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बढ़ती गई आस, न बुझी गंगाजल की प्यास

आगरा : महज दावे। कभी मार्च तो कभी अप्रैल 2018। गंगाजल के नाम पर भाजपा नेताओं ने चुनाव के पहले से लेक

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 05:49 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 05:49 PM (IST)
बढ़ती गई आस, न बुझी गंगाजल की प्यास
बढ़ती गई आस, न बुझी गंगाजल की प्यास

आगरा : महज दावे। कभी मार्च तो कभी अप्रैल 2018। गंगाजल के नाम पर भाजपा नेताओं ने चुनाव के पहले से लेकर बाद तक एक ही बात दोहराई, लेकिन एक साल के भीतर कुछ ही किमी गंगाजल पाइप लाइन बिछी। छह माह तक वन विभाग ने लाइन बिछाने पर रोक लगा रखी। दस हेक्टेअर जमीन मिलने के बाद लाइन बिछाने का काम शुरू होने दिया गया, जबकि अभी तक सुप्रीम कोर्ट से पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं मिली है। इसकी सुनवाई बीस अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में होगी।

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आगरा शहर की प्यास बुझाने के लिए गंगाजल लाने के प्रयास चल रहे हैं। बुलंदशहर स्थित पालड़ा झाल से आगरा तक 130 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई जा रही है। अब तक 125 किमी लाइन बिछ चुकी है। पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव वर्ष 2005 में तैयार हुआ था। कागजों पर कसरत चलती रही। प्रोजेक्ट 387 करोड़ रुपये से शुरू हुआ था, जो अब 2900 करोड़ रुपये पहुंच गया है। गंगाजल पाइप लाइन के दिसंबर 2014 में टेंडर हुए थे। चार कंपनियों को इसका ठेका अलग-अलग क्षेत्रों के लिए दिया गया। अब तक तीन बार प्रोजेक्ट की अंतिम तारीख को बढ़ाया जा सकता है। 31 मार्च, 2018 तक प्रोजेक्ट पूरा होना है। एक साल के भीतर कुछ ही किमी पाइप लाइन बिछी है। अगस्त, 2017 में लाइन बिछाने को झटका लगा। जब वन विभाग ने बाबरपुर, बाईपुर व मऊ में कार्य को रुकवा दिया। वन विभाग द्वारा जल निगम पर अधिक जमीन के उपयोग का आरोप लगाया गया। दस हेक्टेअर जमीन की मांग की गई जिससे आरक्षित वन क्षेत्र को विकसित किया जा सके। आगरा में जमीन की तलाश हुई। मामला शासन तक पहुंचा, लेकिन जमीन को खोजने में छह माह लग गए। फीरोजाबाद के टूंडला में दस हेक्टेअर जमीन मिली। जमीन मिलने के बाद लाइप बिछाने का कार्य शुरू हुआ। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक आगरा व मथुरा के बार्डर पर पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी है। इसके चलते दो किमी में लाइन बिछाने का कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है।

धीमी गति से चल रहा है कार्य

कैलाश मंदिर के समीप से एक लाइन सिकंदरा स्थित एमबीबीआर प्लांट और दूसरी लाइन जीवनी मंडी वाटरव‌र्क्स के लिए जाएगी। वाटरव‌र्क्स के लिए लाइन बिछाने का कार्य चल रहा है। यह कार्य धीमी गति से हो रहा है। यहां तक संरक्षा के इंतजाम का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।

नाम की बैठकें

गंगाजल प्रोजेक्ट की समीक्षा को लेकर हर माह बैठकें हुई, लेकिन प्रोजेक्ट की रफ्तार में तेजी नहीं आई।

प्रोजेक्ट की बढ़ सकती है लागत

गंगाजल प्रोजेक्ट की वर्तमान लागत 2900 करोड़ रुपये है। जिस तरीके से प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। उसके चलते एक बार फिर से इसकी लागत बढ़ सकती है।

इस साल न बिछ सकेगी पाइप लाइन

जल निगम द्वारा एक दिन में तीन पाइप बिछाए जा रहे हैं। अभी मुख्य लाइन पांच किमी और सब लाइन छह किमी लाइन बिछाने का कार्य अभी तक नहीं हुआ है। यानी 11 किमी के बीच लाइन बिछेगी। फिर लाइन की टेस्टिंग होगी। इसके बाद ही पाइप लाइन को चालू किया जाएगा।

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गंगाजल प्रोजेक्ट एक नजर में

- जल निगम ने वर्ष 2005 में प्रस्ताव तैयार किया था।

- कुल लागत 387 करोड़ रुपये की आंकी गई।

- दिसंबर, 2014 में पाइप लाइन के टेंडर हुए और काम चालू हुआ।

- तीन बार प्रोजेक्ट की अंतिम तारीख बढ़ चुकी है। चौथी बार फिर बढ़ने जा रही है।

- अंतिम तारीख 31, मार्च 2018 है।

- वर्तमान में लागत 2900 करोड़ रुपये है।

- प्रोजेक्ट से आगरा को हर दिन 144 एमएलडी पानी मिलेगा।

- इससे आधे शहर को पानी की आपूर्ति होगी।


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