कांपते रहे राहगीर, गैस हीटर गायब, प्रशासन का दावा फेल
शीतलहर में रात भर चौराहों पर ठिठुरते दिखे गरीब, कहीं गायब थे हीटर, कहीं कर दिए थे बंद
आगरा,जागरण संवाददाता। सर्द रात में जिम्मेदार भी गरीबों के साथ मजाक कर रहे हैं। प्रदूषण की मार झेल रही ताजनगरी में शहरी क्षेत्र में अलाव के नाम पर गैस हीटर जलाए जा रहे हैं। लेकिन इसमें भी गड़बड़ी है। रात गहराते ही गैस हीटर गायब हो जाते हैं। शीतलहर में कांप रहे राहगीर कूड़ा जलाकर ठंड से बचने की असफल कवायद करते दिखे। शुक्रवार रात जागरण ने शहर में अलाव की व्यवस्था की पड़ताल की तो यह स्याह तस्वीर सामने आई।
भगवान टॉकीज
रात के 11 बजे थे। भगवान टॉकीज ओवरब्रिज के नीचे नगर निगम का गैस हीटर जलता है। रात आठ बजे पुल के नीचे गैस हीटर रखा जाता है और रात साढ़े दस बजे तक कर्मचारी लेकर चले जाते हैं। शुक्रवार रात भी यहां से हीटर गायब था। जिस फुटपाथ के पास हीटर रखा जाता है, उस पर कंबल में दुबके गरीब कांप रहे थे, लेकिन यहां ठंड से बचने का इंतजाम नहीं था। यहां पान की दुकान चला रहे सतीश ने बताया कि रात आठ बजे हीटर आता है। साढ़े दस बजे चला गया। मेरी दुकान रात भर खुलती है, कूड़ा जलाकर राहगीर ठंड से बचने की कोशिश करते हैं।
वाटर वर्क्स चौराहा
साढ़े 11 बजे यहां पर गैस हीटर नहीं था। रिक्शा चालक कंबल में दुबके रिक्शे पर ही सोते रहे। पुल के नीचे बने फुटपाथ पर एक परिवार ठंड से कांप रहा था, तो कुछ रिक्शा चालक बीनकर लाई गईं लकड़ियां जलाकर ठंड से बचने की असफल कोशिश करते रहे।
रामबाग चौराहा
रात के 11.45 बज रहे थे। रामबाग पुल के नीचे राहुल की चाय की दुकान के पास गैस हीटर रखा था। लेकिन बंद था। चाय पीने आने वाले राहगीर दुकान पर जल रही भट्ठी पर ही हाथ सेंक रहे थे। राहुल ने बताया कि नगर निगम का कर्मचारी रात में चला जाता है। कैमरा देखकर राहुल के ही एक साथी ने गैस हीटर जला दिया।
एसएन मेडिकल कॉलेज
12.15 बजे। एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी परिसर में गेट के ही पास गैस हीटर रखा था और मद्धम जल रहा था। इसमें ऐसी गर्मी नहीं थी कि ठंड से बचा जा सके। ऐसे में मरीजों के तीमारदार भी दूर बैठ ठंड से कांपते रहे।
जिला अस्पताल
12.30 बजे। जिला अस्पताल परिसर में कहीं भी हीटर नहीं दिखा। यहां तीमारदारों से पूछा गया तो पता चला कि हीटर आया ही नहीं। कुछ तीमारदार वार्ड के बाहर बैठे ठंड में ठिठुरते रहे।
खंदारी चौराहा
रात में करीब 2 बजे थे। खंदारी चौराहा से आइएसबीटी की ओर ठंड से बेहाल राहगीर बैठे थे। आसपास का कूड़ा एकत्र कर राहगीरों ने उसे जलाया और उसकी तपिश से ठंड से बचने की कवायद करते रहे। इस कूड़े में प्लास्टिक भी थी, जिसकी दुर्गध राहगीरों को परेशान तो कर रही थी, लेकिन ठंड से बचने को यह दुर्गध भी सही जाती रही।