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विश्‍वास न्‍यूज की पहल: सच के साथी बनें और पहचानें फेक कंटेंट, जानिए कैसे

फेक पोस्ट की पहचान के लिए विश्वास न्यूज की हुई कार्यशाला। पहले दिन महिलाओं और छात्रों ने सीखे पड़ताल के तरीके।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 02 May 2019 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 10:53 AM (IST)
विश्‍वास न्‍यूज की पहल: सच के साथी बनें और पहचानें फेक कंटेंट, जानिए कैसे
विश्‍वास न्‍यूज की पहल: सच के साथी बनें और पहचानें फेक कंटेंट, जानिए कैसे

आगरा, जागरण संवाददाता। जब 2000 रुपये का नया नोट आया तो सोशल मीडिया में सर्वाधिक वायरल न्यूज थी कि इसमें ऐसी चिप लगी है, जो काले धन की पोल खोल देगी। लंबे समय तक सोशल मीडिया पर छाये रहने के बाद पता चला कि यह 'फेक न्यूज' थी। वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर रोजाना तमाम पोस्ट वायरल होती हैं और लोग उन पर भरोसा भी कर लेते हैं। बाद में जब सच पता चलता है तो भरोसा सा उठ जाता है। जरूरी हो गया है कि पोस्ट फारवर्ड करने से पहले उसकी पड़ताल भी कर ली जाए।

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फेक न्यूज की पहचान के लिए दैनिक जागरण के सहयोगी विश्वास न्यूज द्वारा बुधवार को फतेहाबाद रोड स्थित होटल सिरिस 18 में 'सच के साथी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पहले सत्र में शहर की प्रबुद्ध महिलाएं जबकि दूसरे सत्र में छात्रों ने हिस्सा लिया। एक्सपर्ट ने फेक न्यूज की पहचान के टिप्स दिए। 

विश्वास न्यूज की ओर से जागरण न्यू मीडिया के सीनियर न्यूज एडिटर व गूगल सर्टिफाइड प्रत्यूष रंजन ने बताया कि सोशल मीडिया पर आने वाला हर मैसेज सही हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार फोटो, वीडियो या टेक्स्ट मैसेज को अपनी सुविधानुसार अराजकतत्व बदल कर अफवाह फैलाने का काम करते हैं। इसलिए जरूरी है कि लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कई उदाहरण देकर लोगों को इसकी जानकारी दी। बताया कि विश्वास न्यूज को आइएफसीएन (इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क) ने मान्यता दी है। दुनिया के सिर्फ 62 मीडिया संस्थान को ही इस नेटवर्क से मान्यता प्राप्त है। विश्वास न्यूज द्वारा फेक न्यूज के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में फेसबुक अधिकृत पार्टनर है। 

आप भी कर सकते हैं फेक कंटेंट का पर्दाफाश 

फेक न्यूज या कंटेंट क्रिएट करना जितना आसान है, उतना ही आसान उसकी पड़ताल कर पर्दाफाश करना भी है। यह काम आप भी कर सकते हैं, बस केवल जागरूक होने की जरूरत है। 

वायरल टेक्स्ट मैसेज

टेक्स्ट मैसेज की सच्चाई जानने के लिए उसे गूगल पर सर्च कर सकते हैं। गूगल पर सर्च करने के बाद उस मामले से जुड़ी सभी जानकारी सामने आ जाएगी। अगर खबर सही होगी तो अलग-अलग न्यूज नेटवर्क व साइट्स में भी इससे संबंधित समाचार मिलेंगे। यदि अन्यत्र ऐसी जानकारियां नहीं मिलतीं तो ज्यादा संभावना है कि न्यूज फेक हो। 

