40 हजार रुपये और संपत्ति के बंटवारे को लेकर दो भतीजों ने की अधिवक्ता की हत्या Aligarh news
खून से लथपथ जमीन पर पड़े पति में सांस की आस लिए कविता अपने माथे में लगी गोली शायद भूल गई थी।
अलीगढ़ [जेएनएन] : खून से लथपथ जमीन पर पड़े पति में सांस की आस लिए कविता अपने माथे में लगी गोली शायद भूल गई थी। साहस के साथ खड़े होकर मोबाइल से परिचितों से मदद की गुहार लगाती रही। इधर, मौके पर जुटी भीड़ में लोग उसका वीडियो बनाते रहे। कुछ देर में वीडियो वायरल भी हो गया। काफी देर बाद पुलिस पहुंची तब कविता को निजी अस्पताल में भर्ती कराया जा सका।
खेला खूनी खेल
क्वार्सी क्षेत्र के नगला तिकोना के कर्पूरी नगर में रविवार को 40 हजार रुपये और संपत्ति के बंटवारे को लेकर दो भतीजों ने अधिवक्ता वेदप्रकाश चाचा व चाची कविता के साथ जिस तरह से खूनी खेल खेला उसे जिसने भी देखा वह दांतों तले उंगली दबा गया। वहीं अधिवक्ता की चश्मदीद दो बेटियां अंशिका व खुशी को बिलखते देख हर किसी की आंखों में आंसू थे। अब उनकी मां आइसीयू में जिंदगी मौत के बीच संघर्ष कर रही हैं। वेदप्रकाश पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। बड़े भाई देवेंद्र (राशन डीलर) के बेटों ने इस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम दिया है।
सिर पर खून था सवार
सुबह करीब 10 बजे चाचा के घर में दाखिल हुए भतीजों के सिर पर खून सवार था। वेदप्रकाश ने बचने को कमरे से भागने की कोशिश की, लेकिन तब तक पिस्टल से ताबड़तोड़ पांच से छह राउंड झोंक दिए। चाची कविता के साथ भी खूब मारपीट की। बाल पकड़कर खूब घसीटा। कमरे में पड़े बालों के गुच्छे व मैन गेट तक फर्स पर बिखरा खून इसे बयां कर रहे थे।
मकान के बंटवारे का विवाद
कोल तहसील में अधिवक्ता के बड़े भाई अशोक कुमार ने बताया कि तीनों भाइयों ने मिलकर एक फ्लैट खरीदा था। फिर उसे बेचना पड़ा, जिसके रुपयों के बंटवारे को लेकर बड़े भाई देवेंद्र से वेदप्रकाश का मनमुटाव हो गया था। बेगमबाग के पैतृक मकान के बंटवारे व संपत्ति को लेकर हुआ विवाद एक महीने पहले परिजनों ने बैठकर हल कर लिया था। लेकिन डीएस कॉलेज से बीएससी कर रहे देवेंद्र के दोनों बेटे हिमांशु व धीरज उर्फ कमल इससे संतुष्ट नहीं थे। वे झगड़े के इरादे से पहुंचे थे। वेदप्रकाश से 40 हजार रुपये मांग रहे थे। जब उन्हें दोनों के पहुंचने की जानकारी हुई तो दौड़कर मैं जब तक वेदप्रकाश के घर पहुंचा तब तक दोनों भाई खूनी खेल खेलकर जा चुके थे।
गमी में गई थीं मां
वेदप्रकाश की मां शांति देवी अपने ननदोई प्रेमपाल सिंह की मौत के बाद गमी में पीएसी, रामघाट रोड पर गई थीं। बेटे की हत्या की खबर पर घर पहुंची तो उनका रो-रोकर बुरा हाल था। उन्होंने बताया कि करीब 40 साल पहले कासगंज से अलीगढ़ आकर बस गए थे।
खोखा व जिंदा कारतूस मिले
फोरेंसिक टीम को मौके से पांच खोखा व दो जिंदा कारतूस मिले हैं। एसओजी व सर्विलांस टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर साक्ष्य एकत्रित किए। चूंकि देवेंद्र के नाम लाइसेंसी पिस्टल है, संभावना है कि उसी पिस्टल से फायङ्क्षरग की गई थी।
सीना चीरते निकल गई गोली
पा स्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को अधिवक्ता के शरीर में दांये जबड़े में गोली फंसी मिली। जबकि एक गोली दाहिनी ओर से सीने से घुसकर लंग्स को चीरते हुए पीठ से निकल गई। अधिक खून बहने से अधिवक्ता की मौत हो गई। एक्सरे भी कराया गया, जिसमें दो ही गोलियां लगना आया है।
पापा से मांग रहे थे रुपये, फिर मार दी गोली : अंशिका
अधिवक्ता वेदप्रकाश राजपूत की हत्या की चश्मदीद छह साल की बेटी अंशिका से सीओ सिविल लाइन अनिल समानियां व इंस्पेक्टर क्वार्सी विनोद कुमार ने पूछताछ की तो उसने बताया कि हिमांशु व कमल भैया आए थे। पापा कमरे में बैठकर खाना खा रहे थे। दोनों ने पापा से रुपये मांगे। पापा ने कहा कि हिसाब हो चुका है अब किस बात के रुपये दें। तभी पिस्टल से गोली चलानी शुरू कर दी। मम्मी रसोई में चाय बना रही थीं। वह बचाने पहुंची तो दोनों ने उन्हें पीटा। मम्मी चीखती रहीं पर कोई बचाने नहीं आया। छोटी बहन खुशी तो डरकर सोफे के पीछे छिप गई। दोनों घर से चले गए तब मम्मी चिल्लाती हुई बाहर निकलीं।