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जानिए क्यों वसंत पंचमी पर आगरा में आध्यात्म के रंग से रंग जाता है ये क्षेत्र और क्या है मुबारक कुआं

Vasant Panchami 2022 वसंत पंचमी पर राधास्वामी मत की शुरुआत हुई और इसी दिन दयालबाग की नींव रखी गई थी। 1861 में वसंत पंचमी के दिन हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सबसे पहले सत्संग प्रारम्भ किया था। इसी दिन राधास्वामी मत उद्घाटित हुआ।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:54 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:54 PM (IST)
जानिए क्यों वसंत पंचमी पर आगरा में आध्यात्म के रंग से रंग जाता है ये क्षेत्र और क्या है मुबारक कुआं
1861 में वसंत पंचमी के दिन हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सबसे पहले सत्संग प्रारम्भ किया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। वसंत पंचमी इस वर्ष पांच फरवरी को है। सनातन धर्म में जिस मास को सीधे तौर पर मां सरस्वती, शिव पार्वती विवाह आदि से जोड़ा जाता है वहीं राधास्वामी मत के लिए भी वसंत पंचमी विशेष महत्व रखती है। ये दिन इस मत के लिए आध्यात्म से जुड़ा हुआ है। या कहें भक्ति भाव के अथाह सागर से परिपूर्ण है राधा स्वामी मत के लिए ये दिन। 

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वसंत पंचमी पर राधास्वामी मत की शुरुआत हुई और इसी दिन दयालबाग की नींव रखी गई थी। 1861 में वसंत पंचमी के दिन हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सबसे पहले सत्संग प्रारम्भ किया था। इसी दिन राधास्वामी मत उद्घाटित हुआ। वसंत के ही दिन 20 जनवरी 1915 को राधास्वामी मत के पांचवें आचार्य हुजूर साहब जी महाराज ने 'मुबारक कुएं' के निकट शहतूत के वृक्ष का रोपण कर कॉलोनी की नींव रखी थी तथा इसका नाम 'दयालबाग' रखा था। राधा स्वामी मत में ये कुआं अत्याधिक महत्व रखता है।

ये है मुबारक कुआं

दयालबाग़ में 'मुबारक कुएं' का अपना महत्व व इतिहास है। स्वामीजी महाराज वहां सुबह घूमने आया करते थे। दातौन करने के बाद वह इसी कुएं का जल प्रयोग करते थे। राधास्वामी मत के द्वितीय आचार्य (सन्त सतगुरु) कुएं से पानी खींचकर हुजूर स्वामीजी महाराज की सेवा में पेश करते थे। उस समय कुएं के आस-पास ऊंचे-ऊंचे टीले और कंटीली झाडिय़ां थी। इस परिसर में 'मुबारक कुआं' और 'शहतूत का पेड़' आज भी संरक्षित है।

पीले रंग में सजाने के लिए शुरू हो जाती हैं महीनों पहले तैयारियां

वसंतोत्सव में दयालबाग को पीले रंग से सजाया जाता है। हर कूचा, हर गली बस पीत रंग से सजी होती है। इस सजावट के लिए तैयारियां एक- दो दिन पहले नहीं, बल्कि तीन से चार महीने पहले शुरू हो जाती हैं। वसंत पर घरों के बाहर क्यारी और गमलों में पीले फूल लहलहाएं, इसलिए तीन महीने पहले नए पौधे रोपे जाते हैं। 


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