करवाचौथ पर खनकेगी फीरोजाबादी खनक, जानें स्वास्थ पर क्या असर डालती हैं हाथों की चूडिय़ां
कड़े सैट की भी रही अच्छी डिमांड, रंग-बिरंगी चूड़ी ज्यादा आई पसंद। जरकिन से सजी चूड़ी की डिमांड ज्यादा, पंजाब में डिमांड में प्रेम ग्रंथ।
आगरा [जिज्ञासु वशिष्ठ]: करवाचौथ पर देश भर में फीरोजाबादी खनक खनकेगी। पंजाब एवं हरियाणा में चूड़ी की मांग सही है, मगर अन्य राज्यों में कुछ सुस्ता रहा है। ऑर्डर जा चुके हैं। इस बार महिलाएं जरकिन की सजावट को खास तवज्जो दे रही हैं तो चूड़ी दुकानदारों ने भी परंपरा एवं पसंद को देख लाल एवं हरे रंग की चूडिय़ां सजाई हैं।सुहाग के इस पर्व पर चूड़ी की खनक की बात ही कुछ और है। पंजाब व हरियाणा से इस बार भी अच्छी डिमांड निकली। पंजाब में इस बार प्रेम ग्रंथ की अच्छी डिमाडं रही है। लाल टमाटरी रंग में 12 चूड़ी आकर्षक हैं तो 80 रुपये का सैट होने के कारण अच्छी बिक्री हुई। 99 रुपये वाला आठ कड़े का राजा सेेट भी महिलाओं का मन मोह रहा है। देशप्रेमी (जरकिन का चमकदार नग), राम मंदिर (कड़े के सेेट पर मंदिर जैसी आकृति), शिव गंगा एवं सदा सुहागिन नाम की चूड़ी भी डिमांड में रही हैं।
रिषिका कड़े मोह लेते हैं मन
करवाचौथ पर कड़े की डिमांड भी इस बार अच्छी रही है। 'रिषिका को महिलाएं खासा पसंद कर रही हैं। आठ कड़े का सैट 150 रुपये के करीब बैठता है, इसमें कई रंगों का समावेश किया गया है।
ऑर्डर भी हुए कैंसल
अक्टूबर के शुरुआत में चूड़ी की कीमतों पर बढ़ोत्तरी का असर सीधे-सीधे कारोबार पर पड़ा। 12-14 रुपये में बिकने वाली सादा चूड़ी के डिब्बों पर एक रुपये की बढ़ोतरी थोक में हुई तो बाहर के कई कारोबारियों ने माल नहीं उठाया। वहीं ऐन वक्त पर हड़ताल से कटपीस (शॉर्ट माल) नहीं बन सका। इससे 25 फीसद तक कारोबार प्रभावित हुआ।
एक नजर में चूडिय़ों के भाव
25 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की चूड़ी एवं कड़े बाजार में। 25 फीसद कम रहा है बीते वर्ष की तुलना में कारोबार।
रेट बढऩे से आई दिक्कत
चूड़ी कारोबारी निशांक अग्रवाल के अनुसार इस बार चूड़ी के साथ में कड़े की भी अच्छी डिमांड रही है, हालांकि 20 दिन पूर्व कारखानेदारों द्वारा की गई रेट बढ़ोतरी से कुछ दिक्कतें आई हैं।
अलग- अलग धातु की चूड़ी का होता है अलग असर
चूडिय़ां किसी भी धातु की बनी हों लेकिन अंत में वह हाथों की सुंदरता को बढ़ाने के लिए प्रयोग में आती हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो नारी श्रृंगार के साथ ही उसके स्वास्थ पर भी चूडिय़ों का असर पड़ता है। चूडिय़ां जिस धातु से बनी होती हैं उसका उसे पहनने वाली महिला के आसपास के वातावरण एवं स्वयं उसके स्वास्थ पर असर पड़ता है। जैसे प्लास्टिक की चूडिय़ां रज- तम प्रभाव वाली होती हैं। यह चूडिय़ां वातावरण में से नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचती हैं। इसलिये डॉक्टरों का मानना है कि प्लास्टिक से बनी हुई प्लास्टिक की चूडिय़ां पहनने से महिला के विभिन्न शारीरिक अंगों पर एक अलग सा दवाब बनता है। इससे कई बार वह बीमार भी महसूस करती है। वहीं इससे अलग हैं कांच की बनी चूडिय़ां। विज्ञान का मानना है कि कांच की चूडिय़ों की आवास से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। इसके अलावा हिंदू धर्म में कांच की चूडिय़ों को सात्विक माना गया है।
हर रंग की चूड़ी का है अपना अलग महत्व
नवविवाहित महिलाओं को हरे कांच की चूडिय़ां पहनने को कहा जाता है। यह हरा रंग एक पेड़ की हरी पत्तियों की तरह ही अपनी छांव में खुशहाली प्रदान करता है। यह रंग देवी के रूप से भी जोड़कर देखा जाता है। लाल रंग की कांच की चूडिय़ां आदि शक्ति से जोड़कर देखी गई हैं। लाल के विभिन्न रंगों का अपना अलग महत्व है।