नौ साल बाद किशोरी से दुष्कर्म में दोषी को आठ साल कारावास व 15 हजार रुपये जुर्माना
किशोरी के अपहरण व दुष्कर्म के मामले में नौ साल बाद आरोपित को सजा सुनाई गयी। एडीजे नंद प्रताप ओझा की अदालत ने मिशन शक्ति के तहत करीब नौ साल पहले किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म के मामलेे में आरोपित को आठ साल की सजा सुनाई है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। एडीजे (पाक्सो एक्ट) नंद प्रताप ओझा की अदालत ने मिशन शक्ति के तहत बन्नादेवी क्षेत्र में करीब साढ़े नौ साल पहले किशोरी का अपहरण कर दुष्कर्म के मामले में आरोपित को दोषी करार देते हुए आठ साल की सजा सुनाई है। साथ ही 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसमें पीडि़ता के पक्षद्रोही होने के बावजूद अदालत ने मेडीकल परीक्षण व कोर्ट में हुए बयानों के आधार पर सजा सुनाई है।
आरोपित ने किशोरी को 20 दिन कानपुर में रखा
विशेष लोक अभियोजक महेश ङ्क्षसह ने बताया कि घटना थाना बन्नादेवी क्षेत्र के इलाके में तीन जनवरी 2013 को हुई थी। यहां रहने वाली 13 वर्षीय किशोरी उस समय छठी में पढ़ाई करती थी। शाम चार बजे किशोरी पड़ोस में ट््यूशन पढऩे गई थी। लेकिन, घर नहीं लौटी। किशोरी ने पिता ने पड़ोसी गोपाल, उसकी मां व बहनोई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि आरोपित गोपाल ने करीब 20 दिन किशोरी को कानपुर में रखा। वहां उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने 29 जनवरी 2013 को नौरंगाबाद क्षेत्र से गोपाल को गिरफ्तार किया था। इसी के साथ किशोरी को बरामद किया था।
साक्ष्यों के अभाव में मां एवं बहनोइ दोषमुक्त
24 मार्च 2013 को अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया। इसमें किशोरी ने दो बार पक्षद्रोही हो गई। इस बीच आरोपित के खिलाफ भी गवाही दी। हालांकि अदालत ने मेडिकल परीक्षण व 164 के बयानों को महत्वपूर्ण मानते हुए गोपाल को दोषी करार दिया। इधर, साक्ष्यों के अभाव उसकी मां व बहनोई को दोषमुक्त कर दिया गया।