को उम्मीद थी कि आलू का भाव अभी और बढ़ेगा, जिसके चलते किसानों ने आलू नहीं बेचा। जिन किसानों ने दीपावली से पूर्व अपना आलू बेच लिया उन्हें आलू के भरपूर दाम मिल गए, लेकिन अब किसानों का दिवाला निकाल रहा है।
नए के दाम बढ़ रहे, पुराने के घट रहे
बाजार में फुटकर में नए आलू का रेट 15 से 18 रुपये प्रति किलो तक है, जबकि पुराने आलू का रेट 10-12 रुपये प्रति किलो है। मंडी में सस्ता होने के बावजूद बाजार में पुराने आलू के दाम फुटकर व्यापारियों ने नहीं गिराए हैैं। रेटों में अधिक अंतर न होने की वजह से लोग नए आलू को पसंद कर रहे हैैं।
800 का बोरा 200 में
आढ़ती राजेंद्र दीक्षित का कहना है कि दिल्ली की मंडियों में पंजाब का आलू आने से यहां के आलू को पंसद नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि 800 रुपये बिकने वाला आलू का बोरा 200 से 300 में भी दिल्ली की मंडी में कोई लेने को तैयार नहीं है।
खत्म हो रहा भंडारण का समय
सासनी के कोल्ड स्टोर स्वामी अर्जुन सिंह ने बताया कि इस समय करीब 15 प्रतिशत आलू कोल्ड स्टोरों में रखा हुआ है। व्यापारियों पर उधारी का पैसा फंसा हुआ है। भंडारण का समय खत्म हो रहा है। आलू सडऩे की उम्मीद है।
किसान बोले
आलू की आवक कम हो
गांव तुरसैन के किसान राकेश कुशवाह का कहना है कि दीपावली से पहले अच्छे दाम थे। हमें क्या पता था कि दीपावली के बाद आलू हमारा दीवाला निकाल देगा। सरकार को चाहिए कि अन्य प्रदेश के आलू की आवक को कम किया जाए और प्रदेश के आलू की खरीदारी की व्यवस्था की जाए। किसान रवेंद्र कुमार का कहना है कि मंडी, कोल्ड भाड़ा, जोताई, बोवाई मिलाकर भी आलू की लागत नहीं निकल रही। शुरू में अच्छे भाव थे तो उम्मीद थी आलू मुनाफे का सौदा होगा, लेकिन अब तो यह घाटे का सौदा बन गया है।
पांच वर्ष में आलू का रकबा
वर्ष, रकबा
2013-14, 37000 हेक्टेयर
2014-15, 39000 हेक्टेयर
2015-16, 42000 हेक्टेयर
2016-17, 45000 हेक्टेयर
2017-18, 45000 हेक्टेयर
2018-19, 48000 हेक्टेयर
आलू की फसल घाटे की स्थिति में नहीं
जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह का कहना है कि बाहर का नया आलू आने से पुराने आलू के दाम में गिरावट जरूर आई है, लेकिन अभी आलू की फसल कहीं भी घाटे की स्थिति में नहीं है। विभाग ने पहले ही किसानों को कोल्ड से निकालकर अच्छे दामों में बेचने के लिए आगाह किया था, लेकिन कुछ किसानों ने अच्छे मुनाफे के लिए कोल्ड से आलू नहीं निकाला। ताजा आंकड़ों के मुताबिक दो प्रतिशत आलू ही कोल्ड स्टोरों में रखा हुआ है।