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बजट रुका तो थम गए महिला हेल्‍प लाइन की 181 सेवा रेस्‍क्‍यू वैन के पहिये Agra News

बजट के अभाव में रुके 181 सेवा रेस्क्यू वैन के पहिए। महिला कल्‍याण विभाग ने रोका बजट।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 10:02 AM (IST)
बजट रुका तो थम गए महिला हेल्‍प लाइन की 181 सेवा रेस्‍क्‍यू वैन के पहिये Agra News
बजट रुका तो थम गए महिला हेल्‍प लाइन की 181 सेवा रेस्‍क्‍यू वैन के पहिये Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। महिला हेल्प लाइन 181 की रेस्क्यू वैन के पहिए बजट के अभाव में रुक गए हैं। आगरा समेत प्रदेश के 75 जिलों में रेस्क्यू वैन पीडि़ता की कॉल पर नहीं पहुंच रही हैं। अत्यंत गंभीर मामलों में ही स्टाफ अपने स्तर से उन रेस्क्यू वैन को चलाता है।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आठ मार्च 2016 को आगरा, मेरठ, गाजियाबाद, लखनऊ एवं प्रयागराज समेत 11 जिलों में महिला हेल्प लाइन 181 सेवा शुरू की गई थी। प्रत्येक जिले को एक रेस्क्यू वैन दी गई थी। इस पर आशा ज्योति केंद्र की कर्मचारी, महिला सिपाही एवं चालक समेत तीन लोगों को तैनात किया गया। यह स्टाफ तीन शिफ्ट में काम करता है। इसके बेहतर रिस्पांस को देखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2017 में प्रदेश के सभी 75 जिलों में 181 सेवा रेस्क्यू वैन की शुरुआत की।

रेस्क्यू वैन सेवा का उद्देश्य पीडि़त महिला द्वारा महिला हेल्प लाइन को कॉल करने पर तत्काल पहुंचकर मदद करना था। इसमें उसे सुरक्षित जगह पहुंचाना। जरूरत पडऩे पर पीडि़ता को मेडिकल या इलाज के लिए अस्पताल ले जाना। सके घर छोडऩे समेत अन्य काम करना था। इस साल फरवरी तक रेस्क्यू वैन लगातार चली।

मगर, फरवरी में महिला कल्याण विभाग द्वारा इसका बजट नहीं दिया गया। इसके बावजूद रेस्क्यू वैन चलाने का ठेका लेने वाली कंपनी द्वारा इसे जून तक अपने खर्च पर चलाया गया। जून तक बजट नहीं आने पर कंपनी ने भी हाथ खड़े कर दिए। अब स्टाफ अपने स्तर से अत्यंत जरूरी कॉल पर ही रेस्क्यू वैन को लेकर जाता है। उसे अपनी जेब से डीजल डालना पड़ता है।

रेस्क्यू वैन के चलते कम हुई पीडि़तों की संख्या

रेस्क्यू वैन के पहिए रुकने के चलते महिला हेल्प लाइन 181 पर होने कॉल में भी कमी आई है। जुलाई में 38 और अगस्त में 37 जबकि सितंबर के दूसरे सप्ताह तक सिर्फ 10 लोगों ने ही 181 पर कॉल की।

रिमांइडर भेजा है, जल्दी ही शासन से बजट मिलने की उम्मीद है।

आशीष, प्रोजेक्ट निदेशक 181 


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