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Webinar: कोरोना के बीच नये अवसर तलाश सकती है आगरा की मेडिकेयर इंडस्‍ट्री

Webinar दैनिक जागरण का इंडस्ट्रीय वेबीनार 2020 आओ टटोलें आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज। एमएसएमई राज्यमंत्री चौ. उदयभान व प्रमुख सचिव नवनीत सहलग हुए शामिल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 12:23 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 12:23 PM (IST)
Webinar: कोरोना के बीच नये अवसर तलाश सकती है आगरा की मेडिकेयर इंडस्‍ट्री
Webinar: कोरोना के बीच नये अवसर तलाश सकती है आगरा की मेडिकेयर इंडस्‍ट्री

आगरा, जागरण संवाददाता। देश को आत्मनिर्भर बनाना है, तो गांवों के कुटीर उद्योगों को उनके पुराने स्वरुप में पहुंचाना होगा। यह प्रक्रिया गांव को मजबूती देगी, जिससे जिला, प्रदेश और देश खुद ही आत्मनिर्भर हो जाएगा। छोटों और कुटीर उद्योगों को बढ़ाकर ही बड़े उद्योगों को मजबूत किया जा सकता है। यह कहना है प्रदेश के एमएसएमई राज्यमंत्री चौ. उदयभान सिंह है। यह बातें उन्होंने दैनिक जागरण की इंड़स्ट्रीयल वेबीनार 2020 आओ टटोलें आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज में कही।

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उनका कहना था कि कोरोना के मुश्किल दौर में जिले के 18 प्रमुख उद्योगों पर पुराने स्वरुप में पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण का यह प्रयास वाकई सराहनीय है। इसके बेहतर रास्ते निकलेंगे और समस्याओं के समाधान भी सामने आने से विकास का रास्ता तैयार होगा। एमएसएमई मंत्री होने के नाते उन्होंने कहा कि यदि शहर को औद्योगिक क्षेत्र में सवोत्तम पर पहुंचाना है, तो सभी को मिलकर लड़ाई लडऩी होगी और प्रयास करने होंगे क्योंकि कुछ विपरीत आवाजों के कारण ही यह छोटी सी समस्या लगातार कायम है। आगरा काबिल है, औद्योगिक शुरूआत उसका अधिकार है। उसे सही हिस्सा मिलना चाहिए क्योंकि टीटीजेड के नाम पर उसने बहुत कुछ खोया है। साथ ही ओडीओपी में लेदर के साथ इन्ले को शामिल करने पर उन्होंने पत्थर को भी जोड़े जाने की वकालत की। दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर उमेश शुक्ल ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य उद्योगों को मुश्किल दौर में संजीवनी देकर फिर से औद्योगिक संभावनाएं जगाना है, ताकि आत्मनिर्भर भारत के यज्ञ में जिले की ओर से भी पूरी निष्ठापूर्ण आहूति दी जा सके। हम उद्यमियों के लिए मित्र की भूमिका निभाकर उनके और सरकार के बीच सेतु के रुप में एक बेहतर आधार तैयार कर संवाद को और प्रभावी बनाने की मंशा रखते हैं। संचालन रावी इंवेंट के मनीष अग्र्रवाल ने किया।

पब्लिकेशन समेत सभी इंडस्ट्री प्रभावित हैं। सेल्स 50 फीसद तक गिरी हैं, लेवर की कम उपलब्ध है। इससे रोजगार पर असल पड़ेगा। पब्लिकेशन सेक्टर पर आरोप है कि उनकी किताबें एनसीईआरटी से महंगी होती है, सालों पुरानी प्रक्रिया बाजार बन चुकी है, जो धीरे-धीरे ही सुधरेगी। एकदम सुधार संभव नहीं क्योंकि भांग पूरे तालाब में घुटी है।

मुकेश जैन, पब्लिकेशन इंडस्ट्री।

कोरोना काल के दौर में पब्लिकेशन इंडस्ट्री को भी सहारे की काफी जरुरत है। ओडीओपी योजना से लेदर उद्योग को काफी लाभ हुआ है। आगरा पब्लिकेशन के लिए बड़ा केंद्र है, प्रदेश में 30 फीसद हिस्सेदारी है। यहां के प्रकाशक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर तक प्रसिद्ध हैं। लिहाजा उन्हें भी इस दायरे में लाने से उद्योग को फायदा मिलेगा।

अतुल जैन, पब्लिकेशन इंडस्ट्री।

कोरोनाकाल में लेवर की कमी से उत्पादन प्रभावित था, शिकायत पर सरकार ने कदम उठाए लेकिन देरी ने थोड़ा निराश किया। उद्यमियों को अवसर खुद तलाशने होंगे। स्थानीय स्तर पर पीपीई किट, मास्क, सेनेटाइजर, हैट आदि बनाना सकारात्मक संकेत हैं। रॉ माल के रेट 10 गुना तक बढ़े हैं और उत्पाद के दाम सीमित। लिहाजा सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

