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सूखती नदियां और गहराता जल संकट

नदी के बजाय नाला बन चुकी है यमुना बरसात में ही रहता है पानी

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 05:45 AM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 05:45 AM (IST)
सूखती नदियां और गहराता जल संकट
सूखती नदियां और गहराता जल संकट

आगरा (निर्लोष कुमार) जिले में आधा दर्जन से अधिक नदियां हैं। इनमें चंबल को छोड़ दें तो यमुना और करबन अत्यधिक प्रदूषित हो चुकी हैं और अन्य नदियां बरसाती बनकर रह गई हैं। इससे यहां जल संकट गहराता जा रहा है। शहर की प्यास बुझाने को बुलंदशहर से पाइपलाइन डालकर गंगाजल लाना पड़ा है।

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जिले में सभी नदियां करीब 500 किमी की लंबाई में बहती हैं। इनमें सबसे अधिक लंबी यमुना है। आगरा की नदियों पर अध्ययन कर रहे बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष पर्यावरणविद डा. केपी सिंह बताते हैं कि आगरा की लुप्त हो रही नदियों में वर्ष 1990 तक भरपूर पानी रहता था। जिन नदियों में बाढ़ आती थी, उनका पानी की कमी से सूखना आश्चर्यजनक है। करबन, खारी, उटंगन, किवाड़ नदियों का अस्तित्व खतरे में है। केंद्र सरकार को केंद्रीय जल आयोग की तरह राष्ट्रीय नदी आयोग की स्थापना कर नदियों के संरक्षण व जल बहाव सुनिश्चित करने की नीति तैयार करनी चाहिए। पर्यावरणविद डा. शरद गुप्ता का कहना है कि जब तक यमुना में नालों का गिरना नहीं रुकेगा, तब तक वो साफ नहीं हो सकती है। यमुना में 61 नाले गिर रहे हैं, जिन्हें टैप किया जाना चाहिए। आगरा में बहती हैं यह नदियां

यमुना: नगला अकोश से प्रवेश कर शहर में बहते हुए बटेश्वर होकर इटावा की ओर निकल जाती है। यमुना अत्यंत प्रदूषित है और बरसाती मौसम में ही इसमें पानी रहता है। बाकी समय में इसमें नालों का पानी और सीवेज बहता है।

चंबल: मध्य प्रदेश में विध्याचल पर्वत श्रृंखला में जानापाव पहाड़ी से शुरू होकर 1024 किमी का सफर तय कर बाह, पिनाहट में बहती है। इटावा के पचनदा में यह यमुना में मिलती है। चंबल डाल परियोजना के माध्यम से इससे बाह में सिचाई होती है।

किवाड़: तांतपुर-जगनेर में किवाड़ नदी सोनी खेरा से निकलकर करीब 14 किमी राजस्थान के धौलपुर की डांग में बहती है। यह वापस आगरा में जगनेर के पास देवरी में पुन: प्रवेश कर उटंगन में मिलती है। वर्तमान में यह बारिश के दिनों में छोटे नाले के रूप में दिखती है।

खारी: फतेहपुर सीकरी के तेरह मोरी बांध से करीब 90 किमी की दूरी तय कर मलपुरा, सैंया, इरादत नगर होते हुए अरनौटा के पास उटंगन में मिलती है। बारिश के मौसम में बंधे वाली जगहों पर कुछ दिनों तक पानी नजर आता है। अन्य दिनों में यह सूखी रहती है।

उटंगन: राजस्थान में गंभीर नदी के नाम से पहचानी जाने वाली नदी को आगरा में उटंगन के नाम से जाना जाता है। आगरा में खेरागढ़ व फतेहाबाद होते हुए यह यमुना में मिलती है। यह केवल बरसात में ही बहती है। यह गंदे नाले में बदल चुकी है।

करबन: बुलंदशहर की खुर्जा तहसील से अलीगढ़, हाथरस होते हुए यह आगरा की एत्मादपुर तहसील में आगरा-फीरोजाबाद रोड को पार कर झरना नाला के नाम से यमुना में मिलती है। इसमें अलीगढ़ व हाथरस के कारखानों का दूषित जल गिरता है, जिससे इसमें हमेशा झाग नजर आते हैं।

बाणगंगा: बाणगंगा का आगरा के सरकारी दस्तावेजों में उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन आगरा-धौलपुर रेलमार्ग पर उप्र व राजस्थान के बार्डर पर लगा बाणगंगा ब्रिज नाम का बोर्ड इसे बाणगंगा नदी बताता है। सरकारी दस्तावेजों में इसे उटंगन नदी ही मानते हैं। इसका उद्गम जयपुर की बैराठ पहाड़ियों से होता है। जयपुर, दौसा, भरतपुर के रूपवास से होकर आगरा में सैंया के खेड़िया से होकर फतेहाबाद में यमुना में यह मिलती है।

पार्वती: पार्वती नदी के अवशेष ग्वालियर रोड पर सैंया-बरेठा में देखे जा सकते हैं।

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सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है विश्व नदी दिवस

जनता को नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए सितंबर के चौथे रविवार को विश्व नदी दिवस मनाया जाता है। उसके अनुसार 26 सितंबर (आज) को विश्व नदी दिवस है।


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