Move to Jagran APP

Van Mahotsav 2020: प्रकृति की गोद में तैयार हुआ 'मेहमानों' का नया ठिकाना, आगरा आएं तो यहां जाना न भूलें

Van Mahotsav 2020 जोधपुर झाल में बस रहा है पक्षियों का संसार। आगरा और मथुरा के बॉर्डर पर है स्थित। छोटे- बड़े सैंकड़ों पक्षियों की संख्‍या को देखने पहुंचने लगे हैं लोग।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 08:54 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 12:49 PM (IST)
Van Mahotsav 2020: प्रकृति की गोद में तैयार हुआ 'मेहमानों' का नया ठिकाना, आगरा आएं तो यहां जाना न भूलें
Van Mahotsav 2020: प्रकृति की गोद में तैयार हुआ 'मेहमानों' का नया ठिकाना, आगरा आएं तो यहां जाना न भूलें

आगरा, तनु गुप्‍ता। ये आगरा नगर है जनाब, यहां मोहब्‍बत की मीनार ताज महल है तो एक शहंशाह के वैभव को बयान करता आगरा किला और फतेहपुर सीकरी भी है। विश्‍व धरोहरों की फेहरिस्‍त में ताज का ये शहर यूं ही अपने नाम ताज नहीं करता। यहां एतिहासिक इमारतों के अलावा प्रकृति की जीवंत मिसालें भी बसती हैं। जी हां, बेशकीमती पत्‍थरों से बने स्‍मारकों के अलावा यहां मुस्‍कुराती प्रकृति में दुनियाभर के पक्षी कलरव भी करते हैं। विदेशी पक्षियों के चिर परिचित ठिकाने कीठम झील के साथ एक और ठीकाना भी अब बन गया है। जी हां, आप सही समझे, जोधपुर झाल इन दिनों रंग बिरंगे पक्षियों की पसंद बनी हुई है।

loksabha election banner

आगरा व मथुरा जिले की सीमा पर स्थित मथुरा जिले के फरह ब्लाक की ग्राम पंचायत कौह के मौजा जोधपुर गांंव के पास स्थित 125 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है जोधपुर झाल। कीठम सूर सरोवर के पास स्थित इस झाल में रंग बिरंगे पक्षीयों व तितलियों ने लोगों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। वर्तमान में कई पक्षियों की प्रजातियों द्वारा प्रजनन किया जा रहा है।

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्‍यक्ष डॉ केपी सिंह के अनुसार झाल और आस पास की जगह को बहुत बड़े पक्षी विहार के रूप में विकसित किया जा सकता है। जोधपुर झाल मे विभिन्न हेवीटाट के अनुसार पौधों का रोपण किये जाने की बहुत आवश्यकता है। इस पूरे क्षेत्र के अलग अलग हेवीटाट को संरक्षित करना होगा जिससे सभी प्रजातियों के पक्षियों का संरक्षण हो सके। ये झाल आस पास के गांंवों के लिए रोजगार का साधन बन सकता है। इसका सौंदर्य कीठम झील और भरतपुर के केवलादेव पार्क से कम नहीं है।

गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है झाल

जोधपुर झाल भारत के प्राचीन और समृद्ध इतिहास का गवाह है। जोधपुर झाल का निर्माण 1875 में अंग्रेजी हुकूमत के समय हुआ था। उस समय इस जलमार्ग में बडी नावों के आवागमन की बात भी सामने आई है। ओखला बैराज का पानी आगरा नहर में जोधपुर झाल तक आता है। यहांं से वह सिकन्दरा व टर्मिनल रजवाह मेंं बंंट जाता है। इनमें से लिंक नहरों के माध्यम से बहुत बड़े भू भाग में सिंचाई की व्यवस्था बर्ष 1902 से की जा रही है ।जलाधिकार फाउंडेशन के डा अनुराग शर्मा, नितिन अग्रवाल ने बताया कि संस्था के प्रयासों के परिणाम स्वरूप 55 हेक्टेयर जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराकर इसे नहर विभाग की मदद से प्राकृतिक झील बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

झाल का 2017 से किया जा रहा है अध्ययन

2017 से बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों द्वारा डॉ केपी सिंह के नेतृत्व मेंं यहांं की बायोडायवर्सिटी का अध्ययन किया जा रहा है। डॉ केपी सिंह ने बताया कि छोटे पक्षियों की लगभग 80 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है। प्रवासी पक्षियों के साथ यहांं सभी प्रजातियों की संख्या 125 से अधिक है। अगर यहांं का संरक्षण किया जाए तो यह संख्या 200 को पार कर सकती है।

