गांव होंगे जगमग, एक वर्ष में दिए जाएंगे 90096 कनेक्शन
सबहेड- सौभाग्य योजना के तहत मिलनी है बिजली, गरीबी रेखा से नीचे वालों को मुफ्त में मिलेगी सुविधा
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) के तहत एक वर्ष में जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में 90096 बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। विद्युत विभाग इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को मुफ्त कनेक्शन देगा। केंद्र सरकार की योजना है कि दिसंबर 2018 तक प्रत्येक घर बिजली से रोशन हो। 17 दिसंबर से ग्रामीण क्षेत्रों में महाशिविर की शुरुआत हो जाएगी। विभाग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को फ्री में मीटर, केबिल स्वीच बोर्ड व एक एलइडी बल्ब भी देगा।
जिले में अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में एक लाख से अधिक लोगों के घरों तक बिजली नहीं पहुंची है। इसमें अधिकांश घर ऐसे हैं, जो आबादी से बाहर बने हैं। आठ-दस लोगों ने मिलकर एक स्थान पर अपने मकान बनवा रखे हैं। इससे विद्युत विभाग को अतिरिक्त पोल, ट्रांसफार्मर आदि लगवाने पड़ते हैं, जिससे भारी खर्च पड़ता है, इसलिए विभाग अबतक ऐसे मकानों को कनेक्शन देने में कतराता रहा है। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने 'प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना' (सौभाग्य) के तहत ऐसे घरों को कनेक्शन देने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार की योजना है कि दिसंबर 2018 तक जिले के प्रत्येक घर बिजली से रोशन हो जाएं। अभी तक करीब 425 मजारों तक बिजली नहीं पहुंची है।
इन्हें भी दी गई है सहूलियत
केंद्र सरकार ने गरीबी रेखा से कुछ ऊपर परिवार वालों को भी सहूलियत दी है। इसमें उन्हें मात्र 500 रुपये में कनेक्शन दिया जाएगा। वह भी उपभोक्ता एक साथ न देकर किश्तों में दे सकता है। उसे 50 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से दस बार में देने होंगे।
17 से लगेंगे शिविर
विद्युत विभाग सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन देने के लिए 17 दिसंबर से ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाएगा। इसमें छह खंड कुल 33 स्थानों पर शिविर लगेंगे।
इनका कहना है..
90096 घरों का सर्वे करा लिया गया है। सौभाग्य योजना के तहत इन घरों में बिजली पहुंचाई जाएगी। इसमें जिस दिन उपभोक्ता कनेक्शन लेगा, उसी दिन मीटर लगाने की योजना है, जिससे उसे दोबारा विद्युत विभाग के चक्कर न लगाने पड़ें। 17 से लग रहे शिविर में ही कनेक्शन देने शुरू कर दिए जाएंगे, जिससे एक वर्ष में लक्ष्य पूरा कर लिया जाए।
- धर्मेद्र सारस्वत, अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण।