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Ram Leela: रामलीला से ऐसा प्रेम, खाली मंच पर जला रहे आशा का दीपक

उत्तर मध्य रेलवे रामलीला आगरा कैंट पर आज भी चल रहा है बिना कास्ट्यूम के मंचन। दर्शकों को नहीं होने देते हैं एकत्र शाम सात बजे से करते हैं लीला। कोविड काल में भी नहीं टूटने दी एेेतिहासिक परंपरा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:11 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:11 PM (IST)
Ram Leela: रामलीला से ऐसा प्रेम, खाली मंच पर जला रहे आशा का दीपक
कोविड काल में रामलीला की परंपरा न टूटे, इसलिए बिना पोशाक और दर्शकों के मंचन जारी है।

आगरा, निर्लोष कुमार। उन्हें प्रभु श्रीराम की लीला से अगाध प्रेम है। प्रेम के बंधन में वो इस तरह बंधे हुए हैं कि रामलीला के खाली मंच पर वो प्रतिदिन आशा का दीपक जला रहे हैं। उनका मानना है कि लीला के मंच को खाली नहीं छोड़ सकते। इसलिए प्रतिदिन शाम को श्रीराम की आरती उतारकर बिना कास्ट्यूम के ही वो लीला का मंचन करते हैं। कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए प्रयास करते हैं कि वहां दर्शक एकत्र नहीं हों।

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उत्तर मध्य रेलवे रामलीला आगरा कैंट के कलाकारों द्वारा कोरोना काल में रामलीला के मंचन की अनुमति नहीं होने के बाद गोवर्धन स्टेडियम स्थित मंच पर प्रतिदिन शाम को दीपक जलाया जा रहा है। रेलवे की रामलीला प्रतिवर्ष होती है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया गया था। रामलीला में विभिन्न पात्रों के किरदार रेलवे कर्मचारी, उनके स्वजन अौर रेलवे कालोनी के निवासी ही निभाते हैं। रामलीला से उन्हें इतना लगाव है कि वो नवरात्र में सूने मंच को देख नहीं पा रहे हैं। प्रतिदिन शाम सात बजे कलाकार स्टेडियम पहुंच जाते हैं। वो सबसे पहले वहां श्रद्धा रूपी दीपक जलाते हैं। भगवान श्रीराम की आरती करते हैं और उसके बाद शुरू होता है रामलीला का मंचन। बिना कास्ट्यूम के ही वो रामलीला का मंचन शुरू कर देते हैं। स्थिति के अनुसार कभी-कभी कॉस्टयूम में भी लीला का मंचन करते हैं। करीब एक घंटे तक प्रतिदिन वो रामलीला का मंचन करते हैं। कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि रामलीला के मंचन के दौरान वहां भीड़ नहीं एकत्र हो। अगर दर्शक पहुंचते भी हैं तो उन्हें विनती कर वहां से लौटा दिया जाता है।

49वां वर्ष

रेलवे की रामलीला का यह 49वां वर्ष है। पहली बार ऐसा हुआ है जबकि रेलवे द्वारा रामलीला के आयोजन को अनुमति नहीं दी गई है। इसके चलते उससे जुड़े लोग परंपरा को निभा रहे हैं।

यह जुड़े हुए हैं

रामलीला से मनोज सिंह, जेके शर्मा, राम कुमार, विमल वर्मा, अविनाश बघेल, राकेश कनौजिया, अशोक अग्रवाल, अर्जुन प्रजापति, हैप्पी सिंह बघेल, विनोद मौर्या, सत्यनारायण बघेल आदि।


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