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पैदावार अधिक, खपत कम, इसलिए आलू की बेकदरी

कोरोना काल में शादी समारोह व आयोजनों पर प्रतिबंध के चलते प्रभावित हुई मांग भाव न मिलने से किसान परेशान 60 फीसद आलू शीतगृहों में ही किया गया डंप

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 09:12 PM (IST)
पैदावार अधिक, खपत कम, इसलिए आलू की बेकदरी
पैदावार अधिक, खपत कम, इसलिए आलू की बेकदरी

आगरा,(फतेहाबाद) (मुन्नालाल शर्मा) जागरण संवाददाता।

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उत्पादन अधिक और मांग कम होने से सब्जियों के राजा आलू की बेकदरी हो रही है। इसके चलते सर्वाधिक आलू उत्पादन वाली फतेहाबाद तहसील के किसान परेशान हैं। उन्हें इस बार आलू की उचित कीमतें मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इस पर पानी फिर गया। यही वजह है कि 60 फीसद से अधिक आलू शीतगृहों में ही रखा हुआ है। नए सीजन के लिए आलू की बुवाई शुरू होने से इसकी बेकदरी अभी और होगी।

कोरोना काल में शादी समारोह समेत अन्य आयोजन पर प्रतिबंध हुआ। इसका असर यह हुआ कि आलू की डिमांड कम हो गई। फतेहाबाद निवासी आलू आढ़ती राजेंद्र प्रसाद मुनीम कहते हैं कि आलू का उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन खपत कम हुई है। पूर्वांचल के जिलों में भी आलू बड़े पैमाने पर हो रहा है। इससे इसके दाम गिरना स्वभाविक है। वर्तमान में आलू 600 से 800 रुपये प्रति कुंतल मिल रहा है जबकि पूर्व में इसका भाव 2500 रुपये प्रति कुंतल तक रहा। फतेहाबाद के ही आढ़ती उत्तम चंद गुप्ता के मुताबिक लागत छोड़िए, इस बार भंडारण, बारदाना और भाड़ा भी मुश्किल से निकल रहा है। शीतगृह से आलू की निकासी 40 फीसद हुई है। अगेती बुवाई एक-दो दिन में शुरू होगी। नई फसल दीपावली तक आएगी। जिले में आलू की पैदावार

72,500 हेक्टेअर जिले की जमीन पर पिछले वर्ष हुई थी आलू की बोवाई।

19.85 लाख मीट्रिक टन का हुआ था जिले में कुल उत्पादन।

12 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्डस्टोरेज में रखा गया है।

9.07 लाख मीट्रिक टन आलू की हो चुकी है निकासी।

1.22 लाख मीट्रिक टन आलू मध्यप्रदेश और राजस्थान का शीतगृह में है। वर्जन..

इस बार आलू का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हुआ है। जिन क्षेत्रों में इसकी अधिक डिमांड है। वहां के लिए विशेष किसान रेल चलाई जा रही है। आलू के परिवहन पर भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 50 फीसद अनुदान भी दिया जा रहा है।

कौशल कुमार नीरज, जिला उद्यान अधिकारी


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