Women Empowerment: आगरा की छोरियां छोरों से कम ना सै..., दमखम दिखा रहीं मैदान में
Women Empowerment क्रिकेट और एथलेटिक्स के मैदान में लहराया परचम। पुरस्कारों से भरी है झोली आसान नहीं रहा सफर।
आगरा, प्रभजोत कौर। दबंग फिल्म का डायलॉग म्हारी छोरियां छोरों से कम से कै... को आगरा की महिला खिलाडिय़ों ने मैदान पर साबित किया है। आगरा का नाम ताजमहल, पेठा, दालमोठ के अलावा यहां की महिला खिलाडिय़ों ने भी पूरे विश्व में रोशन किया है। क्रिकेट के मैदान पर तो आगरा की लड़कियों ने सफलता के नए सोपान गढ़े हैं, वहीं एथलेटिक्स की दुनिया मेें भी आगरा की खिलाड़ी का नाम इज्जत से लिया जाता है। खेल क्षेत्र में आगरा ने कई महिला खिलाड़ी दिए हैं, इनमें से कुछ के सफर पर यह खास रिपोर्ट-
पूनम यादव
आगरा की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्हें अर्जुन अवार्ड मिला है। पूनम का जन्म 24 अगस्त 1991 को हुआ था, यही कारण है कि वह 24 नंबर की जर्सी पहनती हैं। पूनम आठ साल की उम्र से ही स्टेडियम जाने लगी थी। पिता की इच्छा नहीं थी कि वो क्रिकेट खेले, पर उन्होंने पिता को मनाया। जब पूनम का सिलेक्शन सेंट्रल जोन टीम के लिए हुआ तो वह यूपी की टीम का अंग बन गई। वर्ष 2013 में पूनम ने बांग्लादेश के खिलाफ टी-20 क्रिकेट फार्मेट में अंतरराष्ट्रीय पर्दापण किया था। पूनम को बीसीसीआई का सबसे बड़ा पुरस्कार बेस्ट इंटरनेशनल वुमेन क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा जा चुका है। 2019 में पूनम को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोङ्क्षवद ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया।
दीप्ति शर्मा
2019 में घरेलू महिला सीनियर सर्किट में शानदार प्रदर्शन के लिए दीप्ति शर्मा को जगमोहन डालमिया अवार्ड (सीनियर वर्ग) दिया गया था। दीप्ति शर्मा
की क्रिकेट में रूचि नौ साल की उम्र से ही थी। दीप्ति के बड़े भाई सुमित शर्मा उप्र के पूर्व तेज गेंदबाज रह चुके हैं। अपने भाई के साथ ही मैदान पर पहुंची दीप्ति ने 50 मीटर की दूरी से सीधा स्टांप पर गेंद फेंकी। इसी दौरान भारतीय टीम की चयनकर्ता हेमलता काला ने उन्हें देखा, भाई से कहा इसे खिलाओ, एक दिन टीम इंडिया में खेलेगी। 2014 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच से इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। पिता भगवान शर्मा रेलवे के रिटायर्ड क्लर्क हैं। अलराउंडर दीप्ति ने अब तक खेले 16 वनडे मैचों में तीन हाफ सेंचुरी समेत 427 रन बनाए हैं। 22 विकेट भी लिए हैं।
हेमलता काला
हेमलता काला क्रिकेट महिला चयन समिति की प्रमुख हैं। बैकुंठी देवी से स्नातक किया है। 1988 से 95 तक यूपी महिला क्रिकेट टीम के लिए खेली। 1996 से 2001 तक रेलवे टीम से खेला। 1999 में आयरलैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री मारी। दस साल तक हिस्सा रहीं। दाएं हाथ की बल्लेबाज और मीडियम फास्ट बॉलर हैं। 1999 में इंग्लैड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला था। हेमलता ने सात टेस्ट मैच में 503 रन बनाए। अंतिम टेस्ट मैच 2006 में इंग्लैड के खिलाफ खेला। हेमलता भारतीय रेलवे महिला क्रिकेट टीम और यूपी महिला सीनियर क्रिकेट टीम की कोच भी रह चुकी हैं।
अनामिका चौहान
अनामिका के चाचा पूर्व ओलंपियन विजय ङ्क्षसह चौहान हैं। कालेज में एथलेटिक्स खेलने वाली अनामिका ने शादी के बाद बीस साल बाद खेल के मैदान में वापसी की। मास्टर महिला एशियाड के शॉट पुट में चौथा स्थान बना कर विश्व मास्टर महिला विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में स्थान बनाया। अनामिका ने 2000 तक कई बार राष्ट्रीय स्तर पर शॉट पुट, डिसकस व जेवलिन में स्कूल , विश्वविद्यालय के अलावा ओपन नेशनल तक प्रदर्शन किया। खेल कोटे से पुलिस में सिपाही बनीं। शादी हुई और आज तीन बच्चों की मां भी हैं। अधिवक्ता पति के साथ परिवार का कुशल संचालन कर रही हैं।