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Vat Savitri 2022: वट सावित्री व्रत 30 को, इस खास संयोग में होगी पूजा, ये रहेगा शुभ मुहूर्त

Vat Savitri 2022 30 मई को वट सावित्री का व्रत पर इस बार काफी अच्छा संयोग बन रहा है। इस दिन शनि जयंती के साथ सुबह 7 12 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 31 मई सुबह 508 मिनट तक रहेगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 05:05 PM (IST)
Vat Savitri 2022: वट सावित्री व्रत 30 को, इस खास संयोग में होगी पूजा, ये रहेगा शुभ मुहूर्त
Vat Savitri 2022: सोमवार 30 मई को वट सावित्री का व्रत पर इस बार काफी अच्छा संयोग बन रहा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। सुहाग का पर्व वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करके महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार सोमवार 30 मई को वट सावित्री का व्रत पर इस बार काफी अच्छा संयोग बन रहा है। इस दिन शनि जयंती के साथ सुबह 7:12 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू होकर 31 मई सुबह 5:08 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषविदों की राय में इस खास योग में पूजा करने से फल कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।

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हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ के लिए व्रत रखती हैं। वट वृक्ष की विधि-विधान से पूजा, परिक्रमा करके पति के जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने और रक्षा सूत्र बांधने से पति की आयु लंबी होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। क्योंकि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवता वास करते हैं। इसलिए वृक्ष की पूजा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - मई 29, 2022 को शाम 02:54 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त - मई 30, 2022 को शाम 04:59 बजे

पूजन विधि

इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें। इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें। इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें। लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें। इस दिन व्रत कथा भी सुनें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा 


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