World Heritage Week: निकलती आह, कहते उफ, तब कह पाते 'वाह ताज' Agra News
19 से 25 तक मनेगा वर्ल्ड हेरिटेज वीक। आगरा में तीन वर्ल्ड हेरिटेज साइट। स्मारकों पर संसाधनों और सुविधाओं का अभाव खत्म हो रहा लगाव।
आगरा, निर्लोष कुमार। ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला जैसी विश्व धरोहरों के बूते दुनियाभर में पीठ थपथपाने वाले 19 नवंबर से सैलानियों को एक सप्ताह तक सर-आंखों पर बैठाएंगे। इतिहास, स्थापत्य कला और खूबसूरती के कसीदे गढ़ेंगे। मगर स्मारक तक पहुंचने के लिए सैलानियों पर क्या-क्या गुजरेगी, इसका शायद उन्हें ख्याल नहीं। लपकों के झुंड, जगह-जगह गंदगी, तपती धूप और रिमझिम बरसात में बुकिंग विंडो पर घंटों इंतजार के बाद स्मारक तक पहुंच पाते हैं। पत्थरों की नक्काशी में पर्यटक सुधबुध भले ही खो देता है, मगर बदइंतजामियों के चलते दोबारा आगरा आने से तौबा कर लेता है।
ताजमहल और आगरा किले को वर्ष 1983 में जबकि फतेहपुर सीकरी को वर्ष 1986 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था। वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिलने के बाद इन स्मारकों के कद्रदान साल दर साल बढ़ते चले गए। तीनों स्मारकों पर सुविधाएं तो बढ़ाई गई, लेकिन उस स्तर पर इंतजाम नहीं हो सके, जिनकी निहायत ही आवश्यकता थी। ताजमहल को लिविंग हेरिटेज मानने वाला सुप्रीम कोर्ट भी निरंतर आदेश करता रहा, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ। दुधारू गाय समझ लिए स्मारक पिछले कुछ वर्षो में ही एएसआइ प्रवेश शुल्क को दो गुने से भी अधिक बढ़ा चुका है। एडीए भी स्मारकों के पथकर में वृद्धि का प्रस्ताव शासन को भेज चुका है। सुविधाओं पर किसी का ध्यान नहीं है।
ताज का हाल
- ताज पर क्राउड मैनेजमेंट के नाम पर मुख्य मकबरे का टिकट अलग कर दिया गया। चमेली फर्श पर टिकट चेकिंग काउंटर बनाए जाने से देसी-विदेशी पर्यटकों को एक लाइन में लगना पड़ रहा है। विदेशी पर्यटकों को हाई वेल्यू टिकट का कोई फायदा नहीं मिल रहा।
- टर्न स्टाइल गेट इसीलिए शुरू किए गए थे कि पर्यटकों को लाइन के झंझट से मुक्ति मिलेगी। टिकट विंडो पर ही पर्यटकों का ताज देखने से अधिक समय बर्बाद हो रहा है।
- ताजगंज में रास्तों पर अतिक्रमण है।
- पार्किंग से स्मारक तक लपके व हॉकर पर्यटकों को घेरते हैं।
- स्मारक के टॉयलेट साफ नहीं रहते हैं।
- गार्डन की दशा ठीक नहीं है। जगह-जगह बिखरे हुए शू-कवर व पानी की बोतलें नजर आती हैं।
आगरा किला
- टिकट विंडो पर शेड नहीं होने से पर्यटकों को धूप व बारिश में खड़ा होना पड़ता है।
- एक ही लाइन से प्रवेश मिलने से लाइन लग जाती हैं।
- स्मारक के सामने पार्किंग बदहाल है, दिनभर धूल उड़ती रहती है।
- स्मारक में देखने योग्य शीश महल, मुसम्मन बुर्ज, मोती मस्जिद आदि बंद हैं।
फतेहपुर सीकरी
- लपकों के लिए बदनाम है। चादरपोशी के नाम पर आए दिन ठगी होती है।
- पार्किंग से स्मारक तक पहुंचने की उचित व्यवस्था नहीं। पर्यटक परेशान होते हैं।
19 को सभी स्मारक फ्री
वर्ल्ड हेरिटेज वीक के पहले दिन 19 नवंबर को सभी स्मारकों में देसी-विदेशी पर्यटकों को निश्शुल्क प्रवेश दिया जाएगा। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने सभी सब-सर्किलों के लिए इसका आदेश जारी कर दिया है।
वर्ल्ड हेरिटेज वीक में यह होंगे कार्यक्रम
तिथि, स्मारक, कार्यक्रम
19 नवंबर, सिकंदरा, ड्राइंग कंप्टीशन व चित्र प्रदर्शनी 20 नवंबर, मेहताब बाग, स्वच्छता अभियान!
21 नवंबर, ताजमहल, स्वच्छता अभियान
22 नवंबर, आगरा किला, स्वास्थ्य परीक्षण शिविर
23 नवंबर, फतेहपुर सीकरी, भाषण प्रतियोगिता
24 नवंबर, मरियम का मकबरा, स्वच्छता अभियान
25 नवंबर, एत्माद्दौला, निबंध प्रतियोगिता
इनका क्या है कहना
कोऑर्डिनेशन कमेटी की समय पर बैठकें नहीं होती हैं। वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स के लिए निर्धारित गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है। सभी के अपने-अपने स्वार्थ हैं, अंतत: इसका खामियाजा पर्यटकों को भुगतना पड़ता है।
-राजीव सक्सेना, उपाध्यक्ष टूरिज्म गिल्ड ऑफ आगरा
एएसआइ और एडीए स्मारकों का टिकट बढ़ाते गए। धरोहर धंधा बन गई हैं। इससे स्मारकों के प्रति सम्मान और लगाव खत्म हो रहा है। पहले शहरवासी कहते थे कि हमारा ताज है, हम ताजनगरी के निवासी हैं। अब ये भावना धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
-संदीप अरोड़ा, अध्यक्ष आगरा टूरिज्म डवलपमेंट फाउंडेशन
पर्यटक एक ख्वाब लेकर ताजमहल देखने आते हैं। यहां आने के बाद उन्हें वो फीलिंग नहीं होती। इसका असर यह है कि रिपीट टूरिज्म खत्म हो गया है। यूनेस्को ने पूरे ताज को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था, लेकिन उसके अधिकांश हिस्से बंद हैं।
-शमसुद्दीन, अध्यक्ष एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन