समस्या एक है फिर भी मथुरा के बंदरों पर गूंजी लोकसभा, ताजनगरी ने ओढी चुप्पी Agra News
शहरवासियों ने मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर नगर निगम और वन विभाग के अधिकारियों तक सैकड़ों शिकायतें की हैं लेकिन जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। सांसद हेमामालिनी ने मथुरा- वृदांवन में बंदरों के खौफ का मामला लोकसभा में उठाया तो सदन गूूंज उठा। बंदरों के लिए जंगल सफारी बनाने की बात भी हुई। आगरा में भी बंदरों की खो-खो जिंदगी पर भारी पड़ रही है। नगर व देहात में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खाने को लेकर उनके बीच भी लड़ाई हो रही हैं। आक्रामक बंदर इंसान पर भी हमलावर हो रहे हैं। मरीज के तीमारदारों को बंदर मरीज बना रहे हैं। इनके हत्थे जो चढ़ता है उसे शिकार बना लेते हैं। कलक्ट्रेट, एसएन अस्पताल समेत अधिकांश कॉलोनियों व गांव की छतों पर बंदरों का कब्जा है। क्या बच्चे और क्या बड़े, कोई भी छत पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। यदि कोई चला जाए तो बंदर उन्हें खदेड़ देते हैं। शहरवासियों ने मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर नगर निगम और वन विभाग के अधिकारियों तक सैकड़ों शिकायतें की हैं, लेकिन जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। बंदरों को पकडऩे का दस्ता फेल है और नसबंदी का काम ठप है, इस सबके बावजूद जनप्रतिनिधि खामोश है।
कई करोड खर्च हालत जस के तस
बंदरों की समस्या खत्म करने के लिए यहां 2015 में विदेशों की तर्ज पर इनकी नसबंदी योजना को मंजूरी मिली थी। तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर के आदेश पर वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने प्रस्ताव तैयार किया था। विभिन्न क्षेत्रों में जीपीएस सिस्टम के आधार पर बंदरों के ग्रुप की पहचान की गई। एडीए ने दो करोड़ रुपये खर्च कर दिए। बंदर पकड़े भी गए और उनकी नसबंदी भी की गई। लेकिन उन इलाकों में जहां से बंदर पकड़ कर फिर वहीं छोड़ दिए थे, बंदरों की तादाद में कमी नहीं आई। नसबंदी का यह हांगकांग मॉडल फेल हो गया। इसलिए लंगूरों पर लोगों का और प्रशासनिक अधिकारियों का भरोसा बढ़ा है। करीब दो साल पहले ताजमहल परिसर में घूम रहे एक फ्रांसीसी पर्यटक को बंदरों के झुंड ने पैर में काट लिया था। यह घटना अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनी थी। अब नगर निगम कान्हावन में बंदर सफारी बनाने का दावा कर रहा है पर इस प्रोजेक्ट पर कब अमल होगा, स्पष्ट नहीं है।
बंदरों की खो- खो, खामोश कर रही शहरवासियों की जिंदगी
केस-1
गोकुलपुरा निवासी देवेन्द्र सिंह के घर की छत पर बंदरों का झुंड बैठता है। खौफ से उन्होंने अपने घर की छत पर जाना छोड़ दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की है।
केस-2
दयालबाग निवासी रजन जैन ने 18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर बंदर पकडऩे की शिकायत की है।
