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Webinar: तेजी से घूमा उद्योगों का पहिया, उद्यमियों ने जागरण संग किया मंथन

Webinar दैन‍िक जागरण आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज तलाशने को चार द‍िवसीय दैनिक जागरण आगरा इंडस्ट्रीज वेबीनार -2020 शुरु हो चुकी है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 12:04 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 03:04 PM (IST)
Webinar: तेजी से घूमा उद्योगों का पहिया, उद्यमियों ने जागरण संग किया मंथन
Webinar: तेजी से घूमा उद्योगों का पहिया, उद्यमियों ने जागरण संग किया मंथन

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना के कारण समय असाधारण है, तो इससे उबरने को प्रयास भी विशेष करने होंगे। चाइना को टक्कर देकर लोकल को वोकल बनाना है, तो एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर एक ब्लॉक, एक पंचायत और एक गांव के साथ में एक उत्पाद को तलाशना होगा। तभी उद्योगों की पहुंच ग्र्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने से सही मायनों में एमएसएमई क्षेत्र का विकास होगा। यह बातें प्रदेश एमएसएमई राज्यमंत्री चौ. उदयभान सिंह ने दैनिक जागरण की इंडस्ट्रीयल वेबीनार-2020, आओ टटोलें आगरा के उद्योगों के विकास की नब्ज में उद्यमियों से संवाद स्थापित कर कहीं।

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उनका कहना था कि एमएसएमई क्षेत्र का देश के विकास में कृषि क्षेत्र के बाद सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए जिले में लैंडबैंक की समस्या दूर करने को हम जमीन तलाश रहे हैं, ताकि उद्योगों को स्थापित कराया जा सके। सरकार की नीतियां उद्योगों के पक्ष में हैं, लिहाजा हालातों को सुधारने के लिए हमें सुझाव दें। दैनिक जागरण के इस आयोजन से हमारे प्रयास में काफी सहायता मिलेगी। अब उद्योग तभी सफल होंगे, जब एक जिला एक उत्पाद नहीं, बल्कि एक ब्लॉक, पंचायत और गांव के पास अपना उत्पाद हो, जैसे आगरा के जूता उद्योग की तरह बीसलपुर में संगमरमर उद्योग, दूरा का पत्थर उद्योग और फतेहपुरसीकरी का दरी और कालीन उद्योग प्रसिद्ध है।

दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर उमेश शुक्ल ने कहा कि आगरा की विश्व स्तर तक विशेष पहचान है, न सिर्फ ताजमहल बल्कि यहां के पेठा, जेनरेटर आदि उद्योगों से भी। इस आयोजन का उद्देश्य है कि सरकार और उद्यमियों के बीच संवाद करा बीच की समस्याएं दूर कर समाधान उपलब्ध कराए जाएं, ताकि उद्योगों के हालात सुधर सकें। आयोजन में रावी इवेंट्स के मनीष अग्र्रवाल ने सहयोग किया। इस दौरान लघु उद्योग निगम लि. उपाध्यक्ष राकेश गर्ग, इंपैक्ट सौल्यूशन के संदीप उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

क्‍या कहा उद्यमियों ने

आगरा का ट्रांसफार्मर देश-विदेश में जाता है। लेकिन कुछ समस्याएं गंभीर हैं। जैसे एमएमएसई यूनिट सप्लाई के साथ रिपेयङ्क्षरग और मेंटेनेंस सेवाएं देती हैं, लेकिन उनका भुगतान सरकार की शर्तों के हिसाब से नहीं होता। इसका सही से निस्तारण हो।

संजय जैन, ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री।

ट्रांसफार्मर उद्योग को बढ़ावा देना है, तो ऋण पर ब्याज सस्ता हो, सरकार मदद करेगी, तभी स्थिति सुधरेगी। बिजल बिल की आउटस्टैंडिंग होने पर बिल में उसका समायोजन नहीं किया जाता। सेक्टर के लिए विशेष योजना तैयार करें।

