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बटेश्वर महादेव किसकी लगाएंगे नैया पार, आगरा में तीन विधानसभा सीटों पर कड़ी जोर आजमाइश

UP Assembly Election 2022 आगरा की नौ विधानसभा सीटों में से तीन पर इस बार मुकाबला रोचक नजर आ रहा है। बाह फतेहाबाद व खेरागढ़ सीट पर भाजपा सपा-रालोद गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी के बीच चल रही है जोर आजमाइश।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 02:41 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 02:41 PM (IST)
बटेश्वर महादेव किसकी लगाएंगे नैया पार, आगरा में तीन विधानसभा सीटों पर कड़ी जोर आजमाइश
बाह विधानसभा में बटेश्‍वर में शिव मंदिरों की श्रृंखला।

आगरा, राजीव शर्मा। इन दिनों चुनावी सरगर्मी जोरों पर हैं। आगरा की बाह, फतेहाबाद और खेरागढ़ विधानसभा सीट पर भी शह और मात का खेल शुरू हो गया है। यहां प्रत्याशियों के अपने दावे और वादे हैं।

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प्रदेश की हाई प्राेफाइल और चर्चित विधानसभा क्षेत्र में शुमार इटावा के जसवंतनगर से निकलकर यमुना का पुल पार करके जैसे ही आगरा जिले में प्रवेश करते हैं, बाह विधानसभा क्षेत्र शुरू हो जाता है। कचौरा घाट निवासी बबलू पाठक, शिशुपाल यादव, नंदे सिंह का कहना है कि चुनाव के दौरान वादे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं लेकिन धरातल पर पूरे होते कम ही दिखते हैं। क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत में शामिल जैतपुर कलां को नगर पंचायत बनाने की कब से मांग चली रही है लेकिन सुनवाई अब तक नहीं हुई। भारतीय राजनीति में सितारे की तरह से चमकने वाले भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव बटेश्वर भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है। यहां के राम सिंह आजाद, आशीष, सुमन वर्मा, ब्रजेश शास्त्री का कहना है कि बटेश्वर का जो विकास होना चाहिए था, वह अब तक नहीं हो सका है। क्षेत्र के पहले विधायक शंभूनाथ चतुर्वेदी के गांव होलीपुरा के हरिओम और राकेश का कहना है कि गांव को भी हेरीटेज विलेज बनाने का सपना पूरा नहीं हो सका है। शौरीपुर कभी राजा सूरसेन का क्षेत्र हुआ करता था। वह भगवान श्रीकृष्ण के पूर्वज थे। वर्तमान में यह जैनतीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र का भी समुचित विकास न होने से लोग आहत हैं। बाह कस्बे के बस स्टैंड के बाहर चाय की दुकान पर बैठे सभाराम शर्मा, रामेश्वर दयाल, प्रयाग नरायाण आदि लोग भी यही चर्चा कर रहे थे। कह रह थे कि चुनावी मौसम में एक बार फिर से वादों की बरसात होगी लेकिन बाह को जिला बनाने के प्रस्ताव की किसी को सुध नहीं है।

बाह क्षेत्र के अरनौटा पुल को पार करके फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र का रण शुरू हो जाता है। ऊंटगन, यमुना और खारी नदी का यह क्षेत्र आज भी पानी की समस्या से जूझ रहा है। यमुना में थोड़ा बहुत पानी आ जाता है लेकिन ऊंटगन और खारी नदी अक्सर सूखी ही रहती हैं। आजादी के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक इस क्षेत्र के चुनावी मुद्दे लगभग एक जैसे ही रहे हैं। खंडेर गांव निवासी दीवारी लाल, विनोद चौहान का कहना है कि क्षेत्र में अब समय के साथ बदलाव नजर आना चाहिए। मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार के साधन विकसित होने चाहिए। अरावली की पहाड़ियों का सीना छलनी होने से खेरागढ़ के लोग आहत हैं। यहां अभी भी अवैध खनन हो रहा है। तांतपुर-जगनेर में पेयजल की समस्या का अब तक समाधान नहीं हो सका है।

