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तार से मिली थी रानी झांसी की मौत की खबर, जानिए कब

ताज म्यूनिसिपल संग्रहालय में मौजूद हैं सदियों पुराने अवशेष बौद्ध मुगल शाक्य कालीन मूर्तियों के साथ यमुना जी की मूर्ति भी बढ़ा रही शोभा

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 06:26 AM (IST)
तार से मिली थी रानी झांसी की मौत की खबर, जानिए कब
तार से मिली थी रानी झांसी की मौत की खबर, जानिए कब

आगरा, कुलदीप सिंह। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई तो इसकी सूचना ग्वालियर के जनरल आर हैमिल्टन ने गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग और अन्य पदाधिकारियों को तार के माध्यम से दी। नाना साहब की गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये इनाम की घोषणा के फरमान से क्रांतिकारियों का खून खौल उठा था। ऐसे ही पत्र और सदियों पुराने अवशेष पालीवाल पार्क स्थित जोंस लाइब्रेरी स्थित ताज म्यूनिसिपल संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे हैं।

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विश्व में ऐसा कोई बड़ा संग्रहालय नहीं जहां आगरा के इतिहास से जुड़े दस्तावेज या अवशेष मौजूद न हों। कोहिनूर से लेकर मुगलकालीन हीरे और सिक्के भले ही विदेशी म्यूजियम में आगरा के मुगलकालीन वैभव की कहानी बयां करते हों लेकिन ताज म्यूनिसिपल म्यूजियम आगरा की ऐतिहासिक विरासत को अभी भी संभाले हुए है। यहां आगरा प्रवास के दौरान महात्मा गाधी ने जिस चरखे से अपने लिए सूत काता था, वह भी इसकी शान बढ़ा रहा है। पुरातात्विक रूप से इतना समृद्ध होने के बाद भी शहर में कुछ साल पहले तक एक भी संग्रहालय नहीं था। इस कारण यहा की मूर्तिया लंदन के एलबर्ट म्यूजियम से लेकर कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल तक की शोभा बढ़ा रही हैं। इस म्यूजियम में महारानी विक्टोरिया की ब्रिटिशकालीन अति बेशकीमती अष्टधातु की मूर्ति भी रखी हैं, जिनकी कीमत करीब 71 करोड़ बताई जाती है। साथ में दो अन्य मूर्तिया, दो सील की मूर्तिया भी अष्टधातु की हैं। कुल मिलाकर उनकी कीमत 100 करोड़ से ज्यादा है, लेकिन यह खुले में रखी हैं।

अंजनीमाता की मूर्तियों से हुई थी शुरुआत

औरंगजेब के कार्यकाल में हिदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियों को तोड़ा गया। उसी कार्यकाल की बची कई मूर्तियां सुरक्षित हैं। ताज सिटी म्यूनिसिपल म्यूजियम की शुरुआत बल्का बस्ती से निकली अति प्राचीन पाच मूर्तियों से हुई। इसमें अंजनी माता और चार अन्य खंडित मूर्तिया थीं। क्षेत्रीय लोग उन्हें यमुना में विसर्जित करने ले जा रहे थे, जिन्हें राजीव सक्सेना ने रोककर मूर्तियों को म्यूजियम में रखवाया। यह इसकी पहली मूर्तिया थीं। इसके बाद 160 प्राचीन मूर्तियों को मथुरा से पार्षद रवि माथुर ने ट्रक में रखवाकर यहा स्थापित कराने में सहयोग किया। यह हैं म्यूजियम की शान

भगत सिंह के डेथ सर्टिफिकेट से लेकर झांसी की रानी की मृत्यु का तार इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहा है। इसके साथ ही सैकड़ों मूर्तिया, लेख, प्राचीन सरकारी दस्तावेज, सिक्के, लिपिया आदि मौजूद हैं। इसमें गार्डन ऑफ आगरा का नक्शा, रेलवे आने से पहले आगरा का नक्शा, अमेरिका स्थित सेन फ्रासिस्को में स्थित आगरा शहर की जानकारी भी यहा पर प्रदर्शित है। इसके साथ बौद्ध, मुगल, शाक्य कालीन मूर्तियों के साथ यमुना जी की प्रतिमा, गाधी जी का आगरा प्रवास के दौरान प्रयोग किया गया चरखा भी यहा प्रदर्शित है।

ताज के विश्व अजूबा बनने की उपलब्धि भी मौजूद

2007 में विश्व अजूबों को लेकर हुई प्रतियोगिता में ताजमहल के सेवन वंडर्स में शामिल होने पर मिली शील्ड भी यहा प्रदर्शित की गई है। यह शील्ड तत्कालीन मेयर अंजुला सिंह माहौर ने यहा प्रदान की थी। दैनिक जागरण ने की थी शुरुआत

ताजनगरी की इस विरासत को संभालने के लिए 2007 में प्रयास शुरू हुए और इस म्यूजियम की नींव रखी गई। जन सहयोग से साल 2007-08 में एक अभियान चला। पत्रकार राजीव सक्सेना ने अभियान में पुरातात्विक मूर्तिया जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काफी कवायद के बाद तत्कालीन नगरायुक्त एसपी सिंह केसहयोग से इसकी स्थापना हुई। तत्कालीन नगर विकास मंत्री नकुल दुबे ने इसका उद्घाटन किया था।

उपेक्षा का हो रहा शिकार

-बेशकीमती अभिलेख और मूर्तियों के बाद भी इस संग्रहालय पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रखरखाव ने होने से यहां मूर्तियों पर धूल जम रही है। कई मूर्तियां खुले में रखे होने के कारण टूट चुकी है। नगर निगम द्वारा इसे सहेजने की मांग की जा रही हैं।

-संग्रहालय में कई दुर्लभ अभिलेख और मूर्तियां मौजूद हैं। इनके संरक्षण पर ध्यान दिया जाना चाहिए। संग्रहालय में मौजूद मूर्तियां दशकों पुरानी है।

राजकिशोर राजे, इतिहासविद्


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