यूके गोस्वामी, ट्रांसफार्मर इंडस्ट्री।

इंडस्ट्री में बहुत संभावना है लेकिन यहां टेस्टिंग फेसिलिटी नहीं, बाहर जाना पड़ता है। उद्योग विस्तार को लेकर भी कोई राहत नहीं मिली। चाइना से सीधा मुकाबला है और हमारे उत्पाद बेहतर हैं। लेकिन चीन में ऋण ढ़ाई फीसद जबकि हमें 12 फीसद ऋण मिलता है, इसे कम किया जाए। लॉजिस्टिक के महंगे दाम कीमत बढ़ाते हैं।

राकेश मित्तल, जेनरेटर इंडस्ट्री।

हर व्यापार पीडि़त, सोच-समझकर काम करें। अपने साथ देश व मजदूरों की भी सोचे। पायल उद्योग अच्छी स्थिति में है लेकिन लघु व कुटीर उद्योग में होने पर भी तीन फीसद टैक्स है, एक फीसद हो। इंपोर्ट ड्यूटी साढ़े 12 फीसद बहुत ज्यादा है। साढ़े 15 फीसद टैक्स देने पर भी सुरक्षा का अभाव व पुलिस उत्पीडऩ झेलते हैं, इससे निजात मिले। इंटरनेशनल प्रदर्शनी लगाएं, विदेशी खरीदार आएंगे।

निर्मल जैन, सिल्वर पायल इंडस्ट्री।

पेठा उद्योग को अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। शहर से बाहर जाने को जगह मिली, लेकिन एमएसएमई उद्यम होने पर भी सुविधाएं और नीति न होने से स्थिति बदहाल। मैंने खुद सेटअप लगाया, लेकिन न आर्थिक सहयोग मिला न प्रोत्साहन। पेठे को फल में गिना जाता है, जबकि इसे सब्जी में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि टैक्स फ्री हो। हमें अपने काम में स्वच्छता व पारदर्शिता लानी होगी।

अमित गोयल, पेठा इंडस्ट्री।

70 फीसद मसालों का निर्यात विदेशों में होता है। लिहाजा इसमें काफी संभावनाएं हैं। लेकिन इकाइयां लगाने में काफी औपचारिकताएं व एनओसी चाहिए होती हैं, जो आसानी से नहीं मिलती। देरी भी होती है। प्रक्रिया सरल हो। बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार मिलता है, तो नई इकाइयों को सब्सिडी मिले। मशीन व जमीन में छूट मिलनी चाहिए।

नितिन गोयल, मसाला उद्योग।

लिमिटेड सप्लाई, डिमांड और लेवर। इन समस्याओं से हर व्यापार जूझ रहा है। सरकार अपने स्तर से मदद कर रही है, लेकिन उद्यमियों को खुद भी बदलना होगा। एग्र्रोटेक इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलने पर हमने भी वहां का रुख किया, जिससे डिमांड एकदम बढ़ गई। ऐसे ही संभावनाएं तलाशने और प्रयास करने से लाभ होगा। हालांकि थोड़ी मुश्किल जरुर होंगी, लेकिन नीति बनाकर ही समस्या से पार पा सकेंगे।

देवॉय बैनारा, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री।

प्रोफेशनल्स

हालातों को देखकर सरकार मदद कर रही है। लेकिन आगरा की भौगोलिक संरचना और पाबंदियों से मैन्यूफैक्चङ्क्षरग प्रभावित। इस दिशा में प्रयास होने चाहिए। चाइना का विकल्प बनने को उनकी कम कीमत और आकर्षण स्वरुप को भी टक्कर देनी होगी। उसी हिसाब से बाजार का मूल्यांकन कर उत्पाद तैयार कर बाजार में उतारें। टैस्टिंग इंक्यूमेंट लगाएं, उससे मदद मिलेगी।

