बंदरिया की स्ट्राइक से कुतिया पस्त, छिपने के सारे ठिकानों पर अटैक
सिकंदरा सब्जी मंडी में आठ दिन से छिड़ी है अस्तित्व की जंग। दुकानदार और खरीदार बने तमाशबीन।
आगरा, ऋषि दीक्षित। सिकंदरा सब्जी मंडी में आठ दिन से एक अनाेेखी जंग चल रही है। जब यह जंग छिड़ती है तो दुकानदार और खरीदार सब तमाशबीन बन जाते हैं। एक कुतिया और बंदरिया के बीच जंग का बिगुल दो मार्च को बजा था। तब से एक सप्ताह हो गया। जंग जारी है। पहले दिन तो लड़ाई में कुतिया हावी रही और बंदरिया पर हमला बोल दिया था। उसके बाद जख्मी बंदरिया इतनी खिसिया गई है कि अब कुतिया जान बचाती फिर रही है। कुतिया जहां जाकर छिपती है, वहींं जाकर बंदरिया अटैक करती है। आलम यह है कि बंदरिया के डर से कुतिया सहमी-सहमी है। मंडी के दुकानदारों को भी नहीं समझ आ रहा कि लड़ाई खत्म कराने को मध्यस्थता कैसे की जाए।
शनिवार सुबह करीब 11.30 बजे सिकंदरा सब्जी मंडी के मुख्य गेट पर बरगद के पेड़ के नीचे बंदरिया और कुतिया की जंग चल रही थी और लोग तमाशा देख रहे थे। एक दुकानदार के फड़ पर तख्त के नीचे लाचार कुतिया जान बचाने को घुसी हुई थी। बंदरिया उस पर बार-बार हमला कर रही थी। मंडी में तमाशबीन बने दुकानदार और खरीदार न तो कुतिया को बचा पा रहे थे न बंदरिया को रोक पा रहे थे। खास बात ये है कि बंदरिया और किसी से कुछ नहीं कह रही है वह सिर्फ कुतिया को तख्त के नीचे से नहीं निकलने दे रही। अस्तित्व की जंग में यह बंदरिया भी लहूलुहान हो चुकी है, लेकिन वह पीछे हटने को तैयार नहीं है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार वह जब भी कुतिया को बाहर देखती है हमला बोल देती है। बचने के लिए कुतिया तख्त के नीचे घुस जाती है। घंटों तक ये सिलसिला चलता है। कुछ दुकानदार हिम्मत कर कुतिया को शरण देते हैं, तब बंदरिया पीछा छोड़ती है। लोग यह भी नहीं समझ पा रहे कि आखिर इस गहरी दुश्मनी के पीछे वजह क्या है।