शिक्षक गैरहाजिर शिक्षकों ने किया मूल्यांकन सुस्त, जानिए क्या होगा
चार केंद्रों पर चल रहा है मूल्यांकन कार्य विषय विसंगतियों के 20 फीसद से अधिक मामलों ने भी बढ़ाई मुश्किल
आगरा, जागरण संवाददाता। आठ मार्च से प्रस्तावित यूपी बोर्ड का मूल्यांकन कार्य चौथे दिन भी अपेक्षित रफ्तार नहीं पकड़ पाया।
शुरुआती दो दिन टीजीटी परीक्षा के चलते ठप रहा मूल्यांकन अब जाकर जैसे-तैसे शुरू हो पाया है। चारों परीक्षा केंद्रों पर सोमवार को परीक्षक पहुंचे और अपनी तैनाती की कवायद में जुटे रहे। सबसे ज्यादा परेशानी विषय विसंगति की रही। सभी केंद्रों पर करीब 20 फीसद शिक्षकों के मूल विषय से अलग विषय नियुक्ति पत्र पर अंकित कर दिया। यह रही परेशानी
आरबीएस इंटर कॉलेज में शिक्षक-शिक्षिकाओं के नियुक्ति पत्र पर अंग्रेजी की जगह हिदी, साइंस की जगह होम साइंस, जबकि सेंट जोंस गर्ल्स इंटर कॉलेज में फिजिक्स की जगह बायो आदि विषय लिख दिए गए हैं। महाराजा सूरजमल इंटर कॉलेज की अंग्रेजी की शिक्षक गीता हीराचंदानी हिदी का रिलीविंग लेटर लेकर आरबीएस कॉलेज पहुंची, तो प्रभारी ने उन्हें संशोधन पर प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर के लिए भेज दिया। वह भी मूल्यांकन में चले गए। इस कारण दिव्यांग शिक्षक को परेशानी हुई। प्रधानाचार्य से करा कर लाएं संशोधन
शिक्षक इसकी शिकायत डीआइओएस को कर चुके हैं। लेकिन केंद्र प्रभारी स्कूल से रिलीव होकर आ रहे शिक्षकों को अपने यहां ज्वाइन नहीं करा पा रहे। आरबीएस इंटर कॉलेज प्रधानाचार्य और मूल्यांकन प्रभारी हितेंद्र पाल सिंह ने बताया कि विषय की विसंगति बड़ी परेशानी है। साथ ही कई स्कूलों से शिक्षक रिलीव होकर भी मूल्यांकन के लिए नहीं आ रहे। इस कारण थोड़ी दिक्कत हो रही है।
सेंट जोंस में मूल्यांकन सुस्त
सोमवार को सबसे ज्यादा 8448 आरबीएस इंटर कॉलेज में जबकि सबसे कम 1500 कॉपियां सेंट जोंस गर्ल्स इंटर कॉलेज में जांची गईं। राजकीय इंटर कॉलेज में 3831 और फतेहचंद इंटर कॉलेज में 3300 कॉपियां ही जांची जा सकीं। राजकीय इंटर कॉलेज में 44 में से 27 उप प्रधान परीक्षक व 397 सहायक परीक्षकों में से महज 128 ही पहुंचे। आरबीएस इंटर कॉलेज में 98 में से 33 उप प्रधान परीक्षक व 947 में से 344 सहायक परीक्षक पहुंचे। फतेहचंद इंटर कॉलेज में 34 उप प्रधान परीक्षकों में से 27 जबकि 348 में से 175 सहायक परीक्षक पहुंचे। सेंट जोंस गर्ल्स इंटर कॉलेज में 88 में से 31 उप प्रधान परीक्षक व 841 सहायक परीक्षकों में से महज 348 ही केंद्र पर मूल्यांकन को पहुंचे।