सीए ऋषि अग्र्रवाल।

परिस्थिति सामान्य नहीं, तैयारी भी विशेष चाहिए इसलिए आउट ऑफ बॉक्स जाकर सोचे। डिमांड, लेवर, सप्लाई, सबकुछ बदला। इसलिए व्यापार को रीबूट कर नई शुरूआत करनी होगी। राहत भी हर सेक्टर की जरुरत के हिसाब से निर्धारित कर दें। जूता यहां घर-घर बनता है, स्मार्ट विलेज की बात धरातल पर उतरनी चाहिए। ईज ऑफ स्टार्टिंग बिजनेस में 136वें स्थान से सुधार की जरुरत। चाइना को पिछाड़कर वोकल फॉर लोकल के लिए इंडस्ट्रीयल क्लस्टर सुधारना होगा। व्यापारी एबीसी एनालिटिक्स कर लें कि किससे कितना कैश और कितना क्रेडिट व्यापार करना है। तकनीक फ्रैंडली होना जरुरत है।

सीए मोहनलाल कुकरेजा।

दैनिक जागरण का प्रयास सराहनीय है। एमएसएमई को मदद की बेहद जरुरत है। सरकार परेशानी समझ रही है। व्यापारियों को खुद भी स्थिति समझकर हालातों के हिसाब से फैसले लेने होंगे। हालांकि इंस्पेक्टर राज पर सरकार की सख्ती से अंकुश लगा है। उम्मीद है, प्रदेश और जिले में जल्द ही कारोबार को लेकर स्थिति सुधरेगी।

सुनील सिंघल, पूर्व अध्यक्ष, नेशनल चेंबर।

उद्योगों की स्थिति

पॉवर और ट्रांसफॉर्मर सेक्टर

- जिले में 183 से अधिक छोटी-बडी इकाइयां।

- करीब 1200 करोड का टर्नओवर।

- कभी पूरे देश में थी जेनरेटर सप्लाइ।

- चाइना के पंप सेटों का सबसे बड़ा प्रतिद्धंदी।

सिल्वर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री

- 1000 छोटी बडी इकाइयां।

- रोज 50 करोड से अधिक का कारोबार।

- एक लाख से ज्यादा लोग कारोबार से जुड़े।

- आगरा-मथुरा की पायल देशभर में लोकप्रिय।

ऑटो पार्टस सेक्टर

- 300 से अधिक इकाइयां।

- 1500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार।

- डेढ़ लाख से ज्यादा लोग कारोबार से जुड़े।

- एग्र्रोटेक की तरफ रुख करके मिला फायदा।

फूड एंड पेठा

- करीब 500 छोटी-बड़ी इकाइयां।

- सालाना करीब 225 करोड़ रुपये का व्यापार।

- दो लाख लोग कारोबार से जुड़े।

- देश-विदेश में आगरा के पेठे की पहचान।

अपेक्षाएं

- लॉक डाउन में बंद रही फैक्ट्रियों का बिजली बिल माफ किए जाएं।

- प्रतिभूति पर टर्नओवर का 10 फीसद ऋण वेतन के लिए और वर्तमान लिमिट का 50 फीसद तरलता के लिए बिना ब्याज के दे हो। पांच वर्ष में किश्त भुगतान की व्यवस्था हो।

- देसी पंप सेट चाइना से बेहतर। उसकी खराब हुई साख आगरा को दुनिया पॉवर सेक्टर में खड़ा कर सकती है।

- ट्रॉसफॉर्मर सेक्टर को सरकार विशेष आॢथक पैकेज जारी करे, ताकि दुनिया से प्रतियोगिता कर सकें।

- पेठा सब्जी सेगमेंट में टैक्स फ्री होना चाहिए, जबकि फल में होने से टैक्स लगता है।

- बाजार के हाल समझकर व्यापारी का आंकलन कर तय करें कैश और क्रेडिट व्यापार की सीमा।

यह हो सकते हैं शामिल

सोमवार को होने वाली वेबीनार में प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और कैबिनेट सचिव नवनीत सहगल भी शामिल हो सकते हैं।


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