किशोर खन्ना, मेडिकेयर इंडस्ट्री।

कोरोना काल में निजी अस्पतालों पर अंकुश है, सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं की अनुमति दी, इससे छवि नकारात्मक हुई। चाइना को पछाड़कर खुद को स्थापित करने का यह एक मौका है। लिहाजा सरकार हेल्थ सेक्टर को बढ़ाने को फ्री या सस्ती लैंड उपलब्ध कराए, सस्ता ऋण मिले, तो इलाज भी सस्ता मिलेगा। आगरा के अस्पताल भी खुद को अपग्र्रेड करें।

डॉ. संदीप अग्र्रवाल, मेडिकेयर इंडस्ट्री।

कोरोना से पूरा सीजन बर्बाद हो गया। गारमेंट प्रदूषण रहित है, लिहाजा इसे जिले में शुरू करने के लिए बढ़ावा मिले। ऐसे में सरकार प्रोत्साहन दे और छोटी गारमेंट इकाइयों को बड़ा होने के लिए मदद करें, तो बात बनेगी। हम बदलने को तैयार हैं, हमने पीपीई किट, ग्लब्स आदि बनाने का प्रस्ताव दिया लेकिन अनुमति नहीं मिली। लेवर की समस्या बढ़ी है।

संजीव अग्र्रवाल, गारमेंट इंडस्ट्री।

यहां गारमेंट की छोटी इकाइयां हैं, उनका काम भी अच्छा है, लेकिन उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिलता। हर साल यहां 400 डिजाइनर बनते हैं, जिनमें से कुछ का पलायन होता है, कुछ बेरोजगार हो जाते हैं। उन्हें मौका मिले, तो इंडस्ट्री में तेजी आएगी। इसके लिए यहां सालाना ट्रेड फेयर या प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना चाहिए। उद्योग को बढ़ावा मिलने से ही रास्ता खुलेगा।

राखी कौशिक, गारमेंट इंडस्ट्री।

पंप सेट इंडस्ट्री कभी देशभर में पहचान रखती थी, लेकिन टीटीजेड ने काफी नुकसान पहुंचाया। यहां के उत्पाद की मांग विदेशों तक है, चाइना के सस्ते उत्पाद यहां की क्वालिटी के सामने नहीं टिकते, लेकिन सुविधाओं की कमी और नियमों की सख्ती उद्योग के लिए मुश्किल खड़ी करती हैं। थोड़ा सरकार राहत दे और थोड़ा उद्यमी बदलाव लाएं, तो यह उद्योग फिर से बुलंदी पर पहुंच सकता है।

विनय गुप्ता, पंप सेट इंडस्ट्री।

आगरा का आयरन उद्योग मुगल काल से यहां हैं। टीटीजेड से पहले पंप सेट और डीजल इंजन के लिए विश्व का बेहतरीन उत्पाद बनता था। लेकिन अब तमाम इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। यहां के उद्यमियों में अपार संभावनाएं हैं। सरकार नीति बनाकर उद्योगों को बूस्टअप करे, तो दम तोड़ता यह उद्योग एक बार फिर बुलंदी पर पहुंच सकता है।

अंशुल अग्र्रवाल, आयरन फाउंड्री।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज से एमएसएमई को जागरूक करें। रिफार्म व ट्रांसफॉर्म कर परफॉर्म करने का समय। डिजिटल तकनीक को अपनाएं। ईजी ऑफ डूइंग बिजनेस में एक ही फॉर्म (स्पाइस प्लस) से ही नयी कंपनी बनाने के साथ कई काम संभव। जीएसटी-आयकर में 30 जून तक ब्याज न लें, ब्याज दर आधा हो, 30 जून तक बिजली फिक्स्ड चार्ज से छूट मिले।

सीए रोहित दुआ।

यकीनन उद्योगों के लिए समय मुश्किल है, लेकिन घबराएं नहीं, खुद को स्थापित करने का यह स्वर्णिम मौका है। बाजार की स्थिति समझकर सही दिशा में बढऩे से सफलता मिलेगी। एमएसएमई को बढ़ावा देने को प्रयास जारी, लेकिन बैंक की मनमानी और पेचिदा प्रक्रिया का सरलीकरण भी बड़ी समस्या है। इसे सुधार करने से ही ईज ऑफ डूइंग सही मायने में सार्थक होगा।

सीए पंकज मिश्रा।

उद्योगों को इस समय संजीवनी की जरुरत है। आगरा के उद्योग टीटीजेड और प्रतिबंधों से काफी कुछ खो चुके हैं। उम्मीद है कि इस मुश्किल समय है नियमों में ढ़ील देकर हालात सुधारे जा सकते हैं। उद्यमियों को भी अपनी कार्यशैली सुधारनी होगी। पारंपरिक तरीके त्याग कर तकनीक को सहारा बनाकर ही आज तरक्की के रास्ते खोले जा सकते हैं।

राजेंद्र गर्ग, उपाध्यक्ष, नेशनल चैंबर।

लॉकडाउन और कोरोना ने व्यापार को काफी प्रभावित किया है। छोटा-बड़ा हर कारोबार और व्यापार प्रभावित है। सरकार ने कदम उठाए हैं, लेकिन नियमों को नाम पर सरकारी विभागों का उत्पीडऩ बंद होना चाहिए। यह सरकार की मंशा पर पलीता लगाती है। फिलहाल का समय उद्योगों को सहारा देने का है, तभी बात बनेगी।

श्याम सुंदर अग्र्रवाल, शॉप अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती।


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