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आखिर क्या रही ऐसी मजबूरी, माता-पिता को मांगनी पड़ी इच्छामृत्यु

तीन में से दो बच्चे लंबे समय से थैलीसीमिया से पीडि़त। इलाज में बिक गई जमीन, बाकी रखी रिश्तेदार के यहां गिरवी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 01:13 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 02:09 PM (IST)
आखिर क्या रही ऐसी मजबूरी, माता-पिता को मांगनी पड़ी इच्छामृत्यु
आखिर क्या रही ऐसी मजबूरी, माता-पिता को मांगनी पड़ी इच्छामृत्यु

आगरा, जेएनएन। तीन बच्चों से घर के आंगन में खुशियां बिखरी थीं। मगर, एक बच्चे को थैलीसीमिया की बीमारी हो गई। कुछ ही दिनों में बीमारी ने दूसरे बच्चे को भी चपेट में ले लिया। महंगे इलाज में कुछ जमीन बिक गई तो बाकी जमीन गिरवी रखनी पड़ी। इलाज में मदद की कोई संभावना न देख असहाय माता-पिता ने अब इच्छा मृत्यु मांगी है।

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गांव कत्तरा निवासी शिववीर ङ्क्षसह के तीन बच्चे करिश्मा (8), दिव्यांशु (6), राधा (2) वर्ष हैं। दो वर्षों से करिश्मा और दिव्यांशु थैलीसीमिया से पीडि़त हैं। हर महीने दोनों बच्चों का खून बदला जाता है। एक बार में दोनों बच्चों पर करीब दस हजार रुपये खर्च आता है। डॉक्टरों ने स्थाई इलाज को ऑपरेशन बताया है। जिसमें एक बच्चे पर 22 लाख रुपये खर्च आएगा। शिववीर के पास पैतृक सात बीघा जमीन है। जिसमें से चार बीघा जमीन 11 लाख में बेचकर इलाज करा चुके हैं। शेष तीन बीघा जमीन भी रिश्तेदारों के पास गिरवी रखी है।

बीमारी की जानकारी होने पर एसडीएम अशोक प्रताप ङ्क्षसह ने शिववीर को कार्यालय बुलवाया था। उन्होंने बच्चों के इलाज का प्रस्ताव शासन को भिजवाने का आश्वासन दिया। शिववीर का कहना है कि इलाज कराने की स्थिति अब नहीं है। उसका परिवार निराश हो चुका है। बुधवार को शिववीर ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को मदद के लिए फैक्स किए। मदद न मिलने पर राष्ट्रपति से अपनी और पत्नी के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

ब्लड डिसऑर्डर है थैलीसीमिया

जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरके सागर ने बताया कि थैलीसीमिया खून से संबंधित एक डिसऑर्डर है, जिसमें खून में आरबीसी (लाल रक्त कणिकाओं) का निर्माण तो होता है लेकिन उनके साथ आयरन की मात्रा भी बढऩे लगती है। ऐसे में जरूरी होता है कि आयरन के स्तर को कम किया जाए। इसके लिए मरीज को खून चढ़ाया जाता है।


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