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महिलाओं ने चुना हरियाली से रोजगार का रास्‍ता, कमा रही हैं अब हजारों रुपये महीना

गांव की महिलाएं रोजगार के लिए अब सिलाई कढ़ाई या बुनाई तक सीमित नहीं रहीं। समय के साथ कदमताल करते हुए 16 महिलाओं ने हरियाली को ही रोजगार का माध्यम बना लिया है। सरकार की मदद से नर्सरी विकसित कर ये महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 12:24 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 12:24 PM (IST)
महिलाओं ने चुना हरियाली से रोजगार का रास्‍ता, कमा रही हैं अब हजारों रुपये महीना
लकावली की ऊ षा राजपूत नर्सरी में पौधों की देखभाल करते हुए।

आगरा, राजीव शर्मा। दो बीघा पैतृक जमीन से होने वाली आमदनी से लकावली निवासी ऊषा राजपूत के घर की रसोई तो चल रही थी लेकिन बच्चों की पढ़ाई तथा अन्य खर्चे उठाना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में ऊषा ने पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की ठानी। अक्टूबर 2019 में हरियाली नर्सरी उत्पादक समूह से जुड़ीं और समूह की दूसरी महिलाओं के साथ मिलकर नर्सरी विकसित की। अब हर महीने पांच हजार रुपये से अधिक की आमदनी हो जाती है।

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केस दो

लकावली निवासी गंगादेवी के यहां आय का कोई स्थायी माध्यम नहीं है। पैतृक जमीन भी नहीं है, जिससे कि कम से कम घर की रसोई ही चलती रहे। पति की मेहनत-मजदूरी से ही घर का खर्च चलता है। ऐसे में गंगादेवी भी वर्ष 2019 में हरियाली नर्सरी उत्पादक समूह से जुड़ीं। यहां सुबह-शाम की मेहनत से महीने में ठीकठाक आमदनी हो जाती है। इससे घर का खर्च चलाने में बहुत मदद मिल रही है। वह इस काम को और बढ़ाना चाहती हैं।

गांव की महिलाएं रोजगार के लिए अब सिलाई, कढ़ाई या बुनाई तक सीमित नहीं रहीं। समय के साथ कदमताल करते हुए 16 महिलाओं ने हरियाली को ही रोजगार का माध्यम बना लिया है। सरकार की मदद से नर्सरी विकसित कर ये महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही हैं बल्कि घर खर्च का बोझ भी उठा रही हैं।

नर्सरी से रोजगार सृजित करने वाली ये महिलाएं हैं बरौली अहीर के लकावली गांव की। इन्हाेंने अक्टूबर 2019 में हरियाली नर्सरी उत्पादक समूह बनाया। आर्थिक रूप से कमजोर इन महिलाओं के पास नर्सरी विकसित करने के लिए जमीन नहीं थी। ऐसे में सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बरौली अहीर ब्लाक परिसर की लगभग 1250 वर्ग मीटर उबड़-खाबड़ जमीन इस समूह को दे दी। समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस जमीन को समतल कर, इसे उपजाऊ बनाया। पहले साल इस नर्सरी में 44 हजार पौधे तैयार किए। ये सभी पौधे बीते साल चले पौधरोपण अभियान के दौरान विभिन्न सरकारी विभागों को बेच दिए। इससे समूह से जुड़ी महिलाओं को अच्छीखासी आमदनी हुई। इस बार नर्सरी में लगभग 50 हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। समूह से जुड़ी महिलाओं को नर्सरी से पहले साल लगभग साढ़े पांच हजार रुपये प्रति महीने के हिसाब से आमदनी हुई। पौध तैयार करने में आठ से दस महीने लगते हैं।

ये लगाए पौधे

नर्सरी में फलदार, छायादार और फूलदार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इसमें गुलाब, गेंदा, बेला, अमरूद, नीम, अनार, बरगद, पपीता आदि प्रमुख पौधे हैं। इस बार सरकारी विभागों के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी पौधे बेचने की तैयारी है। 


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