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अलीगढ़ में जड़ी-बूटियों से भरे 300 बोरे बरामद, सिपुर्दगी पर विवाद

फर्म मालिक ने जीएसटी व अन्य दस्तावेज दिखाए शिकायतकर्ता ने सील फर्म का माल छोड़ने पर की आपत्ति।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 08:59 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 08:59 PM (IST)
अलीगढ़ में जड़ी-बूटियों से भरे 300 बोरे बरामद, सिपुर्दगी पर विवाद
अलीगढ़ में जड़ी-बूटियों से भरे 300 बोरे बरामद, सिपुर्दगी पर विवाद

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : प्रशासन, आयुष, औषधि व वन विभाग की टीम ने रविवार को दूसरे दिन भी इगलास क्षेत्र में छापेमारी कर हाथरस की बंद फर्म मोहता आयुर्वेद भवन के गोदाम से 300 बोरा जड़ी-बूटियां (कच्चा माल) बरामद कीं। फर्म की मालिक ने मौके पर पहुंचकर बरामद माल की खरीद व जीएसटी संबंधी दस्तावेज पेश किए। शिकायतकर्ता की आपत्ति के बाद दवा को जब्त कर स्थानीय ग्रामीण की सिपुर्दगी में दे दिया गया। प्रशासन ने शनिवार को भी करीब एक करोड़ रुपये की दवाएं जब्त की थीं।

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रविवार को एसडीएम इगलास संजीव ओझा, क्षेत्रीय आयुर्वेद-यूनानी अधिकारी डा. नरेंद्र कुमार सिंह, औषधि निरीक्षक रमेश चंद्र यादव व वन विभाग के रेंजर की संयुक्त टीम ने इगलास क्षेत्र के गांव हरिरामपुर में तीन दुकानों को लेकर बनाए गए गोदाम पर छापेमारी की। फर्म की मालिक निवेदिता मोहता को सूचना दी गई, जो करीब एक घंटे बाद पहुंचीं। गोदाम खुलवाने पर उसमें 300 बोरे देसी जड़ी-बूटी मिलीं। निवेदिता ने दवा की खरीद व जीएसटी से संबंधित दस्तावेज दिखाए। इसी बीच शिकायतकर्ता अजय शर्मा भी आ गए। टीम माल को छोड़ना चाहती थी, लेकिन शिकायतकर्ता ने सील फर्म का माल होने का तर्क देते हुए रियायत देने का विरोध किया। प्रभागीय निदेशक वन दिवाकर कुमार वशिष्ठ ने बताया कि फर्म मालिक व शिकायतकर्ता के बीच विवाद हो गया, जिसे शांत करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी। अंतत: बरामद माल को निस्तारण होने तक स्थानीय व्यक्ति की सिपुर्दगी में दे दिया गया।

प्रतिबंधित दवा पर संशय

बरामद दवाओं में कुछ के रेपर पर श्रृंगी भस्म (हिरन के सींग से तैयार) व प्रबाल पृष्टी (समुद्री जीव का उपयोग करके तैयार) व मोरपंखों का उल्लेख था। आयुष विभाग व वन विभाग ने भस्म के नकली होने की आशंका व्यक्त की है। क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी ने बताया कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला, जिससे हिरन के सींग या मोरपंख आदि से दवा निर्मित होने की पुष्टि हो। दवा बेचने के लिए रेपर पर कुछ भी लिखकर गुमराह किया जा सकता है। मौके पर सींग या मोरपंख या उसके अवशेष भी नहीं मिले हैं। विभाग ने 24 दवाओं के नमूने जांच को भेजे हैं। जांच रिपोर्ट में पुष्टि होती है तो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई होगी। रिपोर्ट बनाकर डीएम को सौंपी जा रही है। ये है पूरा मामला

हाथरस की देसी दवा निर्माता फर्म मोहता आयुर्वेद भवन का 2017 में नवीनीकरण होना था, जो नहीं कराया गया। शिकायत पर हाथरस प्रशासन ने 24 जून को फैक्ट्री को सील कर दिया। फर्म मालिक ने जुलाई में 1200 रुपये का नवीनीकरण शुल्क का चालान विभाग में जमा किया। इसके बाद तमाम दस्तावेज लखनऊ भेज दिए गए। शक होने पर चालान पत्र की कोषागार में जांच कराई तो वह फर्जी निकला। तत्कालीन क्षेत्रीय आयुर्वेद-यूनानी अधिकारी की मुहर भी फर्जी तरीके से लगाई गई थी। 15 दिन पहले फर्म मालिक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। हाथरस के अजय कुमार शर्मा एडवोकेट ने पिछले दिनों अलीगढ़ डीएम से फर्म के इगलास में नकली औषधि बनाने की शिकायत की थी।


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