फोटो की सत्यता पहचानें

यदि आपको संदेह है कि कोई फोटो फेक यानी फोटोशॉप्ड है तो उसे पहचानने का बेहद सरल तरीका है। ऐसी फोटो को आप अपने लैपटॉप या कंप्यूटर पर सेव कर लें। गूगल इमेजेस पर जाएं, वहां फोटो अपलोड का ऑप्शन आएगा। फोटो अपलोड करने पर उससे मिलती जुलती इमेजेस मिल जाएंगी। कई बार हूबहू फोटो मिल जाएगी। फिर उससे संबंधित इंफो चेक करें तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। कई बार फोटोशॉप्ड फोटो के अलग-अलग हिस्से मिलेंगे तो पता चल जाएगा कि कहां से फोटो उठाकर उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। 

फेक या वास्तविक वीडियो की पहचान

असली या नकली वीडियो का पता लगाने के लिए इनविड (invid) टूल्स और यूट्यूब डाटा व्यूअर (youtube data viewer) की मदद ली जा सकती है। इन वेबसाइट पर वीडियो अपलोड करने पर उससे संबंधित सभी जानकारी मिल जाती है। यह भी पता लगाया जा सकता है कि उस वीडियो को सबसे पहले किसने, कब और कहां से अपलोड किया था। वेबसाइट से वीडियो के फोटो लेकर भी उसे इमेजेस डॉट कॉम पर सर्च किया जा सकता है। 

यूआरएल जरूर देखें एक बार 

विश्वास न्यूज के चीफ सब एडिटर अभिषेक पाराशर ने बताया कि कोई भी वेबसाइट खोल रहे हैं तो उसकी पहले पुष्टि कर लें कि वह सही है या फेक। खासतौर पर बैंकिंग साइट के मामले में यूआरएल जरूर देखें। सुरक्षित वेबसाइट में कोलन और डबल स्लैस से पहले एचटीटीपीएस लिखा आएगा और इसमें लॉक का चिह्न दिखेगा। एचटीटीपीएस में एस का अर्थ है सिक्योरिटी। यदि यूआरएल रेड कलर में चिह्न दिखे तो सतर्क हो जाएं। 

सही गलत का पता लगाएगी विश्वास न्यूज

विश्वास न्यूज किसी भी तरह की फेक न्यूज या इस तरह के वायरल न्यूज की पड़ताल करता है। यदि आप भी किसी वायरल खबर की हकीकत जानना चाहते हैं तो विश्वास न्यूज के वाट्सएप नंबर 9205270923 या वेबसाइट https://www.vishvasnews.com पर संबंधित खबर भेज सकते हैं। 

कुछ चर्चित फेक पोस्ट

-पुलवामा हमले के दौरान शहीदों की मदद के लिए दिए गए फर्जी एकाउंट नम्बर 

-स्टेशन पर खोए हुए बच्चों के फोटो

-गरीब बच्चों की शादी के लिए पैसे की मांग

-जयपुर में गाडिय़ों पर बड़े ओले गिरने का वीडियो

इन स्कूलों के छात्र रहे उपस्थित

-कर्नल्स ब्राइटलैंड पब्लिक स्कूल

-केपीजीआइ

-आगरा विश्वविद्यालय

यह महिलाएं रहीं उपस्थित 

उर्मिला, चमेली सुराना, शशि गोयल, सीमा गोयल, मंजरी टंडन, शालिनी गर्ग, तपस्या बंसल, सरला सिंह, लता गुप्ता, रानी खंडेलवाल, वंदना अग्र्रवाल, ममता गोयल, लता जैन, अंजू दियालानी, डॉ. मनिंदर कौर, राजश्री मिश्रा, खुशबू, ममता बैरी, शैली।

ये है इनका कहना 

बहुत बढिय़ा पहल है। पता लगा कि फर्जी खबर को पहचानने के क्या-क्या टूल्स होते हैं।

प्रेरणा सिंह, शिक्षिका

सोशल मीडिया के प्रति जागरूकता संबंधी कई जानकारियां मिलीं।

परिनिष्ठ पुंज, छात्र

अब सच का साथी बनना है। जो फेक न्यूज के अभियान में हम भागीदार हैं।

दीक्षा दीक्षित, छात्रा

यहां आकर बहुत कुछ सीखने को मिला, ये हमेशा काम आएगा।

गीता दीक्षित, छात्रा

फोन पर अधिकांश मैसेज ऐसे होते हैं, जो भ्रमित करते हैं। इनकी सत्यता पता लगाना जरूरी है।

