खुद के सौंदर्य की चंद्रमा से उपमा पर रुठी थीं राधारानी, जानिए क्या थी वो प्रेम कहानी Agra News
आज भी शिला में दिखाई देती है बृषभानु नंदनी की छवि। कृष्ण से मान करके छुप गई थी बृषभानु दुलारी।
आगरा, किशन चौहान। ब्रजभूमि राधाकृष्ण की लीलाओं का अदभुत संग्रह है। राधारानी के गांव बरसाना में उनकी लीलाओं के अनेक चिन्ह आज भी मौजूद हैं। कृष्ण द्वारा चंद्रमा से अपने सौंदर्य की तुलना सुनकर रूठी राधारानी एक शिला के पीछे जाकर छिप गई थीं। कृष्ण के काफी मान-मनौव्वल पर वे मानी थीं। मान मंदिर पर स्थित उक्त गुफा में आज भी वो शिला मौजूद है।
नारायण भट्ट द्वारा रचित ‘ब्रज भक्ति विलास’ में इस लीला का उल्लेख भी है। मान्यता है कि एक बार बृषभानु नंदनी ने सोलह श्रृंगार करके श्रीकृष्ण से पूछा कि मैं कैसी लग रही हूं। कृष्ण ने बृषभानु नंदनी के सौंदर्य की तुलना चंद्रमा से कर दी। राधा को ये तुलना बहुत बुरी लगी। क्योंकि चंद्रमा के सौंदर्य में दाग है। वे एक शिला के पीछे जाकर छिप गईं थीं। कृष्ण के काफी अनुनय-विनय के बाद उन्होंने गुस्सा छोड़ा। साठ साल पहले ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा ने इसी गुफा में बैठकर करीब तीस सालों तक राधारानी की आराधना की। मान मंदिर में स्थित गुफा में इस शिला को गौर से देखने पर उस पर राधारानी की छवि व पंजा दिखाई देता है। आज भी उक्त शिला पर राधारानी के लिए खेल खिलौने व भोग लगाया जाता है। संत रमेश बाबा ने बताया कि कई बार आराधना के दौरान घुंघरू व किसी बालिका के पुकारने की अनुभूति उन्हें होती थी।
क्या कहते हैं जानकार
ब्रह्मांचल पर्वत पर स्थित मान मंदिर वही प्राचीन स्थल है। जहां राधाकृष्ण की मान लीला हुई थी। कृष्ण द्वारा चंद्रमा से राधारानी के सौंदर्य की तुलना करने पर वो मान करके इसी स्थान पर बैठ गई थीं।
सुनील सिंह, सचिव, मान मंदिर बरसाना।
बरसाना के ब्रह्मांचल पर्वत व ऊंचागांव के सखिगिरी पर्वत पर राधाकृष्ण की लीलाओं से जुड़े तमाम चिन्ह आज भी मौजूद है। सरकार को ऐसे दिव्य चिन्ह स्थलों को सरंक्षित करना चाहिए।
योगेंद्र सिंह छोंकर, स्थानीय निवासी।
न जाने किसकी पोशाक पर रीङोंगी राधारानी
राधाष्टमी पर राधारानी न जाने किस श्रद्धालु की पोशाक धारण करेंगी। राधारानी जिस पोशाक को धारण करती हैं, वह अनमोल हो जाती है। बृषभानु नंदनी को पोशाक अर्पित करने की कतार में कई श्रद्धालु हैं। जिस श्रद्धालु की पोशाक सबसे आकर्षित होगी, उस पर राधारानी की कृपा बरसेगी। अभी यह तय नहीं हुआ है कि राधारानी किस श्रद्धालु की पोशाक को धारण करेंगी। बरसाना में हर्ष और उल्लास छाने लगा है। भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति राधाजी के जन्मोत्सव की तैयारी बरसाना लाडली मंदिर में चल रही हैं। बरसाना की हवा में भी श्रद्धा की मिठास घुलने लगी है। जन्म के बाद राधारानी पोशाक धारण करती हैं। यह पोशाक किसी श्रद्धालु द्वारा अर्पित की जाती है। श्रद्धालु रेशमी कपड़े पर सोने-चांदी के तार से जड़ित पोशाक भेंट करते हैं। बरसाना में राधाष्टमी महोत्सव पांच और छह सितंबर को मनाया जाएगा। छह सितंबर की सुबह चार बजे बृषभानु नंदनी का जन्म उनके निज महल में होगा। सेवायत श्रीविग्रह का पंचामृत से अभिषेक करेंगे। अभिषेक के बाद राधारानी को बेशकीमती पोशाक धारण कराई जाएगी। मंदिर के सेवायत बाबू गोस्वामी ने बताया कि दर्जनों श्रद्धालुओं द्वारा बेशकीमती पोशाक दी जाती है, लेकिन राधारानी किस की पोशाक धारण करेंगी यह वक्त ही बताएगा। सबसे आकर्षक पोशाक को ही जन्म के बाद राधारानी को धारण कराया जाता है।