बाह: भदावर घराने का रहा है प्रभाव

आजादी के बाद पहली बार हुए चुनाव में जिले में सात विधानसभा सीट थीं। बाह विधानसभा सीट इनमें से एक थी। इस विधानसभा क्षेत्र में भदावर घराने का प्रभाव रहा है। वर्ष 1952 से अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में 11 बार विधायक इसी परिवार से चुना गया है। सबसे पहले वर्ष 1957 के चुनाव में रिपुदमन सिंह इस परिवार में विधायक बने। वह निर्दलीय चुनाव जीते थे। रिपुदमन सिंह चार बार विधायक चुने गए। इसके बाद उनके पुत्र अरिदमन सिंह छह बार और उनकी पुत्रवधु पक्षालिका सिंह एक बार विधायक चुनी गईं। इस सीट पर सबसे पहले विधायक होलीपुरा के शंभूनाथ चतुर्वेदी चुने गए थे। वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस सीट पर सभी प्रमुख दलों को मौका मिल चुका है।

फतेहाबाद: पहले चुनाव में फिरोजाबाद सीट का हिस्सा था फतेहाबाद

फतेहाबाद विधानसभा सीट आजादी के बाद पहली बार हुए चुनाव के दौरान फिरोजाबाद सीट का हिस्सा हुआ करती थी। तब फिरोजाबाद जिला नहीं था। फिरोजाबाद और फतेहाबाद को मिलाकर एक सीट थी। कांग्रेस के गंगाधर पहली बार यहां से विधायक चुने गए थे। अगले ही चुनाव में यानि वर्ष 1957 के चुनाव में फिरोजाबाद से फतेहाबाद अलग हो गया और फतेहाबाद विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। इस सीट पर सपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख दल जीत का झंडा फहरा चुके हैं। यहां से महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ने कराती हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक के अधिकांश चुनावों में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरी। इसी सीट पर 17 बार विधानसभा का चुनाव हो चुका है। भाजपा चार, जनता दल तीन, पांच बार कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं।

खेरागढ़: किसी एक दल से बंध रहे नहीं रहे मतदाता

यह विधानसभा सीट आजादी के बाद हुए पहले विधासभा चुनाव में ही अस्तित्व में आ गई थी। वर्ष 1952 के पहले चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगन प्रसाद रावत विजयी हुए थे। मतदाताओं ने दोबारा उन पर भरोसा नहीं जताया। 1957 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी कृष्ण दत्त पालीवाल ने उन्हें चुनाव हरा दिया। हालांकि इसके बाद जगन प्रसाद रावत तीन बार और विधायक चुने गए। उनके बाद इंडियन नेशनल कांग्रेस (आर्गेनाइजेशन), जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा, बसपा के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे। इस क्षेत्र के मतदाता किसी एक पार्टी या प्रत्याशी से बंधकर नहीं रहे। मुद्दों और प्रत्याशियों को लेकर उनके फैसले बदलते रहे हैं। राजस्थान की सीमा से लगे इस विधानसभा क्षेत्र में सपा की कभी अपनी जड़ें नहीं जमा सकी।

मतदाताओं पर नजर

विधानसभा कुल मतदाता पुरुष मतदाता महिला मतदाता

बाह 3,32,733 1,81,881 1,50,837

फतेहाबाद 3,21,656 1,73,956 1,47,693

खेरागढ़ 3,26,933 1,77,963 1,64,030

वर्ष 2017 का परिणाम

विधानसभा विजयी प्रत्याशी मिले वोट

बाह पक्षालिका सिंह (भाजपा) 80,567

फतेहाबाद जितेंद्र वर्मा (भाजपा) 1,01,960

खेरागढ़ महेश गोयल (भाजपा) 93,510


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