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गोकाष्ठ दिलाएगी मोक्ष, प्रदूषण भी छूमंतर, पढ़ें क्‍या है ये नई पहल

सबकुछ सही रहा तो आगरा जोन में इस योजना को जून में शुरू कर दिया जाएगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 03:28 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 03:28 PM (IST)
गोकाष्ठ दिलाएगी मोक्ष, प्रदूषण भी छूमंतर, पढ़ें क्‍या है ये नई पहल
गोकाष्ठ दिलाएगी मोक्ष, प्रदूषण भी छूमंतर, पढ़ें क्‍या है ये नई पहल

आगरा, संजीव जैन। अब गाय के गोबर से बनी लकड़ी मोक्ष भी दिलाएगी। पशुपालन विभाग इस शहर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लेकर आ रहा है। अंतिम संस्कार के लिए ये गोबर से बनी लकड़ी बेची जाएगी। इसको जलाने से प्रदूषण से छुटकारा मिलेगा। सबकुछ सही रहा तो आगरा जोन में इस योजना को जून में शुरू कर दिया जाएगा।

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60 क्विंटल गोबर से 15 क्विंटल लकड़ी

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अशोक कुमार दौनेरिया की मानें तो जयपुर के पास बगरू गोशाला में गोकाष्ठ निर्माण के लिए मशीन लगाई गई है। करीब 50 हजार लागत की ये मशीन अहमदाबाद से मंगाई गई है। लकड़ी बनाने के लिए सिर्फ ताजे गोबर की जरूरत होती है। 60 क्विंटल गोबर से करीब 15 क्विंटल लकड़ी तैयार हो जाती है। प्रतिदिन इस मशीन से 26 क्विंटल लकड़ी तैयार होती है। लेबर आदि पर खर्चा 2850 रुपए का होगा जबकि 26 क्विंटल लकड़ी पांच रुपए किलो के हिसाब से12 हजार रुपए की बिकेगी।

गोबर के उपलों के इस्तेमाल से आया विचार

सीवीओ बताते है कि आगरा देहात क्षेत्र समेत पूरे ब्रज में बड़ी संख्या में गाय के उपलों का इस्तेमाल अंतिम संस्कार में किया जाता है। जब जयपुर के प्रोजेक्ट के बारे में पता चला तो आगरा में भी मशीन मंगवाई गई। फिलहाल बाईपुर रोड स्थित नंदी गोशाला में जून माह के प्रथम सप्ताह में यह मशीन काम करना शुरू कर देंगी।

ऐसे काम करती है मशीन

मशीन में ताजा गोबर डाला जाता है। मशीन में लकड़ी का आकार देने की डाई लगी है, जिससे यह गोबर लकड़ी के टुकड़ों के आकार में बाहर आता है। इसे पांच-छह दिन सुखाया जाता है। इसके बाद ये कठोर होकर लकड़ी के रूप में तैयार हो जाता है।

ये है गोकाष्ठ

-गोकाष्ठ (गाय के गोबर से बनी लकड़ी) से दाह संस्कार पर 15 वर्ष की उम्र के दो पेड़ों को बचाया जा सकता है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षित होगा, बल्कि गोरक्षा भी होगी।

-एक अंत्येष्टि में लगती है 500 किलो लकड़ी, गोकाष्ठ का प्रयोग हो तो 300 किलो में होगा काम।

-गोबर के जलने से हानिकारक गैसें भी नहीं निकलतीं।

शीघ्र लांच होगा बॉयो सीएनजी प्लांट

सीवीओ ने बताया कि अभी तक गोबर से खाद या फिर बॉयो गैस बनते देखा होगा, लेकिन शीघ्र यहां गोबर से बॉयो सीएनजी भी बनाई जाएगी। ये वैसे ही काम करती है, जैसे हमारे घरों में काम आने वाली एलपीजी। लेकिन ये उससे काफी सस्ती पड़ती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। बॉयो सीएनजी को गाय भैंस समेत दूसरे पशुओं के गोबर के अलावा सड़ी-गली सब्जियों और फलों से भी बना सकते हैं। फिलहाल कानपुर में यह प्लांट चल रहा है, शीघ्र यहां भी शुरू होगा। उन्होंने बताया कि उनकी सीएनजी न केवल हाथों हाथ बिकेगी वरन अपशिष्ट के तौर पर निकलने वाली स्लरी यानी बचा गोबर ताकतवर खाद का काम करेगा।

खरीदा जाएगा गोबर

सीवीओ ने बताया कि शहर से लगी बहुत सी डेयरियां है, जो गोबर को नाली में बहा देती थीं। उन्हें पैसे देकर गोबर खरीदा जाएगा।

आगरा गोवंशनामा

-जिले में कुल गाय-2,61,908

(ग्रामीण क्षेत्र में 2,31,115 व शहरी क्षेत्र में 30,793)

जिले में कुल नंदी -10,69,830 (ग्रामीण क्षेत्र में 9,49,795 व शहरी क्षेत्र में 1,20,035)

-कुल गोशाला- 9 (गोसेवा आयोग से फंड भी मिलता है।)

-कुल गोआश्रय स्थल- 18 (नगर निगम का एक व जिला पंचायत के कांजी हाउस पांच भी शामिल)

-निजी धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित गोशाला-12

-गो के लिए प्रतिदिन की डाइट- 30 रुपए

-शासन से गाय की डाइट के लिए अवमुक्त धन-2.02 करोड़ (नगर निगम का 1.02 करोड़ भी शामिल) व जिला पंचायत से 33 लाख

-डाइट पर अब तक खर्च- 33 लाख

अब गोशाला लॉगबुक

गोशाला में धांधली रोकने के लिए अब गोशाला में गोवंश की लॉगबुक बनाई गई है। प्रतिदिन सभी गोशाला में गोवंश की संख्या की शासन द्वारा समीक्षा हो रही है। कन्हैया गोशाला में उपस्थित गोवंश की ईयर टैगिंग की गई है। यहां 211 गोवंश हैं। 

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