MANREGA: प्रवासी मजदूरों के सामने अब खड़ा हो रहा संकट, तीन महीने से नहीं मिला कोई काम
आगरा में सवा तीन महीने में मनरेगा के तहत 43 हजार मजदूरों से छिना रोजगार। अनलॉक के प्रथम चरण में सरकार के निर्देश के अनुसार मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से मनरेगा के तहत कार्य शुरू किए गए थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। जिले में मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हाे रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) तहत जिले में पिछले 104 दिनों में 43 हजार से अधिक मजदूरों के हाथ खाली हो गए हैं। उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। विकास कार्यों की संख्या भी कम हो गई है।
लॉकडाउन के बाद अनलॉक के प्रथम चरण में मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से मनरेगा के तहत कार्य शुरू किए गए थे। सरकार के निर्देश के अनुसार, अधिक से अधिक मजदूरों को काम मिले, इसके लिए कई विभागों ने विकास कार्य शुरू करा दिए थे। इसी का परिणाम था कि 26 जून को मनरेगा के तहत जिले में 62,605 मजदूरों को रोजगार मिला। जिले की 695 में से 680 ग्राम पंचायतों में नाली, खरंजा, चक रोड निर्माण के साथ ही नहर सफाई, तालाब खोदाई आदि के 1610 कार्य शुरू कराए गए। हाल ही में मनरेगा के तहत कराए जा रहे कार्यों की समीक्षा की गई। इसमें सात अक्टूबर तक की स्थिति का आकलन किया गया। इसमें पता चला कि सात अक्टूबर को इन विकास कार्यों की संख्या घटकर 912 रह गई। 588 ग्राम पंचायतों में सिर्फ 18,753 मजदूरों को रोजगार मिल पा रहा है। यानी इन 104 दिनों में 43,852 मजदूरों के हाथ खाली हो गए। अब इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश मजदूरों के हाथ खाली हैं। लाकडाउन के बाद विकास कार्यों में जितनी तेजी आई थी, अब उतने ही कम हो गए हैं। अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनीष कुमार का कहना है कि दूसरे विभागों से संपर्क कर विकास कार्यों की संख्या बढ़ाई जाएगी, जिससे कि अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार मिल सके।