दादी-नानी के नुस्खे अपनाएं, फिर देखते हैं कैसे होती है डायबिटीज...Agra News
रेनबो हॉस्पिटल में हुआ वर्ल्ड डायबिटीज डे पर इंटरेक्टिव सेशन। डायटीशियन्स ने दी शुगर कंट्रोल करने को टिप्स।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ रही है। ऐसे में डायबिटीज को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल आते हैं। जैसे डायबिटीज का कारण क्या है, इससे शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है, क्या यह आनुवांशिक रोग है आदि। लेकिन उनको अपने सवालों के जवाब विस्तार से नहीं मिल पाते।
रेनबो हाॅस्पिटल में डायबिटीज को लेकर गुरुवार को वर्ल्ड डायबिटीज डे- 2019 पर एक इंटरेक्टिव सेशन रखा गया। इसमें वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. जयदीप मल्होत्रा, डा. नरेंद्र मल्होत्रा, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डा. राजीव लोचन शर्मा, फिजीशियन डा. विश्वदीपक, डायटीशियन रेणुका डंग, डा. केशव मल्होत्रा, डा. निहारिका मल्होत्रा, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. शैमी बंसल ने लोगों की जिज्ञासाएं शांत कीं। लोगों ने चिकित्सकों और विशेषज्ञों से सवाल पूछे और उन्हें जवाब मिले। डाॅक्टरों ने कहा कि आप क्यों पैकेजड, फ्रोजिंग फूड की तरफ भागते हैं, क्या आपको याद है हमारी दादी, नानी हमें क्या बनाकर खिलाती थीं। हमने मौसमी सब्जियां, फल खाना छोड दिया है। बस आपको अपने उसी पुराने खान-पान पर लौटना है। व्यायाम करना है और फिर देखिए डायबिटीज और तमाम रोग कैसे आपसे कोसों दूर रहते हैं।
सवाल-जवाब
मरीज- क्या डायबिटीज आनुवांशिक रोग है ?
डाॅक्टर- हां, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि अन्य लोगों में डायबिटीज को खतरा नहीं होता।
मरीज- ब्लड शुगर की सामान्य मात्रा कितनी होनी चाहिए ?
डाॅक्टर- खाली पेट यह 70/110 एमजी/डीएल होती है। खाना खाने के बाद 140 से 160 एमजी/डीएल
मरीज- क्या डायबिटीज की दवा जिंदगी भर लेनी होती है ?
डाॅक्टर- हां, मधुमेह रोगी को जीवन भर दवा लेने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसे नियंत्रित तो कर सकते हैं, लेकिन जड से खत्म नहीं।
मरीज- ब्लड शुगर बढने के लक्षण क्या होते हैं ?
डाॅक्टर- वजन में कमी आना, अधिक भूख लगना, अधिक प्यास, मुंह सूखना, बार-बार पेशाब, जल्द थकावट, कमजोरी आदि इसके लक्षण हैं।
मरीज- क्या एक बार इंसुलिन लेने के बाद इसे जीवन भर लेना पडता है ?
डाॅक्टर- जी नहीं, यह गलत धारण है। कई मामलों में ऐसा होता है जबकि कई बार नहीं होता। यह निर्भर करता है कि आपकी जीवनशैली और खान-पान क्या है और आप किस तरह डायबिटीज को नियंत्रित कर रहे हैं।
डाॅक्टरों ने मनाया बाल दिवस
इस अवसर पर अस्पताल के डाॅक्टरों और प्रबंधकगण ने बाल दिवस भी मनाया। इसमें आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को फल एवं अन्य खान-पान सामग्री बांटी गई।
जैविक खाद्य बनाना सिखाया
इस दौरान ग्रीन हैंड्स संस्था ने अस्पताल परिसर में मरीजों के साथ आए तीमारदारों, प्रबंधकों और कर्मचारियों को घर के कचरे से जैविक खाद्य बनाने का प्रशिक्षण दिया। सभी को घर में खाद्य बनाने के लिए कंपोस्टर प्रदान किए गए।