यह चंद शिकायते हैं जो नागरिकों ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर की है। लॉयर्स कॉलोनी, बल्केश्वर, कोठी मीना बाजार, अशोक नगर, गोकुलपुरा, ट्रांस यमुना कॉलोनी, विजयनगर, कमलानगर, राधानगर, नेहरूनगर, निर्भयनगर, ध्रुव कॉलोनी, इंद्रापुरम, त्यागीनगर, अग्रवाल कॉलोनी, महर्षिपुरम सहित शहर के विभिन्न इलाकों में बंदरों का खौफ है। ऐसे में बंदरों की खो-खो जिंदगी पर भारी पड़ रही हैं।
घटना- दर- घटना
केस स्टडी
9 अक्टूबर 2019- खंदौली क्षेत्र में माता कॉलोनी निवासी झम्मन सिंह का छह वर्षीय पुत्र कृष्णा बुधवार की सुबह घर के बाहर खेल रहा था। वहां से निकल रहे बंदर ने झपट्टा मार कर खेल रहे कृष्णा पर हमला कर कई जगह काट लिया।
27 अगस्त 2019- बरहन में रेलवे कॉलोनी के पास रहने वाले विवेक राज त्यागी का छह वर्षीय पुत्र उत्कर्ष व उसकी मां सर्वेश देवी। स्कूल जाते वक्त बंदर ने हमला किया तो दोंनो गंभीर रूप से घायल हुए।
30 जुलाई 2019- रुनकता थाना कोतवाली के अंतर्गत माईथान में 50 वर्षीय हरिशंकर गोयल। वह सुबह पूजा के लिए घर से निकल रहे थे कि बंदरों की टोली ने उन पर हमला बोल दिया। उनकी मौत हो गई।
18 मई 2019 - बाह क्षेत्र में पिढ़ौरा थाने के पुरा जवाहर गांव निवासी 17 वर्षीय प्रीती पुत्री लक्ष्मी नरायन शनिवार सुबह छत पर गई थी। वहां बंदरों के झुंड ने उसे घेर लिया। घुड़की से भयभीत प्रीती ने छत से छलांग लगा दी। इससे उसके पैर में चोट आई है।
26 जनवरी 2019- खेरागढ़ के गांव अयेला निवासी निर्मला देवी पर बंदरों ने हमला बोल दिया, वह छत से गिर गई।
22 नवंबर 2018- ताजमहल का दीदार करने पहुंची इटली की मरियम को पश्चिमी गेट के पास काट लिया।
13 नवंबर 2018- 12 दिन के आयुष को बंदर मां की गोद से छीन कर ले गए थे, उसकी मौत हो गई।
तीमारदारों के हाथ से दवा छीन रहे बंदर
एसएन हास्पीटल में बंदरों का आतंक है, मरीजों से बंदर दवाएं और खाने का सामान छीन कर ले जा रहे हैं। इससे आए दिन हादसे हो रहे हैं। एसएन के वार्ड, ओपीडी, हॉस्टल में बंदर घूमते रहते हैं। शुक्रवार को पुरानी सर्जरी बिल्डिंग के बाहर दवाएं लेकर जा रहे तीमारदार फतेहपुरसीकरी निवासी प्रदीप को बंदरों ने घेर लिया। उसके हाथ से दवाओं की थैली छीनकर भाग गए, कुछ दवाएं थैली से गिर गईं। प्राचार्य डॉ. जीके अनेजा ने बताया कि कई बार नगर निगम को बंदर को पकडऩे के लिए पत्र लिखा जा चुका है।
300 मरीज रोज पहुंच रहे अस्पताल
जिला अस्पताल में रोजाना ढाई सौ से तीन सौ लोग बंदरों के हमले में घायल होकर पहुंच रहे हैैं। प्रमुख अधीक्षक डॉ सतीश वर्मा ने भी इसकी पुष्टि की है।
छतों पर लगा लोहे का जाल
बंदरों के खौफ से अधिकांश कॉलोनियों में लोगों ने अपने भवनों की छतों पर लोहे के जाल लगवा कर खुद को सुरक्षित किया है। खिड़कियों में तार का घना जाल लगवाया है।
जनप्रतिनिधियों का क्या है कहना
यह गंभीर समस्या है। नगर निगम स्तर से कान्हा उपवन में बंदर सफारी का प्रोजेक्ट बन चुका है। जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
- प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल सांसद आगरा
वृदांवन ही नहीं पूरे ब्रज में बंदरों का खौफ है। इसको गंभीरता से लेते हुए स्थायी समाधान के प्रयास किए जाएंगे। शासन-प्रशासन स्तर पर इस बाबत बातचीत हो रही हैं।
-राजकुमार चाहर सांसद फतेहपुरसीकरी