आरती राना, छात्रा

सोशल मीडिया का प्रभाव युवाओं पर बहुत अधिक है पर फेक न्यूज से हमें हर हाल में बचना है।

विशाल प्रताप सिंह, छात्र

जागरूकता से ही फेक न्यूज पर अंकुश लग सकता है।

आर्यन राजपूत, छात्र

दैनिक जागरण और विश्वास न्यूज की यह पहल बहुत ही सराहनीय है।

पियूष अग्र्रवाल, निदेशक केपीजीआइ

वर्कशाप में बहुत कुछ सीखने को मिला। हम फेक और सही न्यूज को पहचान कर सतर्क रह सकते हैं।

सुंदर गुप्ता, छात्र

ऐसे वाट्सएप ग्र्रुप में न जुड़ें जिसके बारे में आप सही से न जानते हों। यह नुकसान कर सकता है।

प्रबल प्रताप सिंह, शिक्षक

बड़ी संख्या में छात्र भी अफवाह को फैलाने में शामिल हो जाते हैं। इन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है।

नागेन्द्र सिंह, शिक्षक

हमें यह ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया पर जो भी मैसेज फारवर्ड करें उससे पहले उसकी पुष्टि कर लें।

गौरव नंदा, शिक्षक

सोशल मीडिया पर अक्सर लोग भावुक होकर मैसेज फारवर्ड कर देते हैं जो फेक होते हैं। 

खुशबू पुरसनानी, शिक्षिका

इंटरनेट की दुनिया में हर तरह की चीजें होती हैं अब इसमें क्या सही या गलत, इसकी पुष्टि हमें ही करनी होगी।

डॉ. रेणुका डंग, डायटीशियन

इस वर्कशाप में जो हमने सीखा है, उसे समाज के दूसरे लोगों को सिखाने का प्रयास करेंगे।

डॉ शशिप्रभा जैन

सोशल मीडिया पर आई किसी भी खबर को क्रॉस चेक कर ही मैसेज फारवर्ड करें।

आकांक्षा शर्मा

बहुत अच्छा कार्यक्रम था। यहां आकर काफी कुछ सीखने को मिला।

डॉ. शैलबाला अग्र्रवाल

घरों में महिलाएं आजकल फोन का बहुत इस्तेमाल कर रही हैं इसलिए यह कार्यक्रम काफी लाभदायक रहा।

नीलिमा पाटनी

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही गलत खबरों को पहचाने के लिए यह एक अहम मंच है।

किरन शर्मा, अध्यक्ष वनिता विकास समिति

यहां पता लगा कि गलत खबर को पहचानने के क्या टूल्स होते हैं। अब हम खुद सत्यता परखेंगे।

प्रतिमा भार्गव, कल्याणम फाउंडेशन

आज तक बहुत सी खबरें फेसबुक आदि पर पढ़ते थे लेकिन उनको लेकर सोचने की शक्ति विकसित हुई है।

डॉ. शोनू मेहरोत्रा

यहां आने से पता लगा कि सोशल मीडिया पर जो भी अफवाहें फैलती हैं, उनसे कैसे डील करें।

शीला बहल

अब सोशल मीडिया को इस तरह से इस्तेमाल करेंगे कि किसी को भी हानि न पहुंचे।

अलका सिंह

झूठी खबरें आज हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या बन गई हैं। इसके निवारण के लिए यह मंच काफी लाभदायक है।

ममता पचौरी

सोशल मीडिया पर लोग बिना सोचे समझे कुछ भी पोस्ट कर देते हैं। इनसे बचने की जरूरत है।

कल्पना गुप्ता

सोशल मीडिया पर चल रही हर न्यूज सही नहीं होती है। इसलिए पुष्टि करना आवश्यक हो जाता है।

रितु गोयल

फेसबुक व वाट्सएप पर फेक पोस्ट से जुड़ी कई जानकारियां मिली हैं, यह हमेशा काम आएंगी।

नूतन अग्र्रवाल 


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