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विश्‍व बैंक की टीम पहुंची फीरोजाबाद के एक गांव, जानिये क्‍या है कारण

गांव का निरीक्षण करने के लिए शाम चार बजे पहुंचेगी विश्व बैंक की टीम। चमकने लगा स्कूल, सड़कें नई-नई और हर घर शौचालय तैयार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 03:24 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 03:24 PM (IST)
विश्‍व बैंक की टीम पहुंची फीरोजाबाद के एक गांव, जानिये क्‍या है कारण
विश्‍व बैंक की टीम पहुंची फीरोजाबाद के एक गांव, जानिये क्‍या है कारण

आगरा [डॉ. राहुल सिंघई]: स्वच्छता को लेकर बदल रहे हिंदुस्तान की तस्वीर सुहागनगरी के बाघई गांव में दिखेगी। फीरोजाबाद हाईवे किनारे बसा यह छोटा सा गांव सूबे ही नहीं देश के लिए नजीर बनेगा। विश्‍व बैंक की टीम मानकों को परखने के लिए यहां पहुंच चुकी है। टीम के आने से पूर्व ही गांव में सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी थीं। गांव के हर घर के दर और दीवारों से लेकर सड़कें भी चमचमा रही हैं।

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इस गांव को देश में बदलाव मानते हुए दिल्ली की कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया जाएगा। फीरोजाबाद जिले के साथ यह प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है।

दरअसल स्वच्छता अभियान के लिए वर्ष 2015 में टूंडला ब्लॉक का गांव बाघई चयनित किया गया था। दो वर्ष पहले इसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया। स्वच्छ भारत की तस्वीर देखने के लिए आ रही विश्‍व बैंक की टीम ने फीरोजाबाद जिले के बाघई गांव का चयन किया। इसके बाद से बाघई की तस्वीर ही बदल गई है। एक सप्ताह से युद्धस्तर काम चल रहा था। रंग-रोगन के साथ-साथ ग्रामीणों को बातचीत का सलीका भी सिखाया गया।

बता दें कि विश्‍व बैंक के इंडिया कोऑर्डिनेटर तीन दिन से गांव में डेरा डाले हुए थे। स्कूल में तैनात शिक्षकों से लेकर गांव की महिलाओं को स्वच्छता का मूल समझाया गया।

विश्‍व बैंक के वाइस प्रेसीडेंट की अगुवाई में नौ सदस्यीय टीम यमुना एक्सप्रेस वे होते हुए टूंडला पहुंच चुकी है। फिलहाल निरीक्षण चल रहा है। दो घंटे के निरीक्षण के बाद टीम दिल्ली जाएगी। वहां स्वच्छता पर कांफ्रेंस आयोजित होगी, जिसमें बाघई गांव की तस्वीर को देश में बदलाव के रूप में पेश किया जाएगा।

घर-घर जाकर ले सकते हैं जानकारियां

बताया जा रहा है कि टीम गांव में घर-घर जाकर शौचालयों और स्वच्छता की जानकारी ले सकती है। इसके लिए दुभाषिए भी मौजूद हैं।

बदल गए गांव के गली- चौबारे

बाघई गांव, वही जो पिछले दिनों तक एक सामान्य गांव हुआ करता था। अब गांव में घुसते ही सूरत बदली-बदली सी नजर आती है। नए-नए रास्ते चमचमा रहे हैं। सरकारी स्कूल ऐसा कि असली राजधानी एक्सप्रेस आए तो देखकर शरमा जाए। साफ सुथरी ड्रेस और गले में आईकार्ड डाले बच्चे। यहां सब कुछ नया है। कभी इस गली तो कभी उस गली अफसरों का रेला गुजर जाता है। क्योंकि कल यहां विश्व बैंक की टीम आ रही है।

तहसील मुख्यालय से लगभग चार किमी दूर बसा है बाघई गांव। विश्व बैंक द्वारा देश में खुले में शौच मुक्त गांव (ओडीएफ) अभियान के लिए विश्व बैंक ने मदद दी है। फीरोजाबाद में मॉडल बनाने के लिए बाघई का चयन किया गया था। अब आपको फिर से गांव ले चलते हैं। यहां का स्कूल तो पूरी तरह बदल चुका है। रंग-रोशन के साथ टाट-पट्टी की जगह फर्नीचर आ चुका है। दीवारों पर महापुरुषों के संदेश चमकते हैं तो बच्चों के लिए झूले लग चुके हैं।

अब इस गांव के बाहर शौच जाने वाला भी कोई नहीं। घर-घर शौचालय बनकर तैयार हो चुके हैं। कमला देवी कहती है कि पहले बरसात में शौच जाने में परेशानी होती थी। शौचालय बनने से हर समस्या का समाधान हो गया है। कूड़ा डालने के लिए गांव में जगह-जगह कूड़ेदान लगे हैं। पिछले एक सप्ताह से जिला प्रशासन पूरी ताकत झोंके हुए है।

एक नजर में गांव...

- आबादी करीब 3500 है और करीब 1850 मतदाता।

- प्राथमिक विद्यालय में छह और उच्च प्राथमिक में चार शिक्षक तैनात।

- 434 शौचालय, दो साल पहले महज 96 शौचालय थे।

- हर घर में बिजली कनेक्शन है और राशन कार्ड भी।

हर सुविधा उपलब्ध है गांव में

पूरा गांव खुले में शौच मुक्त है। पेंशन से लेकर आवास तक हर सुविधा ग्रामीणों को उपलब्ध कराई गई है। प्रशासन की वजह से सब हुआ है। गांव वाले खुश हैं।

सरोज देवी, ग्राम प्रधान


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