अलीगढ़, जेंएनएन। पूर्व माध्यमिक विद्यालय
नरवारी
टप्पल
के इंचार्ज प्रधानाध्यापक जगदीश प्रसाद के जीपीएफ अकाउंट से करीब साढ़े 34 लाख रुपये का घोटाला किया गया। 2007 से शुरू हुआ खेल 2013 तक चला। लाखों रुपये शिक्षक के जीपीएफ अकाउंट से इधर-उधर किए गए। 31 मार्च 2020 को शिक्षक सेवानिवृत्त हुए और अपना फंड लेना चाहा तो बताया गया कि उनके फंड में बैलेंस जीरो है, क्योंकि पहले ही उन्होंने 30 से 35 बार में 34 लाख 34 हजार 771 रुपये लोन लिया है। इससे उनका तैयार हुआ 15-16 लाख रुपये का फंड तो खत्म हो ही गया, बाकी करीब 20 लाख रुपये की रिकवरी भी होगी। एक शिक्षक के अकाउंट से 30-35 बार लोन लेना भी अनोखा काम है। इतनी बार लोन कैसे दे दिया गया? ये सवाल खुद वित्त व लेखाधिकारी के लिए भी हैरान करने वाला है। जांच के लिए वित्त व लेखाधिकारी अनिल कुमार यादव ने अश्विनी कुमार पांडेय व नितिन जैन की कमेटी बनाकर सात दिन मेंं रिपोर्ट मांगी है।
चतुर्थश्रेणी कर्मी व बाबू पर शक जगदीश ने बताया कि जीपीएफ से संबंधित फाइल लाने वाले चतुर्थश्रेणी कर्मी ने कई बार उन्हें धमकाया कि तुम्हारे खाते
मेें
रुपये आए हैं, वो चीफ साहब के हैं। निकालकर दे दो, वरना अधिकारी तुम्हारा फंड
गड़बड़
कर देंगे या रोक देंगे। चार से पांच बार उसके ऐसा कहने पर उन्होंने दफ्तर के संबंधित बाबू को बताया तो उसने भी कहा कि तुम्हारा रुपया तो है नहीं दे दो। इससे साफ है कि घपले में कई लोगों का हाथ है।
एक महीने से संज्ञान क्यों नहीं
शिक्षक ने बताया कि एक महीने पहले भी अफसरों के पास जाकर फंड दिलाने व प्रकरण की जांच कराने की मांग की थी। कोई सुनवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि इतने गंभीर प्रकरण पर एक महीने तक संज्ञान क्यों नहीं लिया गया?
हंगामे के बाद बैठाई जांच
मंगलवार को जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रशांत शर्मा ने वित्त व लेखाधिकारी कार्यालय में मामला उठाया। जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। काफी कहासुनी के बाद शिकायती पत्र लेते हुए जांच बैठाई गई।
नाम का उठाया गया फायदा
विभागीय सूत्रों की मानें तो ब्लॉक में चार से पांच जगदीश नाम के शिक्षक हैं।
गड़बड़ी
करने वाले ने जगदीश के नाम से अलग-अलग खाता संख्या पर लोन लिया है। इसमें कितनी सच्चाई है, ये जांच के बाद ही पता चलेगा। अनिल कुमार यादव, वित्त व लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि एक जीपीएफ खाते पर इतनी बार लोन समझ से परे है। विधिवत जांच कराई जाएगी। टीम गठित कर दी है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।