ये है झाल की विशेषता

जोधपुर झाल के वैटलैन्ड, वाटर बाॅडी, ड्राई लैन्ड, ग्रास लैन्ड, प्लांट श्रव हेवीटाट और बहते पानी के हेवीटाट होने के कारण विभिन्न प्रजातियों के पक्षी मौजूद हैं। यहांं घास की प्रजातियों मेंं टाइफा ओरियन्टेलिस ( सरकंडा ) , सेचूरम बेन्गलेन्स, सेचुरम मुन्जा, व्हाइट ग्रास बहुत अधिक मात्रा मे है और फीनिक्स डेक्टाइलेफेरा( खजूर ), हींस व पीलू की अधिक संख्या व चारों तरफ बिछा नहरों का जाल व कम गहरे व साफ पानी की झील भी इस हेवीटाट को विशेषता प्रदान कर रही है। झाल के आसपास के खेत इस हेवीटाट का विस्तार करते हैं। 125 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल का इस तरह का आकर्षक हेवीटाट मथुरा व आगरा के लिए आकर्षण का केंद्र है ।

प्रवासी पक्षियों की शरणस्थली भी बन चुकी है जोधपुर झाल

डॉ केपी सिंह झाल के अध्ययन पर शोध पत्र प्रकाशित कर चुके हैं। उनके अनुसार यहांं सर्दियों, गर्मियों व मानसून के समय पक्षी माइग्रेशन करके यहांं पहुंंचते हैं। प्रवासी पक्षियों में बार हेडेड गूज, पेलिकन, फ्लेमिंगो, ब्लू थ्रोट, पाइड एवोसेट, नार्दन शोवलर, काम्ब डक, पिनटेल, लेशर विशलिंग डक, स्पाट विल्ड डक, स्पून विल्ड डक, ब्लैक विंग स्टिल्ट, रोजी स्टर्लिंग, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, वेगटेल, इंडियन डार्टर, पेन्टेड स्टार्क, ओपन बिल स्टार्क, बूली नेक्ड स्टार्क, ब्लैक नेक्ड स्टार्क बहुत बडी संख्या में उपस्थित हैं।

छोटे आकार के पक्षियों का अद्भुत संसार है झाल

झाल में छोटे आकार के पक्षी भी बड़ी संख्‍या में प्रवास करते हैं। ग्रीन बी ईटर, ब्लू टेल्ड बी ईटर, स्ट्रीक्ड बीवर, ग्रे फ्रेंकलिन, ब्लैक फ्रेंकलिन, साइबेरियन स्टोनचैट, ब्लैक ब्रस्टेड बीवर, बया बीवर, ब्लूथ्रोट, क्रिस्टिड लार्क, ऐशी क्राउन स्पैरो लार्क, स्काई लार्क, ग्रेटर पेन्टेड स्नाइप, पैडीफील्ड पिपिट, काॅमन स्टोनचैट, चैस्टनट शोल्डर पिट्रोनिया, रेड मुनिया, पाइड बुशचैट, ऐशी प्रीनिया, प्लेन प्रीनिया, ग्रेसफुल प्रीनिया, टेलर बर्ड, ब्राह्मणि स्टरलिंग, मैगपाई रोबिन, इंडियन रोबिन, रेड वेन्टेड बुलबुल, ग्रे होर्नबिल, लोंग टेल्ड श्राइक, बे बैक श्राइक, लार्ज ग्रे बेबलर, ब्लैक ड्रोंगो, ट्री पाई, व्हाइट वेगटेल, यलो वेगटेल, यलो फुटेड हरा कबूतर, काॅमन हूपी, व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर, बर्न स्वैलो, वायर टेल्ड स्वैलो, पाइड माइना, काॅमन माइना, बैंक माइना, सिल्वर बिल, डेजर्ट व्हीट ईटर, काॅमन बेबलर, ब्राउन रौकचैट, ब्लैक शोल्डर काइट, पैराकीट, ग्रेटर कूकल, शिकरा, लाफिंग डव, रेड टर्टिल डव, कालर्ड डव, शौर्ट ईयर्ड आउल, इंडियन रोलर, स्पोटिड आउल, लेशर कार्मोरेन्ट, रेड शैन्क, ग्रीन शैन्क, बुड सेन्डपाइपर, पर्पल हैरोन, ग्रे हैरोन, पोंड हैरोन, ब्लैक हेडेड आईबिश, व्हाइट ब्रेस्टेड वाटर हैन, काॅमन मूर हैन, रेड वेटल्ड लैपविंग, इन्टरमीडिएट इग्रीट, कैटल ईग्रिट, ग्रेटर ईग्रिट की संख्या भी बहुत है। सारस क्रेन और भारतीय मोर यहांं बड़े आकार के पक्षियों में प्रमुख हैं।

पक्षी प्रेमी व फोटोग्राफर भी पहुंंच रहे हैं झाल पर

जोधपुर झाल के अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य ने पक्षी प्रेमियों व फोटोग्राफरों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। पर्यावरण संरक्षण से जुडी संस्थाओं के सदस्य भी इस झाल के भ्रमण पर आने लगे हैं। आगरा, मथुरा व भरतपुर के पक्षी प्रेमियों व फोटोग्राफरों ने वहां आना जाना शुरू कर दिया है। आगरा से पक्षियों के फोटोग्राफरों में नवीन चंद्र और मेहरान द्वारा फोटो के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मेहरान के अनुसार जोधपुर झाल का आकर्षण फोटोग्राफरों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.